केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाली सरकार अक्सर शाकाहार की वकालत करते वक्त विवाद में घिर जाती है. हाल ही में भारतीय रेलवे ने भी सरकार को एक प्रस्ताव भेजा, जिसमें कहा गया कि गांधी जयंती के दिन सभी ट्रेनों में सिर्फ शाकाहारी भोजन दिया जाए.
देश के लोगों में आम धारणा है कि देश के ज्यादातर लोग शाकाहारी हैं. लेकिन इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट बड़ी हैरान करने वाली है जिसके मुताबिक देश में मांसाहारियों की तादाद ज्यादा है. करीब 80 फीसदी पुरुष और 70 फीसदी महिलाएं अक्सर अंडा, मछली, चिकन या मीट खा लेती हैं. हालांकि उनका दैनिक आहार शाकाहारी होता है, जिसमें दूध, दही, दालें और पत्तेदार सब्जियां शामिल होती हैं.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे, 2015-16 (एनएफएचएस -4) के मुताबिक, कुल मिलाकर, 42.8% महिलाएं और 48.9% पुरुष सप्ताह में एक बार मछली, चिकन या मीट खाते हैं.
37% महिलाएं मांसाहारी
देश में महिलाओं की तुलना में ज्यादा पुरुष मांसाहारी भोजन खाते हैं. दस महिलाओं में से करीब तीन महिलाएं अंडे (2 9 .3%) और चिकन, मछली या मांस (29.9%) का इस्तेमाल नहीं करती हैं. जबकि दस पुरुषों में से केवल दो की पुरुष अंडा (19 .6%) और चिकन, मछली या मांस (21.6%) नहीं खाते हैं.
महिलाओं में 15-45 साल तक की उम्र की महिलाओं में से 45 फीसदी दूध और दही, 44.8 फीसदी दालें और 47.2 फीसदी हरी पत्तेदार सब्जियां खाती हैं, जबकि 37.4 फीसदी महिलाएं अंडे और 36.6 फीसदी महिलाएं सप्ताह में मछली या मीट खाती हैं. इसके अलावा करीब-करीब आधी यानी कि 51.8 फीसदी महिलाएं कभी-कभार फलों का सेवन करती हैं.
पुरुषों की बात करें तो 15 से 45 साल की उम्र तक के करीब 46.2 फीसदी पुरुष सप्ताह में दूध-दही, 46.5 फीसदी दालें, 46.6 फीसदी हरी पत्तेदार सब्जियां खाते हैं, जबकि 44.7 फीसदी अंडा, 43.3 फीसदी मछली और मीट खाते हैं. इसके अलावा 47.6 फीसदी पुरुष फल खाते हैं.
केरल में सबसे ज्यादा और पंजाब में सबसे कम मांसाहारी
आंकड़ों की मानें तो पूर्वोत्तर और दक्षिणी भारत में मांस की खपत ज्यादा है. जबकि उत्तर भारत के राज्यों में मांस की खपत कम है.
‘प्रोटीन के लिए मांसाहार बेहतर विकल्प’
साल 2015 में मध्य प्रदेश सरकार ने कथित तौर पर जैन समुदाय के दवाब में आकर आंगनबाड़ी केंद्रों पर दिए जाने वाले आहार से अंडा हटा दिया था.
सरकार का ये फैसला नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (एनआईएन), हैदराबाद की उन सिफारिशों के बावजूद आया, जिनमें कहा गया है कि दूध, मांस, मछली, दाल और फलियां जैसे खाद्य पदार्थों में भरपूर प्रोटीन होती है.
एनआईएन ने आहार को लेकर दिए गए दिशानिर्देशों में कहा है, “मीट में अच्छी क्वालिटी में प्रोटीन होता है क्योंकि उसमें सही अनुपात में जरूरी अमीनो एसिड पाया जाता है, जबकि सब्जियों में उतनी अच्छी क्वालिटी में प्रोटीन नहीं होती, क्योंकि इनमें अमीनो एसिड की मात्रा कम होती है.”
भारतीय रेलवे अब शाकाहारी महात्मा गांधी, की जयंती को शाकाहारी दिवस के रूप में मनाने की योजना बना रही है. 21 मई 2018, को टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे ने अपने कर्मचारियों से गांधी जयंती के दिन केवल शाकाहारी भोजन करने की अपील की है.
इंडिया स्पेंड ने नवंबर, 2017 में अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि भारत में वायु प्रदूषण और कुपोषण के बाद मृत्यु और अक्षमता का तीसरा सबसे बड़ा जोखिम कारक फलों, सब्जियों, साबुत अनाज का कम आहार और वसा (फैट) है.
कुपोषण और मोटापा दोनों ही समस्या
भारतीयों के औसत आहार का आकलन करना जरूरी है, क्योंकि कुपोषण और मोटापा दोनों एक समस्या है. देश में 53.7% महिलाएं और 22.7% पुरुष एनीमिक हैं और 22.9% महिलाएं और 20.2% पुरुष दुबले-पतले हैं, जबकि 20.7% महिलाएं और 18.9% पुरुष मोटापे का शिकार हैं.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की हाल में एक ट्वीट को लेकर खूब किरकिरी हुई थी. इस ट्वीट में मंत्रालय ने एक तस्वीर के जरिए शाकाहार को अपनाने की सलाह दी थी. इस तस्वीर में गैर-शाकाहारी खाद्य पदार्थों जैसे अंडे और मांस को जंक फूड के साथ दिखाया गया था, जिसका मतलब है कि दोनों तरह के खानपान से मोटापे बढ़ता है. हालांकि, बाद में मंत्रालय ने यह तस्वीर डिलीट कर दी थी.
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