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MP: हॉट सीट, चुनाव में बढ़त की कोशिश, BJP उम्मीदवारों की पहली लिस्ट की अहम बातें

पार्टी ने पिछले चुनावों में हार का सामना करने वाले लगभग 50 प्रतिशत उम्मीदवारों को टिकट दिया है

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भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आगामी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट का ऐलान कर दिया है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पार्टी रणनीतिक रूप से कांग्रेस पर बढ़त हासिल करने के लिए खुद को तैयार कर रही है. बीजेपी ने उन 39 सीटों के लिए उम्मीदवारों का ऐलान किया है, जिन पर 2018 के साथ-साथ 2013 के विधानसभा चुनावों में भी हार मिली थी,

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पार्टी ने पिछले चुनावों में हार का सामना करने वाले लगभग 50 प्रतिशत उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जबकि 39 की लिस्ट में 12 नए उम्मीदवारों को भी शामिल किया है.

चुनाव की तारीखों से पहले BJP की पहली लिस्ट

बीजेपी ने चुनाव की तारीखों के औपचारिक ऐलान से पहले ही अपनी प्रारंभिक उम्मीदवार लिस्ट जारी करके अपनी पारंपरिक प्रथा को बदल दिया है.

पार्टी के सूत्रों ने द क्विंट को बताया कि इस कदम से उम्मीदवारों को पता चलेगा कि सलेक्शन प्रोसेस का संचालन केंद्रीय नेतृत्व कर रहा है. उनका कहना है कि चुनाव उम्मीदवार की जीत की अनुमानित संभावना पर आधारित होते हैं.

यह सभी उम्मीदवारों के लिए एक संकेत है कि केवल मजबूत जीत की संभावना वाले लोग ही टिकट बचा पाएंगे. इसके अलावा, इस रणनीति का मकसद चुनाव से पहले पार्टी को कांग्रेस के खिलाफ फायदेमंद स्थिति में लाना है जबकि हमने 39 उम्मीदवारों का ऐलान किया है. इस शुरुआत से हमारे उम्मीदवारों को तैयारी के लिए ज्यादा वक्त मिलेगा.
बीजेपी सूत्र

सूबे के सीनियर जर्नलिस्ट सुधीर दंडोतिया ने भी बीजेपी सूत्रों से सहमति जताते हुए कहा कि पार्टी अपने उम्मीदवारों को प्रचार के लिए पर्याप्त समय देना चाहती है.

कर्नाटक में, उम्मीदवारों के प्रचार के लिए वक्त कम होने की वजह से बीजेपी को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. इस बार, वे सावधानी बरत रहे हैं. जिन निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी 2018 में मामूली अंतर से हार गई थी, वहां उम्मीदवारों के पास अब अपनी पैठ जमाने का बेहतर मौका होगा."
सुधीर दंडोतिया

हॉट सीटें, कैंडिडेट रोस्टर और सेलेक्शन लॉजिक

एक्सपर्ट्स का कहना है कि जहां तक मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 का सवाल है, अगर हम कहें कि सभी सीटें हॉट सीटें हैं, तो यह ज्यादा नहीं होगा.

हालांकि शुरुआती लहर कांग्रेस के पक्ष में लग रही थी, लेकिन कुछ महीने पहले बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के बागडोर संभालने के बाद से सूबे में पलड़ा 50-50 की लड़ाई की ओर झुक गया है.

ऐलान किए गए उम्मीदवारों में पांच निर्वाचन क्षेत्रों में कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है.

1.शाहपुरा: डिंडोरी जिले में ओम प्रकाश धुर्वे का शाहपुरा निर्वाचन क्षेत्र एक हॉट सीट बन गया है, क्योंकि लिस्ट के ऐलान के बाद धुर्वे ने कहा कि वह डिंडोरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते हैं.

धुर्वे को 2018 में शाहपुरा सीट से मैदान में उतारा गया था, जहां वह कांग्रेस के भूपेन्दे मरावी से 33 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए थे.

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2. चाचौड़ा: गुना के चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह और पूर्व कांग्रेस लीडर प्रियंका मीना के बीच मुकाबला होगा. प्रियंका इस साल फरवरी में बीजेपी में शामिल हो गईं.

3. भोपाल मध्य: बीजेपी ने इस सीट से ध्रुव नारायण सिंह की उम्मीदवारी का ऐलान किया है. यह निर्वाचन क्षेत्र 2008 में बनाया गया था और उस समय ध्रुव नारायण ने जीत हासिल की थी. अब एक दशक बाद बीजेपी ने उन पर फिर से भरोसा जताया है.

एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह के बेटे ध्रुव नारायण बीजेपी नेता हैं, जो 2011 में भोपाल के कोह-ए-फिजा इलाके में RTI वर्कर शेहला मसूद की हत्या और मुख्य आरोपियों में से एक जाहिदा की गिरफ्तारी के बाद सुर्खियों में आए थे.

