एमएनएस ने 2019 का चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पार्टी लगातार कांग्रेस, एनसीपी गठबंधन का हिस्सा बनने की कोशिश कर रही थी.
फरवरी में ही शरद पवार ने साफ कर दिया था कि राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र में महागठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी. लेकिन वोट का बंटवारा रोकने के लिए अजित पवार ने राज ठाकरे से मुलाकात की थी. दो घंटे चली इस मुलाकात के बाद भी एमएनएस के चुनाव लड़ने की स्थिति पर संशय बना हुआ था.
शरद पवार क्यों नहीं चाहते थे राज ठाकरे का साथ?
शरद पवार राजनीति में दूर की सोच रखने वाले नेताओं में गिने जाते हैं. राज ठाकरे को महागठबंधन का हिस्सा न बनाने के पीछे पवार की दूरदर्शी सोच को बताया जा रहा था.
बताया जाता है कि शरद पवार को लगता है कि अगर लोकसभा चुनाव में एमएनएस को साथ लिया, तो विधानसभा चुनाव के वक्त सभी पार्टियों के अलग-अलग चुनावी मैदान में उतरने की सूरत में यह महंगा सौदा साबित हो सकता है.
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मोदी सरकार पर लगातार हमलावर थे राज
राज ठाकरे पिछले कुछ दिनों से लगातार मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे थे. राज ठाकरे ने ये भी दावा किया था कि लोकसभा चुनाव से पहले पुलवामा जैसा एक और हमला हो सकता है. उनका कहना था कि सरकार युद्ध जैसा माहौल बनाकर चुनाव में उपयोग करना चाहेगी. राज ठाकरे का कहना था कि युद्ध के माहौल की आड़ में मुख्य मुद्दे छुप जाएंगे.
उन्होंने सरकार के उस दावे पर भी सवाल उठाए थे जिसमें एयरस्ट्राइक में सैकड़ों आतंकियों के मारे जाने की बात कही जा रही थी. ठाकरे का कहना था कि अगर आतंकी मारे जाते तो विंग कमांडर अभिनंदन वापस नहीं आते.
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