ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों पर दिल्ली और केंद्र सरकार आमने-सामने है. पहले दिल्ली के सीएम मनीष सिसोदिया ने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी तरफ से ऑक्सीजन मौतों को लेकर कोई डेटा नहीं मांगा गया और सरकार झूठ बोल रही है. वहीं अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने दिल्ली सरकार को भेजा गया मेल पोस्ट किया है और कहा है कि अब भी मौका है, दिल्ली सरकार हमें आंकड़े दे सकती है.
सिसोदिया ने कहा था- हमसे नहीं मांगा गया कोई डेटा
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन के लिए तड़पते और इधर-उधर भागते हजारों लोगों को देश ने देखा. राज्य ऑक्सीजन को लेकर एक दूसरे से लड़ने लगे थे. लेकिन जब संसद में कहा गया कि ऑक्सीजन से किसी भी मरीज की मौत का कोई आंकड़ा सरकार के पास नहीं है, तो इस पर लोगों ने जमकर गुस्सा जाहिर किया. इसके बाद सरकार ने राज्यों से आंकड़े मांगने की बात कही. लेकिन अब केंद्र सरकार ने बताया है कि राज्यों से आंकड़े मांगे गए थे, लेकिन अब तक सिर्फ 1 ही राज्य (पंजाब) ने संदिग्ध मौत की जानकारी दी है.
लेकिन सरकार के ऐसा कहते ही दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया सामने आए और उन्होंने कहा कि हमसे केंद्र ने ऐसा कोई डेटा नहीं मांगा है. उन्होंने कहा था कि,
"ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का सच दिल्ली सरकार सामने लाएगी. केंद्र सरकार को स्वतः रिपोर्ट सौंपी जाएगी. ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के आंकड़ों को लेकर केंद्र सरकार झूठ और भ्रम फैला रही है."
सिसोदिया ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने उन्हें इसे लेकर कोई चिट्ठी नहीं भेजी है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने बहुत पहले ही दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की के ऑडिट के लिए जांच कमिटी का गठन किया था, लेकिन केंद्र सरकार के कहने पर उपराज्यपाल द्वारा उसे खारिज कर दिया गया. ये दिखाता है कि केंद्र सरकार न तो राज्यों से कुछ पूछ रही है और न ही राज्यों को काम करने देती है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बोले- 26 जुलाई को भेजा था मेल
अब मनीष सिसोदिया के इन आरोपों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने एक ट्वीट किया है. जिसमें उन्होंने ई-मेल का स्क्रीनशॉट शेयर किया है. मांडविया ने दावा किया है कि ये ई-मेल दिल्ली सरकार को 26 जुलाई को ही भेज दिया गया था. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा,
"माननीय सिसोदिया जी, 26 जुलाई को मेरे मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को जो मेल भेजा है, ये रही उसकी कॉपी. अभी भी देरी नहीं हुई है! 13 अगस्त तक आप डेटा भेज सकते हैं, ताकि हम प्रश्न का उत्तर संसद को भेज सकें. अपने अधिकारियों से समीक्षा करके जरूरी डाटा जल्द से जल्द भिजवाने की कृपा करें."
ऑक्सीजन की कमी से मौतों पर जमकर राजनीति
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रही है. क्योंकि केंद्र ने ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों को लेकर संसद में पल्ला झाड़ लिया था. साथ ही कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत ही नहीं हुई. राज्यों की तरफ से आने वाले डेटा में इसका कोई भी जिक्र नहीं था. लेकिन अब सरकार और खुद स्वास्थ्य मंत्री की तरफ से जवाब दिया गया है. फिलहाल दिल्ली सरकार का इसे लेकर कोई जवाब नहीं आया है. कुल मिलाकर ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों पर राजनीति शुरू हो चुकी है.
बता दें कि अप्रैल और मई में दिल्ली समेत कई राज्यों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत देखी गई. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लोगों का ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा, लेकिन अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई कम थी. देशभर से कई रिपोर्ट्स में बताया गया कि अलग-अलग अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से कोरोना मरीजों की मौत हुई हैं. ऑक्सीजन के लिए मचा हाहाकार आज भी लोगों की यादों में है. लेकिन अब केंद्र और राज्य सरकारों ने ये मानने से इनकार कर दिया है कि ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मौत हुई थी.
हालांकि पंजाब ने कहा है कि अमृतसर के एक प्राइवेट अस्पताल में 6 लोगों की मौत ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई थी. इसके अलावा राज्य में कोई मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई.
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