त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस ने 2019 के लिए नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. इस साल के अंत में होने वाले मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ साल 2019 में होने वाले आम चुनाव के लिए बीजेपी से मुकाबले के लिए कांग्रेस अभी से ही जुट गई है.
कांग्रेस ने अपनी तैयारी के तहत कृषि, रोजगार और गरीबी से जुड़े मुद्दों को उठाने का फैसला लिया है.
कांग्रेस के पूर्ण अधिवेशन में बनेगी रणनीति
पार्टी सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में 16 से लेकर 18 मार्च तक होने वाले कांग्रेस के पूर्ण अधिवेशन के लिए कृषि, रोजगार और गरीबी उन्मूलन संबंधी मुद्दों को लेकर एक अलग से प्रस्ताव पारित किया जाएगा.
2010 में हुए अंतिम पूर्ण अधिवेशन के दौरान कृषि और रोजगार के मुद्दे आर्थिक प्रस्ताव का हिस्सा थे. कांग्रेस ने हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्दर सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में कृषि, रोजगार और गरीबी उन्मूलन को लेकर एक 9 सदस्यीय उप-समूह भी बनाया है. पार्टी नेता मीनाक्षी नटराजन उप-समूह की संयोजक हैं.
कृषि और बेरोजगारी पर नया प्रस्ताव
नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर पार्टी के एक सीनियर लीडर ने बताया, ‘‘इस समय देश में किसान संकट में हैं. कृषि संकट को देखते हुये एक अलग प्रस्ताव पारित किए जाने की जरूरत है जो इस बारे में पार्टी की भावी गतिविधियों के लिए दिशानिर्देश दे सकेगा.'' उन्होंने कहा कि यह पहला अवसर नहीं है जब कृषि और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर पार्टी एक अलग प्रस्ताव पारित करेगी. कांग्रेस ने साल 2001 में भी ऐसा ही प्रस्ताव पारित किया था.
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नेता ने दावा किया, ‘‘जब हम 2014 तक सत्ता में थे, तब हमने किसानों और कृषि संकट से निपटने के लिए काफी उपाय किये थे. जब हमारा पिछला अधिवेशन हुआ था तब स्थिति बेहतर थी.’’
पार्टी के एक अन्य करीबी सूत्र ने बताया कि पिछले करीब तीन साल में रोजगार और गरीबी उन्मूलन के मुद्दे ‘चरम' पर आ गए हैं. उन्होंने बताया, ‘‘सरकार के नोटबंदी और जीएसटी के दोहरे झटके के कारण अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है. हमें इन मुद्दों को लेकर लोगों के पास जाना होगा.''
नेता ने कहा कि पार्टी पहले ही युवा और पहली बार मतदान करने जा रहे मतदाताओं तक रोजगार सहित संबंधित मुद्दों को लेकर संपर्क कर रही है.
(इनपुटः PTI)
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