उत्तर प्रदेश चुनाव (Uttar Pradesh elections) के चौथे चरण में 59 सीटों पर मतदान होना है, जिसमें लखनऊ की 9 विधानसभा सीटें भी शामिल हैं. राजधानी होने के साथ ही लखनऊ को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. 1952 से लेकर 2019 तक 18 लोकसभा के चुनाव हुए, जिसमें 8 बार बीजेपी ने जीत हासिल की. 1991 से लेकर अब तक लखनऊ सीट पर बीजेपी का कब्जा है, लेकिन जैसे ही यहां की विधानसभा सीटों पर आते हैं, ये समीकरण कुछ बदल जाते हैं.
लखनऊ में विधानसभा की 9 सीटें मलिहाबाद, बख्शी का तालाब, सरोजनी नगर, लखनऊ वेस्ट, लखनऊ नॉर्थ, लखनऊ ईस्ट, लखनऊ सेंट्रल, लखनऊ कैंट और मोहनलालगंज है.
लखनऊ से 5 बार MP रहे अटल जी का नाम इस चुनाव में गायब
पूरे देश में बीजेपी के सबसे मजबूत लोकसभा सीटों का जिक्र होता है तो उसमें लखनऊ का नाम जरूर आता है. क्योंकि 31 साल से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. 5 बार अटल बिहारी वाजपेयी, एक बार लालजी टंडन और 2 बार से राजनाथ सिंह सांसद बने. अटल का प्रभाव सबसे ज्यादा रहा. यही वजह है कि पिछले कुछ चुनावों में लखनऊ ईस्ट, वेस्ट, सेंट्रल और कैंट की सीटों पर उनका असर भी दिखा. बीजेपी ने उनके नाम का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में भी किया, लेकिन अबकी बार ऐसा नहीं दिखा.
2012 में लखनऊ के 77% क्षेत्र पर एसपी का कब्जा था
साल 2012 में बीजेपी ने लखनऊ ईस्ट से कलराज मिश्रा को लड़ाया और इकलौती सीट पर जीत हासिल की. कांग्रेस को लखनऊ कैंट से रीता बहुगुणा जोशी ने जीत दिलाई. बाकी की 7 सीटों पर एसपी का कब्जा था. सभी सीटों का जीत का अंतर 1% से लेकर 13% तक था. लखनऊ के 77% सीटों पर एसपी ने कब्जा जमाया था और सरकार बनाई थी.
5 साल मोदी की लहर, एसपी 11% क्षेत्र में ही रह गई
साल 2017 के चुनाव में मोहनलालगंज की सीट से एसपी के अंबरीश कुमार पुष्कर ने जीत हासिल की, हालांकि जीत का अंतर बहुत कम महज 0.20% था. यानी बहुत ही छोटी जीत. बाकी की 8 सीटों पर बीजेपी का कब्जा था. आठों सीटों पर 3% से लेकर 18% के अंतर से जीत मिली.
7 साल से बीजेपी को लखनऊ में मिला 50% से ज्यादा वोट
2014 के लोकसभा चुनाव में लखनऊ से राजनाथ सिंह मैदान में थे, उन्हें 54.3% वोट मिले थे. साल 2019 में ये वोट प्रतिशत और ज्यादा बढ़ गया. उन्हें 56.7% वोटों से जीत मिली.
लखनऊ में 21% अनुसूचित जाति है, जिसमें पासी समाज की संख्या ज्यादा है. दलित और रावत भी अच्छी संख्या में हैं. वहीं मुस्लिम आबादी भी निर्णायक भूमिका में है. यहां 21.46% मुस्लिम वोटर हैं.
लखनऊ में बीजेपी के लिए बिगड़ते दिख रहे समीकरण
साल 2017 की तुलना में अबकी बार लखनऊ में बीजेपी के लिए समीकरण बिगड़ते दिख रहे हैं. इसे अबकी बार के उम्मीदवारों के जरिए समझते हैं. पिछले चुनावों में लखनऊ सेंट्रल, ईस्ट, वेस्ट, कैंट और बख्शी का तालाब सीट पर अटल बिहारी वाजपेयी का प्रभाव दिखा. लेकिन अबकी बार ऐसा नहीं है.
लखनऊ सेंट्रल सीट से बीजेपी ने रजनीश गुप्ता को मैदान में उतारा है. उनके सामने एसपी के रविदास मेहरोत्रा हैं. यहां मुस्लिम वोटर की संख्या करीब एक लाख है. वहीं वैश्य 80 हजार के करीब हैं. इसके बाद कायस्थ और ब्राह्मण आते हैं. ऐसे में बीजेपी ध्रुवीकरण के भरोसे है, वहीं एसपी को उम्मीद है कि मुस्लिम वोटर के साथ ओबीसी के वोट मिलने से सीट निकल सकती है.
बीजेपी के लिए लखनऊ वेस्ट हो सकता है आसान
लखनऊ वेस्ट से बीजेपी के अंजनी श्रीवास्तव हैं. सामने एसपी के अरमान खान हैं. हालांकि इस सीट पर ज्यादा बार बीजेपी का कब्जा रहा है, लेकिन अबकी बार एसपी से मुस्लिम उम्मीदवार होने पर बीजेपी को शायद ध्रुवीकरण की उम्मीद होगी. अगर ऐसा होता है कि बीजेपी के लिए सीट निकालना आसान होगा.
बख्सी का तालाब पर MY समीकरण भारी पड़ सकता है
बख्शी का तालाब सीट पर यादव और मुस्लिम गठजोड़ बीजेपी पर भारी पड़ सकता है. बीजेपी ने योगेश शुक्ला को मैदान में उतारा है. उनके सामने एसपी के गोमती यादव हैं. इस सीट पर यादव, कुर्मी, दलित और मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में रहे हैं. ऐसे में इस सीट से बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है.
बीजेपी के लिए लखनऊ कैंट और ईस्ट सीट सुरक्षित सीटों में से मानी जाती रही है. कैंट से बीजेपी ने बृजेश पाठक को उतारा है. ईस्ट से आशुतोष टंडन मैदान में हैं. उनके सामने एसपी के अनुराग भदौरिया और ईस्ट से राजू गांधी हैं. शहरी क्षेत्र पड़ने की वजह से बीजेपी को शायद इन सीटों पर ज्यादा भरोसा है.
सरोजनीनगर में लड़ाई दिलचस्प होती दिख रही है. बीजेपी ने यहां से एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और ईडी के ज्वाइंट डायरेक्टर रहे राजेश्वर सिंह को उतारा है. उनके सामने एसपी के कैबिनेट मंत्री रहे अभिषेक मिश्रा हैं. लखनऊ नॉर्थ से योगी को काला झंडा दिखाकर सुर्खियों में आई पूजा शुक्ला हैं, जो एसपी के टिकट से चुनाव लड़ रही हैं. वहीं मोहनलालगंज सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होता दिख रहा है. दो बार से सांसद रही सुशीला सरोज एसपी के टिकट से हैं. वहीं बीजेपी ने अमरेश कुमार मैदान में हैं. दोनों को टक्कर देते हुए कांग्रेस ने दो बार से पार्षद ममता चौधरी को टिकट दिया है.
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