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'पायलट गद्दार', गहलोत का नया तेवर बता रहा बदल गया है राजस्थान कांग्रेस का रण?

Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में 'भारत जोड़ो यात्रा' से पहले अशोक गहलोत का सचिन पायलट पर तल्ख बयान क्यों?

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राजस्थान (Rajasthan) कांग्रेस का सियासी संग्राम 2 साल से जारी है. पार्टी के दो दिग्गजों की लड़ाई खत्म ही नहीं होती. गहलोत ने एक बार फिर सचिन पायलट (Sachin Pilot) को 'गद्दार' कहकर शांत पड़ी आग में चिंगारी डालने काम किया है. राजनीतिक गलियारों में अशोक गहलोत के इस बयान की टाइमिंग को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. गहलोत का ऐसा तल्ख बयान राजस्थान में 'भारत जोड़ो यात्रा' की एंट्री और गुजरात चुनाव से ठीक पहले आने के क्या मायने हो सकते हैं?

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गहलोत के नए हमले के मायने?

सीएम अशोक गहलोत ने एक बार फिर नेशनल टीवी पर सचिन पायलट को गद्दार कहकर दिखा दिया है कि दोनों के बीच की तल्खियां कम नहीं हुई है. सीएम गहलोत का ये बयान उस वक्त सामने आया है, जब सचिन पायलट मध्यप्रदेश में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ 'भारत जोड़ो यात्रा' में शामिल होने गए थे. इसी दौरान गहलोत का इतना कड़ा बयान आना कई सवाल खड़े करता है.

पायलट गद्दार हैं, उनका मुख्यमंत्री बनना किसी सूरत पर स्वीकार नहीं है. इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी प्रदेशाध्यक्ष ने अपनी ही सरकार को गिराने के लिए षड्यंत्र रचा हो.

अशोक गहलोत ने गद्दार कहा तो सचिन पायलट ने भी पलटवार करने का मौका नहीं छोड़ा. मीडिया से बात करते हुए सचिन पायलट का दर्द छलका, उन्होंने कहा कि गहलोत जी मुझे निकम्मा, गद्दार आए दिन कुछ ना कुछ कहते रहते हैं, मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि किसी को भी इतना असुरक्षित नहीं होना चाहिए.

पार्टी का वरिष्ठ नेता ऐसी बात करे उसे शोभा नहीं देता, गहलोत जी को पार्टी ने कई मौके दिए हैं वो आज भी राज्य के मुख्यमंत्री हैं, पार्टी ने उन्हें गुजरात में प्रभारी की जिम्मेदारी दी है, हमारा फोकस गुजरात में बीजेपी को हराना है.
Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में 'भारत जोड़ो यात्रा' से पहले अशोक गहलोत का सचिन पायलट पर तल्ख बयान क्यों?

भारत जोड़ो यात्रा में सचिन पायलट

(फोटो: क्विंट)

राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा से पहले बयान क्यों?

बता दें कि दिसंबर के पहले हफ्ते में 'भारत जोड़ो यात्रा' की एंट्री राजस्थान में हो रही है और उससे ठीक पहले पार्टी की अंदरूनी लड़ाई एक बार फिर सामने आ गई है. वहीं गुजरात में चुनाव है, जिसके प्रभारी खुद सीएम अशोक गहलोत हैं. सीएम के इस बयान ने कांग्रेस की सिरदर्दी और बढ़ा दी है. कहां दूसरा राज्य जीतने की कोशिश हो रही है और यहां तो घर की लड़ाई ही नहीं सुलझ पा रही है. राजस्थान में भी एक साल से कम समय में चुनाव होना है और पार्टी का आंतरिक कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. दिल्ली से तमाम आला नेता राजस्थान के कई चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन दोनों नेताओं के बीच पड़ी दरार कोई पाट नहीं पा रहा है.

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बदल रही रेगिस्तान में कांग्रेस के अंदर हवा?

बता दें कि सितंबर में कांग्रेस आलाकमान चाहता था कि गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ें. गहलोत इसके लिए तैयार भी थे, लेकिन फिर राहुल गांधी का बयान आया कि एक व्यक्ति एक ही पद पर रहेगा.

