कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को 2019 के मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था. इसके एक दिन बाद, सांसद और विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने वाले अधिनियम के उपबंध खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है.
याचिका में कहा गया है, "1951 अधिनियम के अध्याय III के तहत अयोग्यता पर विचार करते समय, प्रकृति, भूमिका, मोरल कंडक्ट और आरोपी की भूमिका जैसे कारकों की जांच की जानी चाहिए."
जानकारी के अनुसार, याचिका 24 मार्च को दायर की गई है जिस पर अदालत अगले हफ्ते सुनवाई कर सकती है.
PIL में क्या कहा गया है?
यह याचिका केरल की एक कार्यकर्ता आभा मुरलीधरन द्वारा दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि "धारा 8 (3) विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा अयोग्यता के नाम पर झूठे राजनीतिक एजेंडे के लिए एक मंच को बढ़ावा दे रही है. इससे राजनीतिक हितों के लिए जनप्रतिनिधित्व के लोकतांत्रिक ढांचे पर सीधा प्रहार हो रहा है, जिससे इस देश के चुनावी तंत्र में उथल-पुथल मच सकती है."
जनहित याचिका (PIL) में लिली थॉमस केस का हवाला दिया गया है. PIL में कहा गया है, "लिली थॉमस केस का राजनीतिक दलों पर व्यक्तिगत प्रतिशोध बरपाने के लिए खुलेआम दुरुपयोग किया जा रहा है."
याचिका में आगे कहा गया है, "याचिकाकर्ता यह बताना चाहते हैं कि अनुच्छेद 19 1 (ए) के तहत संसद सदस्य द्वारा प्राप्त अधिकार उनके लाखों समर्थकों की आवाज का विस्तार है. यदि अपराध IPC की धारा 499 और 500 के तहत है, जिसमें सिर्फ तकनीकी रूप से अधिकतम 2 साल की सजा है, उसे लिली थॉमस केस में दिए फैसले के व्यापक प्रभाव से अलग नहीं किया गया है, तो इससे नागरिकों के प्रतिनिधित्व के अधिकार पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा."
क्या है राहुल गांधी का मामला?
सूरत की एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 2019 में उनके खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि के मामले में 23 मार्च को दो साल की जेल की सजा सुनाई है. इस मामले में राहुल गांधी को हाईकोर्ट में अपील करने के लिए निजी मुचलके पर एक महीने की जमानत दी गई है.
दरअसल, अप्रैल 2019 में सूरत पश्चिम के बीजेपी विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर राहुल गांधी की टिप्पणी के लिए IPC की धारा 499 और 500 के तहत मामला दर्ज किया गया था. राहुल गांधी ने 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक रैली को संबोधित करते हुए कथित टिप्पणी की थी.
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, दो साल या उससे अधिक के कारावास की सजा पाने वाले व्यक्ति को "ऐसी सजा की तारीख से" अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और समय की सेवा के बाद छह साल के लिए अयोग्य बना रहेगा.
विपक्षी दलों ने दायर की याचिका
14 विपक्षी दलों ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें केंद्र सरकार पर ED, CBI, IT का उपयोग अपने विरोधियों के खिलाफ करने का आरोप लगाया गया है. इस मामले में 5 अप्रैल को सुनवाई होगी.
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