दुश्मन कब दोस्त बन जाएं राजनीति में ये अक्सर होता है. ठीक ऐसा ही बीजेपी नेता गोर्धन झड़फिया के साथ भी हुआ है. एक समय पीएम नरेंद्र मोदी को बिच्छू कहने वाले झड़फिया को पीएम ने सबसे जिम्मेदारी वाला काम सौंपा है,
उत्तर प्रदेश की ज्यादातर लोकसभा सीटें जिताने का जिम्मा. 2014 में जो काम अमित शाह के पास था अब वही काम उनके पास होगा.
झड़फिया इस जिम्मेदारी को मिलने के बाद बहुत भावुक भी हो गए. उन्होंने कहा कि पुरानी बातों को भूल जाइए. मैंने प्रधानमंत्री के साथ 3 दशकों तक पहले भी काम किया है. मैं अपने अहम को देश के रास्ते नहीं आने दूंगा.
मोदी के विरोधी
झड़पिया को एक जमाने में मोदी का विरोधी माना जाता था. वह बीजेपी पर कई कटाक्ष करते रहते थे और गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के धुर विरोधी थे. लेकिन अब बीजेपी ने पुरानी सभी बातों को किनारा कर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है.
गोवर्धन झड़पिया के साथ उत्तर प्रदेश प्रभारी के तौर पर दुष्यंत गौतम और नरोत्तम मिश्रा को भी 2019 की जिम्मेदारी मिली है. लोकसभा चुनावों के लिए जहां विपक्ष महागठबंधन की तैयारियां कर रहा है, वहीं बीजेपी ने अपने सिपाहियों को सबसे बड़े प्रदेश की जिम्मेदारी सौंप दी है.
बिच्छू वाले बयान पर बवाल
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अपनी एक किताब के लॉन्च पर पीएम मोदी को एक बिच्छू की तरह बताया था. मोदी और आरएसएस के रिश्ते पर उन्होंने कहा था, 'मोदी आरएसएस के लिए उस बिच्छू की तरह हैं, जिसे न तो हाथ से हटाया जा सकता है और न ही चप्पल से मार सकते हैं'. इसके बाद इस बयान पर खूब बवाल मचा. लेकिन शशि थरूर ने गोवर्धन झड़पिया का एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि यही कमेंट मुझसे पहले उन्होंने भी मोदी पर किया था. झड़पिया ने भी एक इंटरव्यू के दौरान मोदी को बिच्छू कहा था.
कौन हैं झड़पिया
झड़पिया बीजेपी के उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने गुजरात में रहते हुए नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ काम किया. 2002 के दंगों के दौरान गुजरात के गृहमंत्री रहे झड़पिया पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने हिंसा रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए. इसके बाद तत्कालीन सीएम मोदी ने उनसे गृहमंत्री का पद छीन लिया. 2007 में अपनी अलग पार्टी बनाने के बाद उन्होंने बीजेपी के विरोधी केशुभाई पटेल की पार्टी में अपनी पार्टी का विलय कर लिया. इसके बाद से लगातार झड़पिया ने मोदी और बीजेपी पर जमकर हमला बोला. लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने फिर से बीजेपी का दामन थाम लिया और नरेंद्र मोदी के लिए जमकर प्रचार भी किया. जिसका ईनाम उन्हें अब मिलता दिख रहा है.
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