नई उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USRBL) परियोजना के माध्यम से कश्मीर को कन्याकुमारी से जोड़ने की प्रक्रिया में भारतीय रेलवे (Indian Railway) के सामने एक चुनौती है - सर्दियों के दौरान शून्य से नीचे तापमान पर पानी और ईंधन को तरल रूप में बनाए रखना. इस समस्या को देखते हुए कपूरथला में रेल कोच फैक्ट्री (RCF) के इंजीनियरों ने शौचालयों और ईंधन टैंकों में बर्फ जमने की समस्या से निपटने के लिए एक स्वदेशी डिजाइन तैयार किया है.
सर्दियों के कारण ट्रेन की टंकियों में पानी जमने के कारण बहुत समस्या होती है: RCF के इंजीनियर
आरसीएफ के मुख्य डिजाइन इंजीनियर अखिलेश मिश्रा ने कहा, एलएचबी डिजाइन कोच भारतीय रेलवे द्वारा प्रमुखता से उपयोग किया जाता है, जिसमें तापमान नियंत्रण प्रणाली नहीं होती है. सर्दियों के मौसम में जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में तापमान शून्य से नीचे आठ से बारह डिग्री सेल्सियस तक नीचे गिर जाता है.
उन्होंने आगे कहा कि, “सर्दियों के कारण अगर टंकियों में पानी जम जाए तो समस्या होती है. फ्लश और शौचालय काम नहीं करेंगे क्योंकि पानी जमने के बाद प्रसारित नहीं होगा. नलों में पानी की आपूर्ति नहीं होगी. एक और बड़ी चुनौती यह है कि अगर पानी की टंकी भरी हुई है, तो इसमें दरारें पड़ने और फटने का खतरा होता है, क्योंकि बर्फ में फैलने की प्रवृत्ति होती है.”
इंजीनियर अखिलेश मिश्रा ने कहा, आरसीएफ ने 450 लीटर से 685 लीटर तक की क्षमता वाले डबल दीवार वाले मिश्रित इंसुलेटेड पानी के टैंक डिजाइन किए हैं. पानी की टंकी दो दीवारों और बीच में फोम की एक इन्सुलेशन परत के साथ होगी जो हवा को रोकेगी. यह 16 से 20 घंटे तक उप-शून्य स्थितियों में पानी को तरल रूप में बनाए रखेगा. इस स्थिति में पानी ठंडा रह सकता है लेकिन जमेगा नहीं.
इंजीनियर मिश्रा ने आगे कहा, आरसीएफ ने पाइपलाइनों में पानी जमने की समस्या से निपटने के लिए रक्षा सेवाओं की प्रौद्योगिकी से एक अन्य तकनीक की नकल की है. जिसमें हम इन्सुलेशन द्वारा कवर किए गए हीटिंग सिस्टम के साथ गर्म पाइप का उपयोग कर रहे हैं. जिसके माध्यम से पानी तरल रूप में पांच से आठ डिग्री सेल्सियस पर ठंडा रहेगा.
जम्मू में कटरा से कश्मीर में बनिहाल तक 111 किलोमीटर लंबा रेलवे खंड अगले साल मार्च से पहले चालू होने की उम्मीद है, जब देश में आम चुनाव होने हैं.
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