सोमवार को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक है, जिसमें पार्टी के सभी मुख्यमंत्रियों को शामिल होना है, इससे पहले ही एक 'लेटर' की बात सामने आने के बाद पार्टी नेतृत्व को लेकर कई तरह के 'सवाल-राय-बहस' सामने आ रहे हैं. ऐसी भी खबरें सामने आ रही थीं कि सोनिया गांधी ने कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की है. लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ऐसी रिपोर्ट्स को खारिज किया है. ये सब बातें तब सामने आने लगीं जब इंडियन एक्सप्रेस ने एक खबर प्रकाशित की, जिसमें लिखा गया है कि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने एक चिट्ठी लिखकर कांग्रेस में ऊपर नीचे तक बदलाव की मांग की है. अब स्थिति ये है कि कई कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और कुछ नेता चिट्ठी लिखकर कांग्रेस नेतृत्व में अपने भरोसे की बात कर रहे हैं, इनमें से ही कुछ राहुल गांधी के अध्यक्ष पद पर वापसी की अपील कर रहे हैं.
अशोक गहलोत, सीएम, राजस्थान
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का कहना है कि 23 वरिष्ठ कांग्रेस नेताओ के समाचार अविश्वसनीय है, और अगर यह सच है तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मीडिया में जाने की कोई जरूरत नहीं है. गहलोत का कहना है कि सोनिया गांधी को पार्टी का नेतृत्व करते रहना चाहिए, उन्होंने राहुल गांधी से दोबारा अध्यक्ष बनने की भी अपील की है.
इस निर्णायक मोड़ पर जहां लड़ाई हमारे लोकतंत्र के लोकाचार को बचाने की है, उन्होनें हमेशा चुनौतियों का सामना किया है , लेकिन अगर उन्होंने अपना मन बना लिया है -तो मेरा मानना है कि, राहुल गांधी जी, को आगे आना चाहिए और कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहिए ,क्योंकि देश को हमारे संविधान लोकतंत्र को बचाने के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.अशोक गहलोत, सीएम, राजस्थान
भूपेश बघेल, सीएम, छत्तीसगढ़
भूपेश बघेल का कहना है कि पार्टी के अंदर कुछ नेता वैचारिक असहमति जता रहे हैं लेकिन इस वक्त सभी को एकजुट रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में सभी फैसले लोकतांत्रिक तरीके से ही लिए जाते हैं. राहुल गांधी के कार्यकाल के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए भघेल ने राहुल गांधी से अध्यक्ष पद संभालने का आग्रह किया है.
आपसे अनुरोध है कि असहमति के स्वरों के बीच अविचलित रहते हुए देश को नई दिशा दिखायें और कांग्रेस का नेतृत्व फिर से संभालें.भूपेश बघेल, सीएम, छत्तीसगढ़
बालासाहेब थोरात, अध्यक्ष, महाराष्ट्र कांग्रेस
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष ने भी एक लेटर जारी कर राहुल गांधी से अध्यक्ष पद संभालने की अपील की है, उन्होंने ये कहा है कि सोनिया गांधी को तब तक अंतरिम अध्यक्ष पद पर बने रहना चाहिए, जब तक राहुल गांधी पद नहीं संभाल लेते.
राहुल जी को अब कांग्रेस का नेतृत्व करना चाहिए. उनकी भावनाओं के सम्मान करते हुए हम कहना चाहेंगे, ‘कम बैक, राहुल जी’.बालासाहेब थोरात, अध्यक्ष, महाराष्ट्र कांग्रेस
असम, कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्षों ने क्या कहा?
असम कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी देने का अनुरोध किया ताकि वे पार्टी का नेतृत्व कर सकें और बीजेपी और RSS से सामने से लड़ सकें. कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए कहा है कि संकट के समय सोनिया पार्टी का नेतृत्व कर रही हैं, कोई भी पक्ष पार्टी के फोरम पर रखा जाना चाहिए न कि मीडिया में.
सलमान खुर्शीद, वरिष्ठ नेता, कांग्रेस
सलमान खुर्शीद का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष बनना ये राहुल गांधी का फैसला होगा. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि वो चाहते हैं कि राहुल गांधी अध्यक्ष बनें
कांग्रेस को नेतृत्व की समस्या नहीं है, आज हम सत्ता में नहीं हैं इसके बहुत से कारण हैं. लेकिन सत्ता में न होना और नेता न होने में बहुत अंतर है, हमारा अगर किसी में विश्वास है तो वो हमारा नेता है.सलमान खुर्शीद, वरिष्ठ नेता, कांग्रेस
लेटर का समय संदेहास्पद है: अश्विनी कुमार
वरिष्ठ नेता अश्वनी कुमार ने लेटर के पीछे की वजह को 'संदेहास्पद' बताया और कहा कि एक साल पहले ही नेताओं ने सोनिया गांधी से पार्टी का नेतृत्व करने की 'याचना' की थी. कुमार ने ANI से कहा, "लेटर का समय और इसकी प्रेरणा संदेहास्पद है. हालांकि, कुछ पुराने कांग्रेसी नेताओं ने इस पर साइन किए हैं, लेकिन कुछ ने पार्टी को बार-बार नुकसान पहुंचाया है." उन्होंने कहा, "सोनिया गांधी ने पार्टी को मुश्किल समय में संभाला है और उनके नेतृत्व में भी दिक्कतों का हल हो सकता है. सिर्फ एक साल पहले, पार्टी के लोग उनसे नेतृत्व की भीख मांग रहे थे. अब उनके नेतृत्व पर सवाल उठाना गलत है."
ये इन मुद्दों का वक्त नहीं : अमरिंदर सिंह
लेटर पर पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि कुछ नेताओं ने पार्टी नेतृत्व पर जो सवाल उठाए हैं, उसके लिए ये सही वक्त नहीं है. ये वक्त है बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ मजबूत विपक्ष के तौर पर खड़े होने की, जिसने देश के संवैधानिक और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को ध्वस्त कर दिया है.
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