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लालू यादव पर CBI का छापा, नीतीश की आपात बैठक, आखिर बिहार में चल क्या रहा है?

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव जातीय जनगणना मामले पर एक साथ खड़े नजर आ रहे हैं.

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दरअसल, 20 मई को जब सुबह की चाय और नाश्ते का वक्त हो रहा था तब बिहार से लेकर दिल्ली में लालू यादव के घर पर सीबीआई की टीम पहुंच गई. चाय पीने नहीं बल्कि सर्च के लिए. मामला 13 साल पुराने रेलवे भर्ती बोर्ड में घोटाले से जुड़ा है. जब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री हुआ करते थे. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार का नया मामला दर्ज किया है. आरोप है कि 2004 से 2009 के बीच जब लालू रेलमंत्री थे, उस दौरान जॉब लगवाने के बदले में जमीन और प्लॉट लिए गए थे.

कुछ दिन से बदल रही थी सियासी हवा

लेकिन अब सीबीआई के इस छापे पर सवाल उठ रहे हैं. सवाल इसलिए भी ज्यादा अहम हो जाते हैं क्योंकि पिछले कुछ दिनों से बिहार में राजनीतिक हलचल एक अलग दिशा पर दिख रही है. इस दिशा को आप आरजेडी नेता और राज्यसभा सासंद मनोज झा के बयान से भी समझ सकते हैं, मनोज झा कह रहे हैं कि 'दूसरी तरफ गोलबंदी होते देख डराने की कोशिश हो रही है.'

ऐसे में अब ये भी सवाल है कि इस गोलबंदी का क्या मतलब है और क्या एकाएक हरकत में आयी सीबीआई के सहारे पर्दे के पीछे कोई दूसरा खेल खेला जा रहा है? आइए समझते हैं कि क्यों मनोज झा सीबीआई को तोता कह रहे हैं और क्यों ये छापेमारी सवालों के घेरे में है.

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बिहार की सियासत में क्या कुछ बदलने वाला है? ये सवाल इसलिए क्योंकि बिहार में 20 मई बेहद बिजी दिन रहा. सुबह-सुबह सीबीआई (CBI) लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) के घर पर छापा मारने पहुंच गई. शाम होते-होते नीतीश (Nitish Kumar) ने पार्टी की आपात बैठक बुला ली. और इस बीच आरजेडी नेता प्रवक्ता मनोज झा और उसके बाद जेडीयू के मंत्री जमान खान ने बड़े बयान दे डाले.

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इफ्तार पर मिले 'गले'

पिछले दो महीने से बिहार की राजनीति में एक के बाद एक कई रोचक घटनाएं हुई हैं. ईद से पहले ही रमजान के महीने में नीतीश और तेजस्वी 'गले' लगते नजर आए. दरअसल, करीब पांच साल बाद राबड़ी आवास पर इफ्तार पार्टी रखी गई थी, तेजस्वी यादव ने इसी इफ्तार की दावत नीतीश कुमार को दी, और नीतीश कुमार दावत में शामिल हुए.

यही नहीं फिर नीतीश ने भी दावत पर दावत दी. नीतीश की पार्टी जेडीयू द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में तेजस्वी यादव और तेज प्रताप भी पहुंचे. लेकिन बात यहीं तक नहीं रही, इफ्तार के बाद नीतीश कुमार तेजस्वी को खुद उनकी कार तक छोड़ने आए. मीडिया में तस्वीरें भी आई.

लेकिन बिहार का सियासी पारा तब और चढ़ गया जब तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर पटना से दिल्ली तक पैदल मार्च करने का एलान किया और थोड़े देर बाद ही नीतीश कुमार के आवास पहुंच गये. बताया जाता है कि दोनों के बीच बंद कमरे में बातचीत हुई. अब वो दिन है और आज का दिन, तेजस्वी नीतीश पर नर्म नजर आने लगे.

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JDU की आपात बैठक

इन सारी घटनाओं के बाद 20 मई को बिहार में जो हुआ उससे कयासों का बाजार और गर्म हो गया. नीतीश ने अपने आवास पर एक आपात बैठक बुलाई. इसमें पार्टी के अध्यक्ष ललन सिंह समेत बड़े नेताओं के साथ ही बिहार सरकार में शामिल जेडीयू के मंत्री भी शामिल हुए. बैठक से निकल कर मंत्री जमान खान ने कहा-

हमने कोई भी फैसला लेने के लिए नीतीश कुमार और पार्टी अध्यक्ष को अधिकृत कर दिया है.

हालांकि जमान ने ये नहीं बताया कि किस बात पर फैसले के लिए. अब यहीं से कयासों को और हवा मिल गई है. उधर हमने आपको पहले ही बताया कि मनोज झा भी गोलबंदी की बात कर रहे हैं. अब इसी गोलबंदी से क्या सीबीआई छापेमारी से कोई रिश्ता है?

साल 2017 में CBI की कार्रवाई के बाद नीतीश-लालू हुए थे अलग

सीबीआई की इस तरह की कार्रवाई पहली बार नहीं है. साल 2017 में भी कुछ ऐसा ही हुआ था. लालू के रेल मंत्री पद से हटने के 8 साल बाद साल 2017 में अचानक से रेलवे भर्ती बोर्ड में घोटाले का मामला उठा था. जिसकी कीमत तेजस्वी को अपनी कुर्सी गंवाकर चुकानी पड़ी थी.

2017 में जब सीबीआई ने इस मामले को उठाया था तब बिहार में नीतीश कुमार और लालू यादव मिलकर सरकार चला रहे थे और तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम थे. तब तेजस्वी यादव भी रेलवे भर्ती घोटाले मामले में आरोपी बनाए गए थे. तेजस्वी यादव पर आरोप था कि लालू ने उनके नाम पर भी अवैध संपत्ति लिखवायी है. इसी मामले पर नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करने का हवाला देते हुए आरजेडी से गठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाई थी.

लेकिन घड़ी का कांटा एक बार फिर घूमता दिख रहा है और तेजस्वी-नीतीश कई मुद्दों पर साथ नजर आते दिखते हैं.

अब इस सीबीआई छापे से सवाल ये भी उठता है कि क्या बीजेपी तेजस्वी के साथ-साथ नीतीश को भ्रष्टाचार से समझौता न करने वाली बात याद दिलाना चाह रही है? क्या बीजेपी नीतीश को संदेश देना चाहती है कि हमसे बगावत का नतीजा मुश्किल खड़ी कर देगा?

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