नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (New Delhi Railway Station) पर रविवार (25 जून) को 34 वर्षीय एक महिला की बिजली की चपेट में आने से मौत हो गई. महिला की मृत्यु के ठीक आधे घंटे पहले, शहर के एक अन्य हिस्से में 17 वर्षीय सोहेल की मौत भी बिजली की वजह से हुई.
कैसे हुई सोहेल की मौत?
मंगलवार (27 जून) सुबह करीब 5 बजे सोहेल अपने चाचा के घर के पास, तैमूर नगर, पहुंचा तो देखा कि गली में पानी भरा हुआ है. जब वह पानी में उतरा तो उसी बीच राहगीरों ने सोहेल की चीख सुनी. राहगीरों ने पानी में एक तार देखकर पुलिस को बुलाया. फिर बिजली काटी गई.
बेंगलुरु का रहने वाला सोहेल लगभग 45 दिन पहले छुट्टियों के लिए दक्षिणी दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में अपने चाचा के घर आया था. वह दिन में अपने चाचा के घर रहता था और रात में सोने के लिए पूर्वी दिल्ली के सीमापुरी में अपने एक अन्य रिश्तेदार जमाल के घर चला जाया करता था.
शनिवार (24 जून) की रात से हो रही भारी बारिश के बीच सोहेल अपने चाचा के घर लौटने के लिए रविवार (25 जून) की सुबह जमाल के घर से निकला था.
'सोहेल का परिवार मूल रूप से पश्चिम बंगाल से है'
सोहेल के परिवार के सदस्य मूल रूप से पश्चिम बंगाल के हैं. उन्होंने कहा कि किशोर को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
'दिल्ली स्टेशन पर भी इसी तरह एक महिला की भी हुई थी मौत'
17 वर्षीय सोहेल की मौत उस दिन सामने आई है, जब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महिला की मौत पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, दिल्ली सरकार और शहर पुलिस को नोटिस भेजा था, जिसमें "जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली चूक और अधिकारियों की स्पष्ट लापरवाही" की ओर इशारा किया गया था."
वहीं, घटना स्थल से करीब 16 किमी की दूरी पर इसी तरह की एक और घटना हुई, जहां 34 वर्षीय शिक्षिका साक्षी आहूजा, अपने परिवार के सदस्यों के साथ सुबह लगभग 5:30 बजे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचीं. पानी के जमाव से बचने के लिए जैसे ही उन्होंने बिजली के खंभे को पकड़ा, तभी उन्हें बिजली का झटका लगा, जिससे उनकी मौत हो गई.
'साक्षी की मौत के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने नोटिस जारी किया था'
PTI के मुताबिक, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 27 जून को साक्षी की मौत पर नोटिस भेजा और बयान में कहा कि बिजली अधिकारियों के अलावा, भारतीय रेलवे भी स्टेशन पर "जान जोखिम में डालने वाले मामले पर निगरानी रखने में विफल रहा."
एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने पाया कि रिपोर्ट में संबंधित घटनाएं यदि सच हैं, तो जलजमाव होने देने वाले और बिजली के तार को खुला छोड़ देने वाले "अधिकारियों की स्पष्ट लापरवाही" के कारण मृत परिवार के मानवाधिकारों का "गंभीर उल्लंघन" हुआ है.
'नहीं मिली कोई मदद'
NDTV से बात करते हुए साक्षी के पिता लोकेश कुमार चोपड़ा ने कहा कि उन्हें कोई मदद या प्राथमिक उपचार नहीं मिला, क्योंकि मौके पर कोई एम्बुलेंस, डॉक्टर या पुलिस नहीं थी. परिवार 40 मिनट के बाद ही स्टेशन छोड़ सका क्योंकि सभी एक्जिट गेट भरे हुए थे. साक्षी की अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही मौत हो गई.
'कोई सुविधाएं नहीं हैं'
लोकेश कुमार चोपड़ा ने कहा, "रेलवे अधिकारियों ने हमें सूचित किया कि कार्रवाई की जाएगी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. हमारी प्रणाली में सुधार नहीं हो रहा है. हम वंदे भारत जैसी उच्च गुणवत्ता वाली ट्रेनें बना रहे हैं, लेकिन उचित बुनियादी ढांचा स्थापित करने में असमर्थ हैं. स्टेशनों पर भारी भीड़ के बावजूद कोई सुविधाएं नहीं हैं."
जानकारी के अनुसार, चोपड़ा का परिवार रेलवे की नवीनतम, अत्याधुनिक ट्रेन से चंडीगढ़ जा रहा था.
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