देश के बैंकिंग सिस्टम में 2017-18 में 41,167.7 करोड़ रुपये का फ्रॉड हुआ. फ्रॉड के इस आंकड़े में इससे पिछले साल के आंकड़े (23,933 करोड़ रुपये) की तुलना में 72 फीसदी का उछाल आया. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यह डेटा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने जारी किया है. अब इस खबर के आने के बाद राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए एक ट्वीट किया. ट्वीट में राहुल ने कविता के अंदाज में लिखा कि, “चौकीदार का भेष, चोरों का काम. बैंकों के 41,167 करोड़, सौंपे जिगरी दोस्तों के नाम.”
राहुल ने ट्वीट के जरिए ये भी बताया कि 41,167 करोड़ का अगर ये घोटाला नहीं होता तो इतने पैसे में पूरे एक साल MNREGA स्कीम चल जाती, तीन राज्यों के किसानों का कर्ज माफ हो सकता था या फिर 40 नए एम्स खुल सकते थे.
क्या है बैंक फ्रॉड के ये पूरा मामला?
शुक्रवार को रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए डेटा के हिसाब से 2017-18 में बैंक फ्रॉड के कुल 5,917 मामले सामने आए, जबकि इससे पिछले साल ऐसे मामलों की संख्या 5,076 थी. बैंक फ्रॉड के मामलों में 4 साल से लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 2013-14 में बैंक फ्रॉड का कुल आंकड़ा 10,170 करोड़ रुपये का था.
साइबर फ्रॉड के मामलों में आया उछाल
2017-18 में बैंकों में साइबर फ्रॉड के 2,059 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 109.6 करोड़ रुपये की चपत लगी. इससे पिछले साल साइबर फ्रॉड के 1,372 मामलों में बैंकों को 42.3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. आरबीआई के मुताबिक, 2017-18 में 13,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक केस की वजह से बैंक फ्रॉड के आंकड़े में बड़ा उछाल देखने को मिला. इस मामले में नीरव मोदी और मेहुल चौकसी शामिल थे.
सरकारी बैंकों में फ्रॉड ज्यादा, प्राइवेट में कम
इस साल सामने आए बैंक फ्रॉड के मामलों में 50 करोड़ रुपये और उससे ज्यादा की रकम का 80 फीसदी हिस्सा था. गौर करने वाली बात यह है कि 1 लाख रुपये से ज्यादा के 93 फीसदी फ्रॉड सरकारी बैंकों में हुए. प्राइवेट बैंकों में यह आंकड़ा 6 फीसदी का रहा. फ्रॉड के बढ़ते मामलों से बैड लोन के आकड़े में भी उछाल आया. मार्च 2018 तक यह आंकड़ा 10,39,700 करोड़ रुपये का था.
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