हिमाचल की सर्द पहाड़ियों में चुनावी सरगर्मी (Himachal Assembly Election 2022) बढ़ रही है. सभी प्रमुख पार्टियों ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिये हैं. कांग्रेस (Congress) ने भी बाकी बची 5 सीटों में से 4 पर उम्मीदवार उतार दिये हैं. एक हमीरपुर सीट अभी भी ऐसी है जहां कांग्रेस उम्मीदवार नहीं उतार पाई है. अब कुल मिलाकर कांग्रेस ने 68 विधानसभा सीटों में से 67 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिये हैं.
कांग्रेस ने आज जिन चार नामों का ऐलान किया है उनमें जयसिंहपुर जो कि सुरक्षित सीट है वहां से यादविंदर गोमा को टिकट दिया है. मनाली से भुनेश्वर गौड़, पौंटा साहिब से कृनेश जंग और किन्नौर से जगत सिंह नेगी को मैदान में उतारा है.
जगत सिंह नेगी ने आखिरकार बाजी मारी
जगत सिंह नेगी को कांग्रेस ने तीसरी लिस्ट में किन्नौर से टिकट दिया है वो इसी सीट से मौजूदा विधायक हैं. मौजूदा वक्त में विधायक होने के बाद भी ये टिकट इसलिए होल्ड पर था क्योंकि युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष निगम भंडारी यहां से टिकट के लिए दावेदारी पेश कर रहे थे. इस खींचतान के बीच यहां के जिलाध्यक्ष उमेश नेगी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि अगर जगत सिंह नेगी का टिकट कटा तो जिला कांग्रेस कमेटी सामूहिक इस्तीफा दे देगी. वैसे भी कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी ने ये प्रस्ताव पास किया था कि सभी सिटिंग विधायकों को टिकट दिया जाए.
सभी मौजूदा विधायकों को कांग्रेस ने टिकट दिया
कांग्रेस ने अपने सभी मौजूदा विधायकों को फिर से टिकट देकर उन पर भरोसा जताया है. किन्नौर पर फंसा पेंच भी अब निकल गया है. जगत सिंह नेगी इकलौते ऐसे विधायक थे जिनकी टिकट दूसरी लिस्ट के बाद भी कांग्रेस ने रोक रखी थी. अब स्थिति ऐसी है कि कांग्रेस ने अपने सभी 20 विधायकों को दोबारा मैदान में उतारा है.
बड़े नेताओं के क्यों कटे टिकट?
कुलदीप कुमार
कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री कुलदीप कुमार को टिकट नहीं दिया है. ये सबसे चौंकाने वाला फैसला है, वो चिंतपूर्णी से टिकट के दावेदार थे. यहां से पार्टी ने कांग्रेस सेवादल यंग ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष सुदर्शन सिंह बबलू को उतारा है. दरअसल सुदर्शन सिंह बबलू को जब पहली लिस्ट में टिकट नहीं दिया गया था तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.
दो विधायकों का भी पत्ता साफ
कांग्रेस हाईकमान ने गगरेट विधानसभा सीट से पूर्व विधायक राकेश कालिया का टिकट काट दिया है. इसके अलावा सुलह विधानसभा सीट से पूर्व विधायक जगजीवन पाल का टिकट भी काटा गया है. इन दोनों सीटों पर पार्टी को बगावत झेलनी पड़ सकती है. पच्छाद सीट से भी कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और विधायक रहे गंगूराम मुसाफिर का टिकट काटा है.
गगरेट विधानसभा से कांग्रेस ने हाल ही में पार्टी ज्वाइन करने वाले युवा नेता चैतन्य शर्मा को टिकट दिया है.
गंगूराम मुसाफिर ने की बगावत
पच्छाद विधानसभा सीट से टिकट कटने के बाद गंगूराम मुसाफिर ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. उनके समर्थन में करीब 1000 कांग्रेस पदाधियकारियों ने इस्तीफे भी दिये हैं. हालांकि इन्होंने पार्टी को अल्टीमेटम दिया है कि अगर 25 अक्टूबर तक पच्छाद सीट पर टिकट नहीं बदला गया तो गंगूराम मुसाफिर निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. अगर ऐसा होता है तो इस सीट कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी हो सकती है. क्योंकि मुसाफिर पुराने नेता हैं. करीब 40 साल की उनका राजनीतिक करियर है.
उन्होंने 1982 में पहली बार निर्दलीय चुनाव जीता था. फिर 1985 में कांग्रेस के टिकट पर भी चुनाव जीता. और राज्य वन मंत्री, सहकारिता मंत्री, परविहन मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष भी रहे. कुल मिलाकर उन्होंने पच्छाद विधानसभा सीट से 7 बार चुनाव जीता. फिर सवाल उठता है कि उनका टिकट क्यों कटा तो मुसाफिर 2009 में लोकसभा चुनाव हारे, 2012, 2017 और 2019 में विधानसभा चुनाव भी हारे. इसके बाद 2019 में ही उपचुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
हमीरपुर में क्यों फंसा है पेंच?
दरअसल हमीरपुर विधानसभा सीट से कारोबारी आशीष शर्मा कांग्रेस का टिकट मांग रहे थे. लेकिन हमीरपुर जिले के युवा इंटक, कांग्रेस सेवादल और युवा कांग्रेस के लगभग 150 पदाधिकारियों ने आपात बैठक बुलाकर हाईकमान से हमीरपुर संगठन से किसी को टिकट देने की मांग की थी. पार्टी के जिला कार्यकर्ताओं का कहना था कि, अगर संगठन से बाहर के किसी व्यक्ति को टिकट मिला तो वो चुनाव में समानांतर प्रत्याशी उतारेंगे. और आशीष शर्मा की की जमानत जब्त करवएंगे. इसके बाद आशीष शर्मा ने कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला से शुक्रवार को मुलाकात की. इन दोनों के बीच क्या बात हुई वो तो पता नहीं लेकिन आशीष शर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. और कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.
नई प्रदेश अध्यक्ष के लिए चुनौती
कांग्रेस ने इसी साल अप्रैल में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा वीरभद्र को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. क्योंकि कुलदीप राठौर का कार्यकाल पूरा हो गया था. अब चुनाव की चुनौति से पहले प्रतिभा वीरभद्र के लिए बगावत को रोकने और डैमेज कंट्रोल की चुनौति है. बगावत से जितना कम डैमेज होगा उतना कांग्रेस के लिए फायदा होगा. क्योंकि उन्हें ताकतवर बीजेपी से लड़ना है जो पूरी ताकत के साथ चुनाव में उतरी है.
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