उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सीतापुर (Sitapur) की एक स्थानीय अदालत ने गुरुवार, 7 जुलाई को ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammad Zubair) को उनके ट्वीट के सिलसिले में 8 जुलाई से 14 जुलाई तक पुलिस हिरासत (Zubair In Police Custody) में भेज दिया है.
इन ट्वीट्स में जुबैर ने नफरत फैलाने वाले भाषण के आरोपों का सामना कर रहे हिंदू धर्मगुरुओं को "नफरत फैलाने वाले" (Hate Mongers) बुलाया.
अदालत द्वारा 5 जुलाई को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद से जुबैर फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. कोर्ट का यह फैसाल ऐसे समय में आया जब जुबैर ने 'हेट फैलाने वाले' मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और दावा किया कि उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है.
जुबैर की ओर से सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस ने वेकेशन बेंच जस्टीस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी को मामले में तत्काल सुनवाई करने के लिए अपील की है. मामले की सुनवाई शुक्रवार, 8 जुलाई को हो सकती है.
जुबैर के वकील गोंजाल्विस ने कहा कि "जुबैर ऑल्ट न्यूज में को-फाउंडर है. उनका काम फेक न्यूज का पर्दाफाश करना है. नफरत वाले भाषण की पहचान करने का काम है. एफआईआर को देखें तो कोई क्राइम नहीं किया गया है. अग्रिम जमानत हाई कोर्ट से नहीं मिली उन्हें अग्रिम जमानत की दरकार है. उन्हें जान का खतरा है. इसलिए केस जल्द लिस्ट किया जाए."
जुबैर के समर्थन में आए जर्मनी के बयान के खिलाफ भारत ने क्या कहा?
फैक्ट-चेकर मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर जर्मन विदेश मंत्रालय की टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, भारत सरकार ने आज इसे अपना "एक आंतरिक मुद्दा" कहा है. भारत सरकार की ओर से कहा गया कि यह मामला अदालत में चल रहा है इसलिए इस पर टिप्पणी करने की आवश्यकता नहीं है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "यह हमारा आंतरिक मामला है. मामला अदालत के समक्ष है. हमारी कानूनी व्यवस्था स्वतंत्र है. इस पर कोई भी टिप्पणी अनुपयोगी है. यह सही नहीं है."
जर्मन विदेश मंत्रालय ने मोहम्मद जुबैर की नजरबंदी पर तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया था. जर्मन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि, "स्वतंत्र रिपोर्टिंग किसी भी समाज के लिए फायदेमंद है और इस पर लगे प्रतिबंध चिंता का कारण हैं. पत्रकारों को उनके कहने और लिखने के लिए सताया और कैद नहीं किया जाना चाहिए. हम वास्तव में इस मामले से अवगत हैं और नई दिल्ली में हमारा दूतावास इसकी बहुत बारीकी से निगरानी कर रहा है."
जर्मन प्रवक्ता ने कहा, "भारत खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताता है. इसलिए कोई भी उम्मीद कर सकता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों को वहां आवश्यक स्थान दिया जाएगा."
बता दें कि 27 जून 2018 को किए गए एक ट्वीट को लेकर जुबैर को दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था. इससे कुछ दिन पहले, उन्होंने एक टीवी शो में पैगंबर मुहम्मद पर बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नुपुर शर्मा की विवादास्पद टिप्पणियों को उठाया था. 2 जुलाई को, पुलिस ने जुबैर के खिलाफ FCRA के तहत एक अतिरिक्त आरोप जोड़ा था.
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