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10 दिन पूरी क्षमता से चल सकेंगी एयर इंडिया रिलीफ फ्लाइट्स: SC

सुप्रीम कोर्ट में 25 मई को हुई विशेष सुनवाई

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सुप्रीम कोर्ट ने 25 मई को हुई विशेष सुनवाई में एयर इंडिया को नॉन-शेड्यूल्ड इंटरनेशनल फ्लाइट्स के मामले में थोड़ी राहत दी है. ये फ्लाइट्स विदेश में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए चलाई जा रही हैं.

कोर्ट ने कहा है कि एयर इंडिया (6 जून तक) 10 दिन बीच की सीट खाली छोड़े बिना परिचालन कर सकता है, इसके बाद इन फ्लाइट्स का परिचालन बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक ही होगा.

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लाइव लॉ के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश बॉम्बे हाई कोर्ट के 22 मई के आदेश के खिलाफ दाखिल नागरिक उड्डयन मंत्रालय और एयर इंडिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने उस आदेश में एयर इंडिया को सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए बीच की सीट खाली रखकर परिचालन करने के लिए कहा था.

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 25 मई को कहा, ''सामान्य हालात में हम हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश में दखल देने के पक्ष में नहीं होते. (हालांकि) सॉलिसिटर जनरल ने बताया था कि विदेशी धरती पर फंसे यात्रियों को टिकट जारी किए जा चुके हैं.''

बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट में एयर इंडिया के एक पायलट ने याचिका दाखिल कर कहा था कि विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने में एयरलाइन COVID-19 के संबंध में सुरक्षा कदमों का पालन नहीं कर रही है. 

पायलट देवेन कनानी ने अपनी याचिका में दावा किया कि भारत सरकार ने 23 मार्च 2020 को एक परिपत्र जारी कर वैश्विक महामारी के कारण विदेश में फंसे भारतीयों को वापस लाते हुए COVID-19 को फैलने से रोकने के लिए कुछ शर्तें तय की थीं.

उन्होंने याचिका में कहा कि दो यात्रियों के बीच वाली सीट खाली रखने से जुड़ी शर्त का एयर इंडिया पालन नहीं कर रही है. कनानी ने सैन फ्रांसिस्को और मुंबई के बीच चल रहे एयर इंडिया के विमान की तस्वीरें पेश कीं, जिसमें सभी सीटें भरी हुई थीं.

एयर इंडिया के वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने याचिका का विरोध किया था और हाई कोर्ट को बताया था कि 23 मार्च के परिपत्र की जगह पर भारत सरकार ने 25 मई से घरेलू विमानों का संचालन बहाल करने की अनुमति देते हुए 22 मई 2020 को एक नया परिपत्र जारी किया.

चंद्रचूड़ ने हाई कोर्ट को बताया कि नए परिपत्र में यह नहीं कहा गया है कि बीच वाली सीट को खाली रखने की जरूरत है. हालांकि जस्टिस आरडी धनुका और जस्टिस अभय आहूजा की डिवीजन बेंच ने कहा था कि 22 मई के परिपत्र पर सरसरी तौर पर नजर डालने से पता चलता है कि यह केवल घरेलू विमानों के संचालन पर लागू है, अंतरराष्ट्रीय विमानों के संचालन पर नहीं. बेंच ने एयर इंडिया और डीजीसीए को अपना रुख साफ करते हुए हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए और इस मामले की अगली सुनवाई के लिए दो जून की तारीख तय की. कोर्ट ने साथ ही कनानी को 22 मई के परिपत्र को चुनौती देने वाली अपनी याचिका में सुधार करने की भी मंजूरी दी.

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