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येदियुरप्पा के समर्थन में पार्टी महासचिव की बैठक,विधायकों को नसीहत

बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ बीजेपी नेताओं का विरोध, अरुण सिंह ने ली बैठक

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बीजेपी के लिए कुछ राज्यों में मुख्यमंत्रियों को लेकर अपने ही विधायकों की नाराजगी अब चिंता का सबब बन चुकी है. कर्नाटक भी उन राज्यों में से एक है, जहां पिछले कई महीनों से विधायकों और मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. मुख्यमंत्री बदले जाने की तमाम खबरों के बीच राज्य के प्रभारी और बीजेपी महासचिव अरुण सिंह ने मुख्यमंत्री और विधायकों से बातचीत की है. जिसके बाद उन्होंने पार्टी नेताओं को साफ कर दिया है कि अगर उन्हें कोई परेशानी है तो वो पार्टी नेतृत्व से इसे लेकर बात करें.

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स्टेट इंचार्ज की मुख्यमंत्री और विधायकों के साथ बैठक

कर्नाटक में सीएम येदियुरप्पा के खिलाफ बन रहे माहौल के बीच बीजेपी की कोशिश सब कुछ ठीक दिखाने की है. पहले भी तमाम बड़े नेता राज्य में चल रहे विरोध को नकार चुके हैं और येदियुरप्पा का समर्थन कर चुके हैं. अरुण सिंह का बेंगलुरु पहुंचना भी यही दिखाता है. उन्होंने पार्टी नेताओं, मंत्रियों और सीएम येदियुरप्पा से मुलाकात के बाद कहा,

“ये बैठक सिर्फ पार्टी को मजबूत करने के लिए, गुड गवर्नेंस को नीचे तक प्रचारित करना, केंद्र सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर तक प्रचार करना.. इसी सब पर चर्चा हुई इसके अलावा किसी और चीज पर बात नहीं हुई. बैठक में तय हुआ है कि हर गुरुवार को कर्नाटक के सभी मंत्री, विधायक अगर सचिवालय में कोई आम व्यक्ति आता है तो बिना अपॉइंटमेंट उससे मिलेंगे. प्रदेश सरकार ने बहुत से अच्छे काम किए हैं. उन सभी कामों का प्रचार हो, इस पर चर्चा हुई ताकि लोग स्कीम का लाभ ले सकें.”
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मीडिया नहीं पार्टी से करें बात

बताया गया है कि, इस बैठक में पार्टी के तमाम विधायकों से कहा गया है कि वो मीडिया में किसी भी तरह की नाराजगी जाहिर न करें और बयान न दें. अगर नाराजगी है तो वो पार्टी के बड़े नेताओं से चर्चा कर सकते हैं. यानी कुल मिलाकर बीजेपी की कोशिश है कि कर्नाटक में उठ रही विरोधी आवाजों को पार्टी के अंदर ही रखा जाए. पिछले दिनों से जो तमाम नाराजगी की खबरें सामने आई हैं, उन्हें शांत करने के लिए अब बैठकें ली जा रही हैं.

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बता दें कि इससे पहले सीएम येदियुरप्पा कह चुके हैं कि वो अपना कार्यकाल पूरा करने वाले हैं. यानी हटाए जाने की खबरों को लेकर उन्होंने अपनी दावेदारी पेश की. पार्टी के सीनियर नेताओं के रुख के बाद येदियुरप्पा ने आत्मविश्वास के साथ ऐसा किया है. क्योंकि फिलहाल पार्टी का मानना है कि मुख्यमंत्री बदलने से नुकसान हो सकता है. इस वक्त पार्टी उत्तराखंड जैसा प्रयोग कर्नाटक में नहीं करना चाहती है.

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