गुजरात में होने वाले चुनावों के लिए कांग्रेस अपने उपाध्यक्ष राहुल गांधी के प्रचार का सहारा ले रही है. साथ ही जातिगत नेताओं के सहारे उन 9 प्रतिशत मतों के अंतर को पाटने की कोशिश में लगी है जिनसे बीजेपी पिछले चुनाव में विजेता रही थी.
वहीं दूसरी ओर दो दशक से गुजरात की सत्ता पर काबिज बीजेपी को न केवल विश्वास है कि वह 2012 के अपने पुराने आधार को बरकरार रखने रखने में सफल होगी, बल्कि वो अपना वोट आधार भी बढ़ा रही है.
कांग्रेस को सहयोगी पार्टियों से फायदे की उम्मीद
कांग्रेस को उम्मीद है कि राहुल की रैलियों में उमडने वाली भीड़ उनके पक्ष में वोटिंग करेगी. साथ ही नए स्थानीय सहयोगियों से पार्टी को अलग से फायदा होगा. ये सहयोगी हैं-पाटीदार कोटा आंदोलन के हार्दिक पटेल, ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर और दलित कार्यकर्ता जिग्नेश मेवानी. ठाकोर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं वहीं हार्दिक पटेल ने मुख्य विपक्षी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की है.
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चुनाव आयोग के 2012 गुजरात विधानसभा चुनाव के आकड़ों के मुताबकि, उस वक्त बीजेपी को 47.85 प्रतिशत मत मिले थे, वहीं कांग्रेस को 38.93 प्रतिशत मत मिले थे. दोनों पार्टियों के बीच 8.92 प्रतिशत मतों का फासला था. फिलहाल मौजूद मतदाता सूची के अनुसार गुजरात में 4.35 कारोड़ मतदाता हैं.
कांग्रेस का दावा, कांटे की टक्कर
गुजरात कांग्रेस प्रदेश कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष कुवंरजीभाई बवालिया के मुताबिक इस बार पार्टी बीजेपी को कांटे की टक्कर दे रही है. उन्होंने कहा, “हमारा अपना प्रचार, हार्दिक पटेल की पाटीदार समुदाय में स्वीकार्यता और ओबीसी, दलितों में अल्पेश और जिग्नेश का प्रभाव, ये सब कड़ी चुनौती पेश करेंगे.”
लेकिन बीजेपी कांग्रेस के दावे को मानने के लिए राजी नहीं है. गुजरात बीजेपी के प्रवक्ता हरशद पटेल ने कहा, 2012 के चुनाव के बाद 2014 में आम चुनाव हुए जिसमें अनेक विधानसभाओं में बीजेपी को बड़ी जीत मिली थी. गुजरात में दो चरण में 9 और 14 दिसंबर को मतदान होना है. मतगणना 18 दिसंबर को होगी.
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(इनपुटः PTI से)
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