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वाराणसी में नाविकों ने घेरा क्रूज, बोले- "गंगा में नहीं चलने देंगे वाटर टैक्सी"

Varanasi: नाविकों ने संत रविदास घाट पर खड़े क्रूज को नावों और बजड़ों से घेरकर पुलिस और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की.

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भारत
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पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में वाटर टैक्सी (Varanasi Water Taxi) की लॉन्चिंग से पहले ही नाविकों का आक्रोश देखने को मिल रहा है. मंगलवार, 11 जुलाई को नाविकों ने संत रविदास घाट पर खड़े क्रूज को नावों और बजड़ों से घेरकर पुलिस और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की. उन्होंने गंगा में क्रूज को बंद करने की मांग की और वाटर टैक्सी को लेकर अपना विरोध जताया.

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नाविकों ने मंगलवार शाम से ही बोट राइडिंग बंद कर दी और कहा कि वाटर टैक्सी नहीं चलने देंगे. गंगा के पवित्र जल में वाटर टैक्सी को घुसने भी नहीं देंगे. नाविकों ने गंगा घाट पर सैकड़ों नाव लगाकर विरोध प्रदर्शन किया. जानकारी के बाद मौके पर पहुंचे डीएम ने समझाने की कोशिश की लेकिन नाविक नहीं माने.

क्या है पूरा मामला?

वाराणसी में श्रद्धालुओं और सैलानियों की सुविधा के लिए वाटर टैक्सी की लॉन्चिंग होने वाली है. प्रशासन का दावा है कि इससे सैलानियों को अस्सी से नमो घाट तक आने-जाने में काफी सहूलियत होगी. साथ में समय की भी बचत होगी, लेकिन शासन के इस फैसले से नाविक समाज के लोगों में गुस्सा है.

नाविकों को आशंका है कि वाटर टैक्सी आने से उनका धंधा चौपट हो जाएगा. पब्लिक को ज्यादा सहूलियत मिलेगी तो नाव में कोई बैठेगा ही नहीं. इससे नाविकों को बेरोजगारी का डर सता रहा है. क्रूज के चलने से पहले ही वे लाेग बेहाल हैं.

बिना बोटिंग किए वापस लौटे सैलानी

गंगा घाट पर बोटिंग करने पहुंचे सैलानी विरोध प्रदर्शन देख अचंभित हो गए. हड़ताल की वजह से बिना बोटिंग किए ही वापस लौट गए. उधर, बोट का संचालन ठप होने के बाद वाराणसी के डीएम एस राजलिंगम दशाश्वमेध घाट पहुंचे. नाविकों से बात की, लेकिन समझाने में असफल रहे. नाविक अपनी मांगों पर अड़े रहे.

माझी समाज के अध्यक्ष प्रमोद माझी ने कहा कि जिलाधिकारी संग हुई बातचीत 90 फीसदी विफल रही. बाकी बचे 10 प्रतिशत में कुछ हो नहीं सकता.

वाराणसी में लॉन्च होने वाले वाटर टैक्सी के विरोध में उतरे नाविकों ने कहा कि किसी भी सूरत में गंगा के साथ अब नया प्रयोग नहीं करने देंगे. गंगा में चलने वाला क्रूज पहले ही उनकी आर्थिक स्थिति को नुकसान पहुंचा रहा है. वाटर टैक्सी अब उनकी स्थिति को पूरी तरह से खराब कर देगा. दशाश्वमेध घाट पर जिलाधिकारी व नाविकों संग चली बैठक में जल पुलिस के सामने नाविकों ने पुलिस और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की.

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"पेट के लिए जान दे देंगे, लेकिन पेट पर लात नहीं सहेंगे"

नाविक प्रमोद मांझी ने कहा, "जिला प्रशासन घुमावदार बातें कर रहा है. वें चाहें तो वाटर टैक्सी नाविकों को दे दें. जिला प्रशासन कहना है कि वाटर टैक्सी दान में आई है. इसको चलाएंगे और आगे कोई टैक्सी नहीं आएगी."

उन्होंने आगे कहा कि प्रशासन हमको फांसी दे या गोली मार दे, लेकिन जब तक जिंदा रहूंगा, तब तक कोई ऐसी बात नहीं मानूंगा. अब इनको बात करनी है तो फिर गंगा जी में आना होगा. मैं इनके किसी ऑफिस में नहीं जाऊंगा. काशी में क्या कुकृत्य हुआ है, इसके बारे में दुनिया भर में बताएंगे. किसी भी हाल में पेट पर लात नहीं मारने देंगे.

इनपुट- चंदन पांडेय

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