कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार (24 मई) को राजभवन के एक अधिकारी के खिलाफ एक संविदा महिला कर्मचारी को रोकने के लिए दर्ज की गई एफआईआर की कार्यवाही पर रोक लगा दी, जिसने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस (Governor CV Ananda Bose) पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है.
अधिकारी बंगाल के राज्यपाल के विशेष कर्तव्य अधिकारी (ओएसडी) के रूप में तैनात है.
पुलिस के अनुसार, 2 मई को महिला को गलत तरीके से रोककर राजभवन से जाने से रोकने के आरोप में ओएसडी और दो अन्य का नाम एफआईआर में शामिल किया गया है.
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या कहा?
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल पीठ ने कहा, " सबूत यानी सीसीटीवी फुटेज पहले से ही जांच अधिकारी (आईओ) के पास है. जिस अपराध के लिए याचिकाकर्ता पर मुकदमा चलाया गया, वह गलत तरीके से रोकना और अपराध को बढ़ावा देना है. यह जिक्र किया गया है कि याचिकाकर्ता ने कुछ अन्य लोगों के साथ उसे (महिला कर्मचारी को) वापस (राजभवन) ले जाने की कोशिश की और उसका फोन भी छीन लिया लेकिन वह कमरे से भागने में सफल रही."
क्या शिकायत में बताई गई कंटेंट को गलत तरीके से रोका गया माना जा सकता है, इसका निर्णय लिया जाएगा. इस स्तर पर, ऐसा नहीं लगता कि अगर 17 जून तक अस्थायी रूप से रोक लगा दी गई तो जांच किसी भी तरह से प्रभावित होगी.न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि जब उसका कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया तो वह राज्यपाल के कमरे में अकेली थी और उस स्थिति में याचिकाकर्ताओं के पास "उसे रोकने का कोई अवसर नहीं था क्योंकि उन्हें पता नहीं था कि उसके और राज्यपाल के बीच क्या हुआ था”.
वकील ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं था, जिसे आरोप साबित करने के लिए आवश्यक होगा क्योंकि वह राजभवन परिसर से बाहर निकलने और पुलिस शिकायत दर्ज करने में सक्षम थी.
तर्क का विरोध करते हुए, राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता (AG) किशोर दत्ता ने कहा कि आरोप असंभव थे या नहीं, इसका फैसला उचित स्तर पर किया जा सकता है. उन्होंने कोर्ट से निवेदन किया कि जांच करने की अनुमति दी जाए.
हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस को अब तक की गई जांच की रिपोर्ट, 10 जून को पेश करने को कहा है.
आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, गवर्नर बोस ने कर्मचारियों को बधाई दी और इसे "बुराई पर सच्चाई की जीत" बताया.
राज्यपाल ने एक्स पर लिखा, "राजभवन के अधिकारियों को पहले कोर्ट ने जमानत दे दी (पुलिस की आपत्तियों को खारिज करते हुए) और अब कोर्ट ने इस जटिल जांच को लगभग बंद कर दिया है. सत्य की जीत होगी, भले ही, शुरुआत में बुराई जीत का नाटक करती हुई प्रतीत हो सकती है."
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