कांग्रेस नेता शशि थरूर एक बार फिर अपने एक बयान को लेकर विवाद में घिर गए हैं. बुधवार को दिए एक इंटरव्यू में थरूर ने कहा, ‘सबरीमाला में महिलाओं का जाना एक उकसाने वाला काम है.’
हालांकि उन्होंने कहा कि. ‘मैं महिला सशक्तिकरण का समर्थक हूं, लेकिन ये मंदिर की मर्यादाओं की बात हैं.’
‘मिरर नाउ’ को दिए एक इंटरव्यू में थरूर ने सबरीमाला विवाद से जुड़ी कई बातें कही हैं. थरूर ने अपनी बात को बढ़ाते हुए कहा, ‘जो सबरीमाला मामले के जानकार हैं वो आपको बताएंगे कि जो महिलाएं भगवान अय्यप्पा को मानती हैं, वो कभी भी 50 साल की उम्र से पहले अय्यप्पा की पूजा नहीं करेंगी, क्योंकि पूजा के दौरान अगर वे माहवारी वाली उम्र से गुजर रही हैं तो उनके विधि-विधान में कुछ अड़चन आ जाएगी.’
थरूर ने इंटरव्यू में ये भी कहा कि माहवारी वाली उम्र से गुजर रही वही महिला अय्यप्पा की पूजा करेगी जो अय्यप्पा में आस्था नहीं रखती.
थरूर ने बताया कि इस बहस को लिंग समानता के नजरिए और मान्यताओं के नजरिए से देखा जा सकता है.
शशि थरूर ने ये भी साफ किया कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं.
हालांकि, कांग्रेस सांसद ने साफ किया कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, ‘लेकिन ये चौंकाने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में उठी आपत्तियों पर सुनवाई 22 जनवरी को एक ओपन कोर्ट में करेगी.’’
‘दो महिलाओं की एंट्री गैर जरूरी और उकसाने वाला काम’
फर्स्टपोस्ट के मुताबिक, थरूर ने कहा कि, ‘जब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई ओपन कोर्ट में करने को तैयार है तब ऐसे में दो महिलाओं का मंदिर में जाना गैर जरूरी और उकसाने वाला काम था.’
सीएनएन न्यूज18 के मुताबिक, कांग्रेस नेता ने कहा कि, ‘कांग्रेस महिला सशक्तिकरण की समर्थक है लेकिन ये आस्था का विषय है.’
उन्होंने इस विषय में हिंसा और तोडफोड़ के लिए बीजेपी की भी आलोचना की. थरूर ने कहा, 'हम मानते हैं कि दोनों पार्टियों का एक पवित्र स्थान को राजनीतिक मंच में बदलना शर्मनाक काम है'
(इनपुट: मिरर नाउ, फर्स्टपोस्ट, सीएनएन न्यूज18 से भी)
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