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JDU छोड़ने के बाद BJP में शामिल हुईं पूर्व सांसद मीना सिंह, कहा- मोदी पर भरोसा

Meena Singh की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है.

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जेडीयू (JDU) छोड़ने के बाद पूर्व सांसद मीना सिंह (Meena Singh) अपने बेटे के साथ बीजेपी (BJP) में शामिल हो गईं हैं. हाल ही में जेडीयू छोड़ने वाली दो बार की सांसद मीना सिंह रविवार 12 मार्च को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल और पार्टी नेता सम्राट चौधरी की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गई है.

रविवार को बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह और 10,000 से ज्यादा समर्थक भी बीजेपी में शामिल हो गए.

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"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर पूरा भरोसा"

मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिलों में मजबूत पकड़ है और उन्हें यहां की प्रभावशाली नेता माना जाता है. उनके पति अजीत सिंह भी क्षेत्र के काफी कद्दावर नेता थे. वह मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं थीं, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है.

मीना सिंह ने कहा, मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी. लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोगों ने जंगल राज का अनुभव किया. उस समय बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी. नीतीश कुमार के आरजेडी के साथ जाने पर मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में जंगल राज लौटेगा. इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया.

"मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है. इसलिए, मैं बीजेपी में शामिल हुई हूं."
मीना सिंह

मीना सिंह का जेडीयू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है. वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं. इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जेडीयू छोड़ चुके हैं.

बिहार में सात पार्टियों वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में टिकटों का वितरण नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिन्हें महागठबंधन की प्रत्येक पार्टी को संतुष्ट करना पड़ेगा.

मीना सिंह और उनके बेटे के लिए बीजेपी में टिकट पाने का एक बड़ा मौका हो सकता है.

मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जेडीयू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता. वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था.

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