भोपाल में राजनीति कवर करने वाले एक सीनियर जर्नलिस्ट ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि

ध्रुव नारायण सिंह के दोनों समुदायों के साथ अच्छे संबंध हैं. यह देखने वाली बात होगी कि पुराने रिश्ते उन्हें लाइन में बने रहने में मदद करते हैं या नहीं. हालांकि, मौजूदा वक्त में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने भी कुछ अच्छे काम किए हैं और ध्रुव नारायण बाहर हो गए हैं. यह खेल एक दशक से ज्यादा वक्त से चल रहा है. यही बात लड़ाई को और ज्यादा दिलचस्प बनाती है.

4. भोपाल उत्तर: भोपाल में कुल सात विधानसभा सीटें शामिल हैं, जिनमें से 2018 के चुनावों में बीजेपी ने चार और कांग्रेस ने तीन सीटों पर फतह हासिल की. भोपाल में अगली सीट, जहां बीजेपी ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है, वह भोपाल उत्तर सीट है.

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कांग्रेस विधायक आरिफ अकील ने 1998 से इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा है. हालांकि, आगामी 2023 के चुनावों में बदलाव देखने को मिलेगा, क्योंकि आरिफ अकील ने ऐलान किया है कि बीमारी की वजह से उनके बेटे अतीक अकील उनकी जगह चुनाव लड़ेंगे.

हालांकि स्थानीय निवासियों ने बीते दिनों आरिफ अकील के लिए वफादारी निभाई है लेकिन उनके बीच इस बात को लेकर कशमकश है कि क्या यह यकीन उनके बेटे तक बढ़ेगा.

विपक्ष की ओर से बीजेपी ने इस सीट पर पूर्व मेयर आलोक शर्मा को उम्मीदवार बनाया है. गौरतलब है कि 2008 में आलोक शर्मा को पांच हजार से भी कम वोटों के मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा था.

5. गोहद: 39 सीटों में से भिंड की गोहद विधानसभा सीट भी चुनाव की हॉट सीटों में से एक मानी जा रही है. क्योंकि बीजेपी ने सिंधिया के वफादार रणवीर जाटव को टिकट देकर लाल सिंह आर्य को मैदान में उतारा है, जो 2018 के चुनाव में जाटव से लगभग 20 हजार वोटों से हार गए थे.

2020 में सत्ता में चुने जाने के 15 महीने के अंदर कांग्रेस सरकार को गिराने पर जाटव, सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए.

भिंड के पत्रकारों की राय है कि बीजेपी ने सिंधिया के वफादारों को एक मैसेज दिया है कि उनका भविष्य सिर्फ इसलिए सुरक्षित नहीं है क्योंकि उन्होंने कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने में मदद की.

इसके अलावा एक और हॉट सीट झाबुआ निर्वाचन क्षेत्र है, जो एसटी के लिए रिजर्व है. यह कांग्रेस के आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया का गढ़ है. हालांकि, जब भूरिया के बेटे ने 2018 में चुनाव लड़ा, तो वह बीजेपी के गुमान सिंह डामोर से हार गए.
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बीजेपी के चुनाव अभियान में सिंधिया के वफादारों की राह अनिश्चित

2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी नेता लाल सिंह आर्य को हराने वाले सिंधिया के वफादार रणवीर जाटव को आगामी चुनाव में लड़ने के लिए नॉमिनेट नहीं किया गया था. इसके बजाय, जाटव से हारे आर्य को बीजेपी ने तरजीह दी.

कांग्रेस प्रवक्ता आनंद जाट कहते हैं...

जिन लोगों ने कांग्रेस को धोखा दिया, उन्हें बीजेपी में कोई जगह नहीं मिली. बीजेपी इस्तेमाल करो और त्यागो के सिद्धांत पर चलती है, यही वजह है कि बीजेपी के लाल सिंह आर्य को हराने वाले रणवीर जाटव को टिकट नहीं मिला.

हालांकि, उपचुनाव में हारने वाले एक अन्य सिंधिया समर्थक एदल सिंह कंसाना टिकट हासिल करने में कामयाब रहे. बीजेपी पार्टी के एक सूत्र ने सिंधिया के वफादारों की उपेक्षा के दावों का खंडन किया और कहा कि गुटबाजी के लिए जगह के बिना, योग्यता के आधार पर टिकट दिए जाते हैं.

पार्टी सूत्र ने कहा कि हम किसी के प्रति वफादार जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते हैं. प्रत्येक पार्टी कार्यकर्ता बीजेपी पार्टी का वफादार है और टिकट केवल उम्मीदवार की योग्यता और जीतने की क्षमता के आधार पर दिए जा रहे हैं.

ग्वालियर पूर्व से मुन्नालाल गोयल, डबरा से पूर्व मंत्री इमरती देवी, मुरैना से रघुराज कंसाना, दिमनी से गिरिराज दंडोतिया और करेरा से जसवंत जाटव जैसे सिंधिया के वफादार भी अनिश्चित भविष्य की ओर नजर गड़ाए हुए हैं.

क्या सिंधिया के और वफादारों के बाहर होने की स्थिति में बीजेपी के अंदर कोई बगावत होगी या इन शुरुआती टिकटों के ऐलान से बीजेपी अपनी ताकत मजबूत करेगी, यह अभी देखना बाकी है.

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