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Kanpur Violence: PFI से तार जुड़ने की आशंका, जिसे कई बार बैन करने की उठी मांग

Yogi Government ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर बैन लगाने की सिफारिश की है.

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न्यूज
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कानपुर हिंसा (Kanpur Violence) मामले में पुलिस ने कई लोगों पर FIR दर्ज कर, कई अरोपियों समेत हयात जफर हाशमी को भी गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि इस हिंसा से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडया (PFI) का भी कनेक्शन ह

सूफी खानकाह एसोसिएशन ने कहा कि इसके पीछे PFI कनेक्शन है. उनका आरोप है कि, PFI ने स्थानीय अपराधियों की मदद से हिंसा फैलाई है. लेकिन क्या है PFI, जिसे पहले कई बार बैन करवाने की मांग उठ चुकी है.

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PFI यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को एक चरमपंथी इस्लामी संगठन माना जाता है. PFI का गठन 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के मुख्य संगठन के तौर पर किया गया था. संगठन का मुख्यालय नई दिल्ली में है. NDF के अलावा कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी, तमिलनाडु के मनिथा नीति पासराई , गोवा के सिटिजन्स फोरम , राजस्थान के कम्युनिटी सोशल एंड एजुकेशनल सोसाइटी , आंध्र प्रदेश के एसोसिएशन ऑफ सोशल जस्टिस समेत अन्य संगठनों के साथ मिलकर PFI ने कई राज्यों में अपनी पकड़ बनाई है.

PFI का विवादों से नाता पुराना है. 2012 में केरल हाईकोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान वहां की सरकार ने कहा था कि PFI की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं. इसके अलावा हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, NIA ने PFI को कम से कम चार मामलों में नामजद किया है.

केंद्रीय एजेंसियों के साथ यूपी पुलिस ने जो इनपुट शेयर किए हैं और गृह मंत्रालय के मुताबिक, यूपी में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, वाराणसी, आजमगढ़ और सीतापुर क्षेत्रों में PFI सक्रिय रहा है.

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 PFI को बैन करने की मांग कई बार उठी

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर बैन लगाने की सिफारिश कर चुकी है. ऐसा कहा जा रहा है कि राज्य में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा भड़काने में PFI शामिल रहा है.

केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने भी इस पर एक्शन की बात कही थी. उन्होंने कहा था, "हिंसा में PFI की भूमिका सामने आ रही है. सबूतों के आधार पर गृह मंत्रालय आगे एक्शन पर फैसला लेगा. इस संगठन पर स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से तार जुड़े होने के भी काफी आरोप हैं."

यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने तब कहा था कि, राज्य सरकार संगठन को बैन करने के फेवर में है. मौर्य ने कहा, कई SIMI कार्यकर्त्ता अब PFI में हैं और राज्य में हिंसा भड़काने में शामिल रहे हैं. प्रदर्शनों के दौरान संगठन के करीब 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. PFI यूपी समेत 7 राज्यों में एक्टिव है.

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अक्टूबर 2017 में भी गृह मंत्रालय द्वारा PFI पर प्रतिबंध लगाने के बारे में निर्णय लेने के लिए कई बैठकें आयोजित की गईं थीं. मंत्रालय ने उन सभी मामलों की भी समीक्षा की जिनमें पीएफआई के सदस्य शामिल थे.

मंत्रालय ने बैन लगाने पर चर्चा के पीछे वजह बताई की पीएफआई के कई सदस्यों के खिलाफ UAPA के तहत मामलें दर्ज हैं. लेकिन अब तक मंत्रालय ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया.

असम के एडीजीपी (स्पेशल ब्रांच) हिरेन नाथ ने कहा कि, PFI असम में पैर जमाने की कोशिश में है. हमने पीएफआई के खिलाफ 16 और सीएफआई के खिलाफ 2 मामले दर्ज किए हैं. उनका काम देश भर में होने वाली किसी भी घटना पर प्रदर्शन करना है, भले ही उसका राज्य से कोई लेना-देना न हो.

वहीं पीएफआई उन पर लगे तमाम आरोपों से इनकार करता आया है.

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