CBI ने नौकरी के बदले जमीन देने के मामले में बिहार के डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) को आज तलब किया है. CBI द्वारा यह उन्हें भेजा गया दूसरा समन है, पहला समन 4 फरवरी को भेजा गया था. तेजस्वी यादव की पत्नी की तबीयत खराब है इसलिए आज वो नहीं पेश हो पाएंगे, खबर है कि उनकी पत्नी की ED की रेड के बाद तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा है.
तेजस्वी यादव को CBI द्वारा दिए गए समन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा-
2017 में भी रेड हुआ था, उसके बाद हम अलग हो गए. 5 साल बीत गए और अब हम एक साथ आ गए हैं तो फिर से रेड हो रहा है. इस पर अब मैं क्या बोल सकता हूं?:
तेजस्वी को समन मिलने पर शिवसेना नेता संजय रावत ने कहा कि- PM को विपक्ष ने जो पत्र लिखा है, उसमें महाराष्ट्र से शरद पवार और उद्धव ठाकरे है,उसमें तेजस्वी यादव के भी हस्ताक्षर हैं और अब यह कार्रवाई हो रही. 2 दिन से लालू यादव और उनके परिवार के पर यह रेड चल रही है. सरकार आपातकाल नहीं बल्कि तानाशाही से भी ऊपर उठकर यह कर रही है.
बता दें इससे पहले शुक्रवार को तेजस्वी के दिल्ली आवास पर कई घंटों तक ED की छापेमारी चली. उनकी बहन मीसा भारती के घर भी कई घंटों तक छापेमारी हुई.
लालू के कई करीबियों के घर छापेमारी
शुक्रवार को लालू प्रसाद यादव के समधी जितेंद्र यादव के गाजियाबाद स्थित आवास पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापा मारा था. ये कार्रवाई लालू यादव से जुड़े लैंड फॉर जॉब स्कैम सिलसिले में थी. जितेंद्र यादव SP के पूर्व एमएलसी हैं और गाजियाबाद के आरडीसी राजनगर इलाके में रहते हैं.
सूत्रों ने बताया कि ईडी टीम को जितेंद्र यादव के घर से कुछ संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं. इनके संबंध में परिवार के सदस्यों से पूछताछ चल रही है, कहा जा रहा है कि टीम को कुछ संदिग्ध हाथ लगा है.
लालू यादव के चौथे नंबर की बेटी रागिनी की शादी साल-2012 में जितेंद्र यादव के बेटे राहुल यादव से हुई थी. जितेंद्र यादव समाजवादी पार्टी के नेता हैं और पूर्व एमएलसी हैं. उनके बेटे राहुल यादव ने SP के टिकट पर साल-2017 और 2022 का विधानसभा चुनाव बुलंदशहर जिले की सिकंदराबाद विधानसभा सीट से लड़ा था, लेकिन दोनों बार हार हुई.
सीबीआई ने लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, उनकी दो बेटियों और 15 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है. एक अधिकारी ने बताया कि 2004-2009 की अवधि के दौरान लालू यादव ने रेलवे के विभिन्न जोन में समूह डी पद पर नियुक्तियों के एवज में अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन-जायदाद के ट्रांसफर के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किया था.
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