ADVERTISEMENTREMOVE AD

योगी की सरकार में मोदी के भरोसेमंद एके शर्मा? आखिर माजरा क्या है?

खुद एके शर्मा ने राजनीति में लाने के लिए मोदी जी का शुक्रिया अदा किया है.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

गुजरात से दिल्ली तक मोदी के साथ रहे पूर्व IAS अफसर एके शर्मा अब योगी के राज्य में हैं. एके शर्मा ने लखनऊ में बीजेपी ज्वाइन कर ली है. चर्चा है कि वो यूपी में MLC चुनाव लड़ेंगे. लेकिन सवाल ये है कि पीएम मोदी के विश्वासपात्र रहे सीनियर अफसर एके शर्मा को यूपी में MLC चुनाव लड़ाने का क्या मकसद हो सकता है? खुद एके शर्मा ने राजनीति में लाने के लिए मोदी जी का शुक्रिया अदा किया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
बीजेपी ज्वाइन कर रहा हूं. पार्टियां तो बहुत हैं. मैं पिछड़े गांव का रहने वाला हूं. जिसका कोई सियासी बैकग्राउंड न हो उसको राजनीति में लाना केवल मोदी जी ही कर सकते हैं. 
बीजेपी ज्वाइन करने पर एके शर्मा

VRS और पार्टी ज्वाइन करने में हफ्ते भर का अंतर भी नहीं

एके शर्मा को रिटायरमेंट के बाद विश्वासपात्र होने का कोई इनाम मिला हो ऐसी बात भी नहीं है. उन्होंने जुलाई, 2022 में नौकरी खत्म होने से करीब डेढ़ साल पहले 11 जनवरी, 2021 को ही VRS लिया है. शर्मा जी MSME मंत्रालय में सचिव थे. जाहिर है सबकुछ एक प्लान के तहत हो रहा है. यूपी के सियासी हलकों में चर्चा है कि शर्मा जी को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है और उन्हें गृह विभाग का जिम्मा भी दिया जा सकता है. ये महकमा फिलहाल योगी जी के पास है.

इसके पीछे कई तरह की चर्चा चल रही है. इन चर्चाओं को इसलिए भी हवा मिली है क्योंकि यूपी में पहले से ही 2 डिप्टी सीएम हैं. केशव प्रसाद मौर्या और दिनेश शर्मा.
0

एके शर्मा को क्यों लाया गया यूपी?

  • पहली वजह ये बताई जा रही है कि चूंकि मनोज सिन्हा कश्मीर चले गए हैं, इसलिए पार्टी को पूर्वांचल में दबदबा रखने वाले भूमिहारों को प्रतिनिधित्व देने के लिए किसी भूमिहार की सरकार में जरूरत थी, इसलिए भूमिहार एके शर्मा को लाया गया है.

  • एक चर्चा है कि केशव प्रसाद मौर्य और सीएम के बीच तनातनी है, इसलिए एके लाए जा रहे हैं. वैसे तो लोग कहते हैं 2017 में योगी की ताजपोशी के समय से ही कड़वाहट है, क्योंकि बीजेपी ने चुनाव लड़ा था मौर्य के नेतृत्व में लेकिन सीएम बन गए योगी. लेकिन हाल फिलहाल भी नजर आया कि दोनों के बीच सबकुछ ठीक नहीं है. जैसे 2019 में योगी ने मौर्य के महकमे PWD में पिछले दो साल के टेंडर और कंस्ट्रक्शन की जांच के निर्देश दिए. फिर मौर्य ने योगी के महकमे LDA में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. चिट्ठी लिखी, जिसपर एक्शन हुआ और 11 ठेकेदारों को हटाना पड़ा.

  • तीसरी चर्चा ये है कि यूपी में बीजेपी सरकार पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. CAA प्रदर्शनों को दबाने के तरीके पर सवाल. लव जिहाद कानून और फिर उसके तहत धड़ाधड़ हो रही गिरफ्तारियों पर सवाल. सियासी, गैर सियासी, किसी भी तरह प्रदर्शन को रोक देने की जिद.

चाहे CMO हो या PMO, उत्तर प्रदेश के रहने वाले 1988 बैच के IAS ऑफिसर और गुजरात कैडर के अरविंद कुमार शर्मा करीब 2 दशकों से नरेंद्र मोदी के साथ हैं. साल 2001 में जब मोदी मुख्यमंत्री बने थे, अरविंद कुमार शर्मा उनके सचिव बनाए गए. मई, 2014 में मोदी प्रधानमंत्री बने और जून, 2014 में शर्मा गुजरात कैडर से सेंट्रल डेप्युटेशन पर आ गए. 2014 में उन्होंने बतौर ज्वाइंट सेक्रेटरी PMO ज्वाइन किया था. 2020 में MSME मंत्रालय में सचिव बने.
ADVERTISEMENTREMOVE AD
विकास दुबे कांड, हाथरस गैंगरेप केस और मर्डर केस, बदायूं गैंगरेप और मर्डर केस- ऐसे कई और मामलों ने राम राज्य के वादे की हकीकत की कलई खोल ही दी.

शासन और प्रशासन में तालमेल की कमी का भी सवाल है. हाल फिलहाल यूपी में मैराथन प्रशासनिक तबादलों ने इन सवालों को जन्म दिया है. ऐसे में प्रशासनिक सेवा का लंबा अनुभव रखने वाले एके शर्मा इन चीजों को अच्छे से हैंडल कर सकते हैं. खासकर अगर उनके पास गृह विभाग हो तो.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

2022 चुनाव से पहले सचेत?

वैसे भी अच्छा चुनावी भाषण और प्रशासन में फर्क है. पता नहीं जो वजहें दी जा रही हैं उनमें कितनी सच्चाई है लेकिन यूपी किसी भी पार्टी के चुनावी अभियान के लिए इतना जरूरी है कि यहां जनभावना के खिलाफ जाना बहुत महंगा पड़ सकता है. तो यूपी के मामले में 2022 विधानसभा चुनाव से पहले अगर बीजेपी का टॉप मैनेजमेंट सजग है तो स्वाभाविक है.

एक एंगल ये भी है कि जो लीडरशिप हर चीज को माइक्रो मैनेज करने में भरोसा रखती है वो यूपी की सत्ता में अपना कोई विश्वसनीय व्यक्ति रखना चाहती हो तो कोई ताज्जुब नहीं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें