प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को महारष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व राजस्व मंत्री और एनसीपी नेता एकनाथ खडसे के दामाद गिरीश चौधरी को गिरफ्तार कर लिया. गिरीश चौधरी की गिरफ्तारी पुणे एमआईडीसी भूमि सौदा से जुड़े मनी लॉन्डरिंग (Money Laundering) मामले में हुई है. गिरीश चौधरी को मंगलवार सुबह पूछताछ के लिए बुलाया गया था और देर शाम तक पूछताछ चलती रही.
क्या है पुणे भूमि सौदा मामला ?
पुणे की MIDC जमीन के खरीदने को लेकर एकनाथ खडसे, पत्नी मंदाकिनी और दामाद गिरीश चौधरी पर कथित अनियमतताओं के आरोप है.
विवादित जमीन तब खरीदी गई थी जब एकनाथ खडसे 2016 में राजस्व मंत्री थे. पुणे पुलिस ने 2017 में प्राथमिकी दर्ज की थी. महारष्ट्र पुलिस के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने वर्ष 2017 में पूर्व राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे, उनकी पत्नी मंदाकिनी, दामाद गिरीश चौधरी ओर मूल भूमि मालिक अब्बास अकानी के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
जमीन एकनाथ खडसे के दामाद ने महज तीन करोड़ रुपये में खरीदी थी. उसी जमीन का स्टांप शुल्क तब करीब 31 करोड़ रुपये था. ईडी को संदेह है कि राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे को पता था कि इस जमीन की कीमत 64 करोड़ रुपये थी. जमीन खडसे के दामाद और पत्नी के नाम है.
ईडी के अधिकारीयों ने गिरीश चौधरी की ओर से दिए गए दस्तावेजों का भी विश्लेषण किया था. ईडी ने इससे पहले जनवरी में एकनाथ खडसे से पुणे एमआईडीसी भूमि सौदा मामले में पूछताछ की थी.
ईडी ने अपनी जांच में पाया कि जमीन खरीदने के लिए इस्तेमाल किए गए 3 करोड़ रुपये शेल कंपनियों से आए थे. इस मामले में 5 शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया गया. इन कंपनियों को भेजे गए समन की डिलीवरी ही नहीं हुई.
खडसे को पहले मिल चुकी है क्लीन चिट
हेमंत गांवडे नाम के सदस्य की ओर से लगाए गए आरोपों पर यह मामला दर्ज किया गया था, जिन्होंने आरोप लगाया था कि खडसे ने भोसरी एमआईडीसी भूमि सौदा मामले में सरकारी खजाने को चपत लगाई थी. साल 2018 में एंटी करप्शन ब्यूरो ने 22 पेज की रिपोर्ट के जरिये खडसे को क्लीन चिट दे दी थी.
बता दें कि बीजेपी से एनसीपी में शामिल हुए एकनाथ खडसे को ईडी ने दिसंबर में नोटिस भेजकर पेश होने के लिए कहा था. बाद में एकनाथ खडसे ने गिरफ्तारी से सुरक्षा कि मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि ईडी ने बीजेपी से एनसीपी में जाने के बाद ये कार्यवाई की है.
हालांकि, एजेंसी ने अदालत को बताया था कि एकनाथ खडसे आरोपी नहीं थे, लेकिन पेश न होना गिरफ्तारी का आधार बन सकता है.
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