बस यहीं से मामला खराब हो गया. राजस्थान में जब अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे की टीम आई तो गहलोत के खेमे के विधायक उनसे मिलने गए ही नहीं. इन विधायकों को आशंका थी कि अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ाने के लिए गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाएगा और सचिन पायलट को सीएम बना दिया जाएगा. इस 'बगावत' के बाद गहलोत अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर हो गए, उनकी सीएम की कुर्सी बची रही और मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष चुने गए.

माना जा रहा है कि सितंबर में जो कुछ भी हुआ उसके पीछे गहलोत का ही हाथ था. दरअसल वो सीएम की कुर्सी नहीं छोड़ना चाहते थे. राजनीतिक पंडित बताते हैं कि इस वाकये के बाद गांधी परिवार के गुडबुक में रहने वाले गहलोत की साख दिल्ली में घटी.

इस नाफरमानी को माकन ने बगावत करार दिया था. उम्मीद की गई थी कि आलाकमान गहलोत कैंप के इस विधायकों पर एक्शन लेगा. लेकिन एक्शन टलता जा रहा है. कुछ दिन पहले पायलट ने खुलेआम मांग की थी कि जिन लोगों ने आलाकमान के खिलाफ बगावत की थी, उनपर एक्शन होना चाहिए.

अजय माकन ने भी कुछ दिन पहले राजस्थान में अब आगे काम नहीं करने की मंशा जताई थी. उन्होंने खड़गे को लिखे अपने लेटर में 25 सितंबर के जयपुर के राजनीतिक घटनाक्रम को आधार बताकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से अपील की थी कि यह पार्टी के हित में है कि राजस्थान के लिए नया प्रभारी नियुक्त किया जाए.

माकन ने यह लेटर आठ नवंबर को लिखा था. लेकिन फिर भी कोई एक्शन नहीं हुआ. ऐसा लग रहा था कि इन तमाम दिनों में गहलोत बैकफुट पर थे. लेकिन उनका नया बयान बताता है कि रेगिस्तान में कांग्रेस पार्टी के अंदर हवा बदल रही है. और गहलोत एक बार फिर मजबूत हो रहे हैं.

अजय माकन के प्रभारी नहीं रहने से माना जा रहा है कि सचिन पायलट खेमा कमजोर पड़ा है. वहीं कांग्रेस की अनदरूनी सियासत में गहलोत खेमे के लिए फायदेमंद होगा.

नए अध्यक्ष खड़गे के लिए राजस्थान बड़ी चुनौती?

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए राजस्थान की अंतर्रकलह को शांत करना भी बड़ी चुनौती है, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान में चुनाव होने हैं, उनके सामने बड़ी चुनौती पहले घर की लड़ाई को सुलझाना है.

कांग्रेस के दो दिग्गजों की लड़ाई में बीजेपी भी उतरी

कांग्रेस की लड़ाई में बीजेपी को भी बोलने का मौका मिल गया है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि गहलोत के आरोपों में दम नहीं है. हम पायलट से न कभी मिले, ना बात की. ना पहले जरूरत थी, ना आज है. पूनियां ने यहां तक कहा कि ऐसा कभी नहीं होता कि किसी पार्टी को अपने डिप्टी सीएम और पीसीसी चीफ को बर्खास्त करना पड़े. कांग्रेस की पुरानी फिल्म सामने आ गई है. फिल्म का नाम है- 'गद्दार कौन' ? वहीं विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि गहलोत के अपने प्रतिद्वंद्वी पायलट को गद्दार कहकर उन्हें कभी मुख्यमंत्री नहीं बनाने देने के बयान से कांग्रेस का अंतर्कलह फिर से जगजाहिर हो गया है और कांग्रेस तोड़ो यात्रा की विधिवत शुरुआत भी हो गई है. अब तय है कि 4 साल से चल रही मुख्यमंत्री की कुर्सी की लड़ाई का अंत सरकार की विदाई के साथ ही खत्म होगा.

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