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पंजाब के ऊर्जा मंत्री अमन अरोड़ा के विदेशी दौरे पर रोक,बोले-BJP को AAP से लगता डर

Aman Arora बोले- आप की जन-हितैषी नीतियों की सफलता ने बीजेपी के नफरत और झूठ के मॉडल को सख्त चुनौती दी है

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पंजाब सरकार के ऊर्जा मंत्री अमन अरोड़ा (Aman Arora) ने तीन मुल्कों जर्मनी, बेल्जियम और नीदरलैंड के दौरे के लिए मंजूरी न देने पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी आदमी पार्टी (AAP) से राजनैतिक तौर पर इतना असुरक्षित क्यों महसूस कर रही है, जो उसे आप लीडरशिप के सरकारी विदेश दौरे के लिए मंज़ूरी देने से इनकार करने जैसी भद्दी चालों का सहारा लेना पड़ रहा हैं.

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अमन अरोड़ा ने कहा कि यह पहली बार नहीं हुआ कि केंद्र सरकार ने किसी ‘आप’ नेता को इजाजत देने से इनकार किया है. इससे पहले भी बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को वर्ल्ड सिटी सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए सिंगापुर जाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था,

केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने इस दौरे के लिए अमन अरोड़ा समेत 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की सूची को 14 सितंबर, 2022 को मंजूरी दी थी, लेकिन विदेश मंत्रालय ने पंजाब के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत मंत्री को राजनैतिक मंजूरी नहीं दी.

कैबिनेट मंत्री ने बताया कि यह दौरा इंडो-जर्मन एनर्जी फोरम की तरफ से स्पांसर किया गया था. इस दौरे का केंद्र या राज्य सरकार पर एक पैसे का भी वित्तीय बोझ नहीं पड़ना था.

कैबिनेट मंत्री ने आगे कहा कि-

आप’ की जन-हितैषी नीतियों की सफलता ने बीजेपी के नफरत और झूठ के मॉडल को सख्त चुनौती दी है, उन्होंने कहा कि ‘आप’ भारत के राजनैतिक नक्शे से बीजेपी का सफाया करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जो मौजूदा हालातों से बीजेपी को दिख रहा है.

अमन अरोड़ा ने बताया कि ‘24 सितंबर से 2 अक्तूबर, 2022 तक का यह दौरा राज्य में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों संबंधी योजनाबंदी और विकास के लिए बेहद अहमियत रखता था जिससे भावी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ राज्य के लोगों को हरा-भरा और साफ-सुथरा वातावरण यकीनी बनाया जा सके. ’’ केंद्र सरकार का ऐसा अनावश्यक दखल मुल्क के संघीय ढांचे के लिए भी बड़ा खतरा है. ट

अमन अरोड़ा ने कहा कि बीजेपी ने भारतीय लोकतंत्र की गौरवमयी रिवायतों को भुला दिया है. उन्होंने बीजेपी को याद करवाते हुये कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री पी.वी नरसिमा राव ने श्री अटल बिहारी वाजपायी को विरोधी पक्ष के नेता होने के बावजूद संयुक्त राष्ट्र में भेजे जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए चुना था.

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