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चिदंबरम की बेल को कांग्रेस ने बताया सच की जीत, BJP ने साधा निशाना

चिदंबरम को जमानत मिलने पर राजनीतिक बयानबाजी शुरू

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पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता पी चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद बयानबाजी शुरू हो चुकी है. कांग्रेस और बीजेपी एक बार फिर इस मामले को लेकर आमने-सामने हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जहां कांग्रेस ने इसे सच की जीत बताया, वहीं बीजेपी की तरफ से भ्रष्टाचार का जश्न मनाने का आरोप लगाया गया.

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पी चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से जमानत के बाद कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि आखिरकार सच सबके सामने आ गया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने ट्विटर पर इसे न्याय करार दिया. उन्होंने लिखा,

‘‘न्याय में देरी, अन्याय है. यह काफी पहले ही मिलना चाहिए था. तीन महीने पहले कुछ अलग नहीं था.”

थरूर के अलावा चिदंबरम के वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कहा कि "एक लंबी अंधेरी टनल के बाद कमाल की रोशनी दिखी है."

राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया. उन्होंने कहा, "मैं पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के सीनियर लीडर पी चिदंबरम को 100 दिन से ज्यादा जेल में बिताने के बाद जमानत दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं. आखिरकार सच सामने आया."

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बीजेपी बोली- भ्रष्टाचार को कर रहे सेलिब्रेट

बीजेपी की तरफ से पी चिदंबरम को जमानत दिए जाने पर कांग्रेस नेताओं की खुशी को भ्रष्टाचार का जश्न बताया गया. बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्विटर पर कांग्रेस के कई बड़े नेताओं पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि चिदंबरम अब आउट ऑन बेल क्लब में शामिल हो चुके हैं.

संबित पात्रा ने ट्विटर पर लिखा,

“आखिरकार पी चिदंबरम भी कांग्रेस की ओओबीसी (आउट ऑन बेल क्लब) में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने जिन सदस्यों के साथ ये क्लब ज्वाइन किया है उनमें- सोनिया गांधी, राहुल गांधी, रॉबर्ट वाड्रा, मोतीलाल वोहरा, भूपेंद्र हुड्डा, शशि थरूर सहित अन्य नेता शामिल हैं. कांग्रेस भ्रष्टाचार का जश्न मना रही है.”
संबित पात्रा, बीजेपी प्रवक्ता

पी चिदंबरम ने इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी. लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया. जिसके बाद चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिसके बाद अब 4 दिसंबर को फैसला सुनाया गया.

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