ADVERTISEMENTREMOVE AD

'सामना' के जरिए एकनाथ शिंदे पर शिवसेना का निशाना-सत्ता पा ली, आगे क्या?

Maharashtra Politics: शिवसेना से बगावत कर एकनाथ शिंदे बने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

महाराष्ट्र (Maharashtra) में पिछले 10 दिनों से चल रहे पॉलिटिकल ड्रामे का फिलहाल अंत हो गया है. शिवसेना (Shivsena) से बगावत कर एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं. वहीं देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना (Saamana) के जरिए महाराष्ट्र की नई शिंदे सरकार (Shinde Government) पर निशाना साधा है. संपादकीय के जरिए शिंदे सरकार से तीखे सवाल किए गए हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

शिंदे सरकार से शिवसेना के सवाल

एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि,"सत्ता पा ली, आगे क्या? अब यही सवाल बचता है. इसका जवाब जनता को देना ही होगा." इसके साथ ही संपादकीय में लिखा है कि,

"सत्ता ही सभी सवालों का जवाब बन गई है. महाराष्ट्र में गुरुवार को जो हुआ उससे सत्ता ही सर्वस्व और बाकी सब झूठ इस पर मुहर लग गई. सत्ता के लिए हमने शिवसेना से दगाबाजी नहीं की, ऐसा कहनेवालों ने ही मुख्यमंत्री पद का मुकुट खुद पर चढ़ा लिया."

'बीजेपी में अटल जी की विरासत खत्म'

महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद सामना में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि बीजेपी में अब अटल जी की विरासत खत्म हो गई है. इसके साथ ही लिखा गया है,

"अटल बिहारी एक वोट से सरकार गिरने से विचलित नहीं हुए. उन्होंने कहा था कि तोड़-फोड़ करके हासिल किए गए बहुमत को मैं चिमटे से भी स्पर्श नहीं करूंगा. लेकिन उन्होंने आगे जो कहा उसे आज के बीजेपी नेताओं को स्वीकार करना जरूरी है. उन्होंने लोकसभा में कहा, मंडी सजी हुई थी, माल भी बिकने को तैयार था लेकिन हमने माल खरीदना पसंद नहीं किया!"

देवेंद्र फडणवीस पर साधा निशाना

सामना के संपादकीय में देवेंद्र फडणवीस पर भी निशाना साधा गया है. सामना में लिखा गया है कि, "हमें हैरानी तो देवेंद्र फडणवीस को लेकर होती है. उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में वापस आना था लेकिन बन गए उपमुख्यमंत्री. दूसरी बात ये है कि ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री बांटने का फॉर्मूला चुनाव से पहले दोनों ने तय किया था, तो फिर उस समय मुख्यमंत्री पद को लेकर युति क्यों तोड़ी?"

सामना के संपादकीय में राज्यपाल और कोर्ट के प्रति भी नाराजगी जताई गई है. संपादकीय में लिखा गया है कि राज्यपाल और न्यायालय ने सत्य को खूंटी पर टांग दिया और फैसला सुनाया. इसके साथ ही लिखा गया है,

"संविधान के रक्षक ही ऐसे गैर कानूनी कृत्य करने लगते हैं और ‘रामशास्त्री’ कहलाने वाले न्याय के तराजू को झुकाने लगते हैं, तब किसके पास अपेक्षा से देखना चाहिए?"

'यह दर्द नहीं धोखा है'

सामना के जरिए शिवसेना के बागियों पर भी निशाना साधा गया है. संपादकीय में लिखा गया है कि, "हमारी सद्-सद् विवेक बुद्धि बेहद ठंडी पड़ गई है. यह दर्द नहीं धोखा है. ज्यादातर लोगों को जिस तरह से आकाश में विहार करना नहीं जमता है, उसी तरह से विचार करना भी नहीं जमता है. लोगों को शॉर्टकट से सब कुछ हासिल करना है. असीमित सत्ता का और पाशवी बहुमत का प्रचंड दुरुपयोग हो रहा है."

संपादकीय में महाभारत से द्रौपदी का उल्लेख करते हुए कहा गया की जनता जनार्दन श्रीकृष्ण की तरह अवतार लेगी और महाराष्ट्र की इज्जत लूटने वालों पर सुदर्शन चक्र चलाएगी.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें