मोदी सरकार 2.0 में विदेश मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर को दी गई है. पिछली मोदी सरकार में ये जिम्मेदारी सुषमा स्वराज संभाल रही थीं. स्वराज पासपोर्ट से लेकर विदेशों में फंसे भारतीयों की परेशानी पर तत्काल कार्रवाई करने के लिए मशहूर थीं.
हालांकि, एस जयशंकर के पास अभी तक इस तरह की कोई गुजारिश नहीं आई है, लेकिन उनके बेटे ने लोगों को पहले ही आगाह कर दिया है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बेटे ध्रुव जयशंकर ने ट्विटर पर लिखा है-
‘इससे पहले कि कोई पूछे, मैं पासपोर्ट, वीजा या विदेश से किसी को वापस लाने में किसी की भी मदद नहीं कर पाऊंगा. मेरे पास खुद की समस्याएं हैं.’
इससे पहले ध्रुव जयशंकर ने एक ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा था, 'गलत ट्विटर हैंडल.' लगता है किसी ने उन्हें एस जयशंकर समझ ट्वीट कर दिया था.
गुरुवार, 30 मई को नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान भी ध्रुव जयशंकर अपने एक ट्वीट को लेकर चर्चा में थे. उन्होंने ट्वीट में लिखा था, 'अगर मुझे पता होता, तो मैं कल के लाइवमिंट में वो क्रिटिकल आर्टिकल नहीं लिखता.'
ध्रुव जयशंकर ने पब्लिक पॉलिसी पर आर्टिकल लिखा था. ‘जो सरकार बने, वो अच्छी नीतियों पर काम करे, न कि सिर्फ मकसद पूरा करने के लिए उन्हें बनाए.’
इसलिए उन्होंने ट्वीट कर मजाक किया था कि अगर उन्हें पता होता कि उनके पिता भी इस कैबिनेट का हिस्सा होते, तो वो ये आर्टिकल नहीं लिखते.
एस जयशंकर को मिली बड़ी जिम्मेदारी
एस. जयशंकर न तो राज्यसभा और न ही लोकसभा के सदस्य हैं, लेकिन मोदी मंत्रिमंडल में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी गई है.
जयशंकर को चीन और अमेरिका मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है. नए विदेश मंत्री के रूप में उन पर खास नजर होगी कि वह इन दोनों महत्वपूर्ण देशों के साथ पाकिस्तान के साथ निपटने में भारत के रुख को किस तरह आगे बढ़ाते हैं. उनके सामने विश्व स्तर पर खासकर G-20, शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स संगठन जैसे वर्ल्ड फोरम पर भारत के प्रभाव को बढ़ाने की उम्मीदों को अमल में लाने की जिम्मेदारी भी रहेगी.
1977 बैच के विदेश सेवा के अधिकारी जयशंकर विदेश मंत्रालय में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं. वह अमेरिका और चीन जैसे देशों में भारत के राजदूत रहे हैं.
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