सुप्रीम कोर्ट को लेकर ट्वीट करने वाले सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण को कोर्ट की अवमानना के मामले में दोषी करार दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ही दिन पहले ये फैसला सुनाया. इस फैसले के बाद सैकड़ों वकीलों और अन्य लोगों ने इसका विरोध किया. बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया से लेकर वकीलों की अन्य एसोसिएशंस ने भी इस पर चिंता जताई. लेकिन अब नागरिकों के समूह ने, जिसमें रिटायर जज, ब्यूरोक्रेट और अन्य लोग शामिल हैं, सीजेआई को एक लेटर लिखा है. जिसमें उन्होंने प्रशांत भूषण पर जमकर निशाना साधा है.
‘सुप्रीम कोर्ट और जजों को निशाना बनाना गलत’
सीजेआई बोबड़े को लिखे गए इस लेटर में कहा गया है कि, ये काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब किसी वकील का राजनीतिक मकसद कोर्ट के फैसलों से पूरा नहीं होता है तो वो इस पर अपमानजनक टिप्पणी करते हैं. लेटर में कहा गया है कि, हम सभी लोग इस नए ट्रेंड पर चिंता जताते हैं, जिसमें न्यायपालिका को निशाना बनाया जा रहा है. भारत में पिछले कई सालों में देखा गया कि कुछ लोगों ने लगातार उन जजों पर हमला बोला है, जो उनसे सहमत नहीं थे.
लेटर में ऐसे वकीलों का जिक्र किया गया है जो कोर्ट के फैसले के खिलाफ बोलते हैं. इसमें कहा गया है कि, ऐसे वकील अपमानजक टिप्पणी कर कोर्ट का अपमान करते हैं. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया और जजों को भी टारगेट किया जाता है. हमेशा उनके जजमेंट को क्रिटिसाइज किया जाता है. लेटर में आगे कहा गया है कि,
अगर न्यायपालिका अपना काम और संचालन सही तरीके से कर रही है तो ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि कोर्ट की गरिमा और अथॉरिटी की सुरक्षा की जाए. न्यायपालिका का आधार यही है कि लोग इस पर न्याय के लिए भरोसा रखते हैं. कोर्ट के खिलाफ ये कहना कि, “सुप्रीम कोर्ट ने लोकतंत्र को बर्बाद कर दिया” और “सुप्रीम कोर्ट संविधान की हत्या कर रहा है”, जनता में न्यायपालिका के भरोसे को तोड़ने की एक शुरुआत जैसा है.
‘ऐसे लोगों से सख्ती से पेश आए सुप्रीम कोर्ट’
इन सभी वकीलों, पूर्व जजों और ब्यूरोक्रेट्स ने आखिर में अपील करते हुए कहा कि, हम सीजेआई से अपील करते हैं कि न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता बनी रहे और ऐसे लोगों से जो इस संस्था को खत्म करना चाहते हैं, लोकतंत्र के तीसरे पिलर को बचाएं. साथ ही सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हैं कि ऐसे लोगों के साथ सख्ती से पेश आया जाए
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के खिलाफ उनके दो ट्वीट्स को लेकर 14 अगस्त को फैसला दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रशांत कोर्ट की अवमानना के दोषी करार दिए जाते हैं. सुप्रीम कोर्ट अब उनकी सजा को लेकर गुरुवार 20 अगस्त को सुनवाई करेगा. ये पहली बार है जब कुछ लोगों ने प्रशांत भूषण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आवाज उठाई है. इससे पहले कई बुद्धिजीवी, पत्रकार, वकील और अन्य लोगों ने प्रशांत भूषण का समर्थन किया और कोर्ट के फैसले पर चिंता जाहिर की.
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