महाराष्ट्र में मानसून की शुरूआत होते ही किसानों ने खरीफ की बुआई भी शुरू कर दी है. लेकिन अब राज्य के कई जिलों के किसानों पर दोबारा बुआई का खतरा मंडरा रहा है. इसकी वजह है कि सरकारी बीज कंपनी महाबीज का सोयाबीन बोने के बाद भी 50% से ज्यादा खराब निकल रहा है. पूरी फसल न उगने के चलते अब किसानों के लिए संकट के इस दौर में फिर से बुआई करने के हालात बन गए हैं. अब सरकार ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं और दो दिनों में रिपोर्ट मांगी है.
महाराष्ट्र के अकोला जिले के किसान कैलाश शिंदे ने 8 दिनों पहले बड़ी उम्मीद के साथ जिस सोयाबीन के बीज को अपने खेत में बोया था अब उसी पर ट्रैक्टर चला दिया है. बोए हुए सोयाबीन के बीज में से आधे से ज्यादा बीज खराब निकला इस पर अंकुर ही नहीं आया. कैलाश का कहना है कि,
“मैंने दो बोरी सोयाबीन बीज उधार लेकर खेत में बोया था अब समझ नहीं आ रहा है कि करूं तो क्या करूं, फिर से बुआई के लिए पैसे कहां से लाऊं”कैलाश शिंदे, किसान
कई जिलों से आ रही है सोयाबीन बीज की शिकायत
इस साल मानसून की बारिश ने महाराष्ट्र में जून के महीने में दस्तक दी. जिसके बाद कृषि अधिकारियों की सलाह पर किसानों ने बुआई की शुरुआत करनी शुरू की. महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा जिलों में सोयाबीन की फसल बड़े पैमाने पर किसान लगाते है. किसान सरकारी कंपनी महाबीज के बीज पर ही सबसे ज्यादा भरोसा भी करते हैं, लेकिन इस बार माहबीज ने भी किसानों के इस भरोसे को तोड़ दिया. इसे लेकर कंपनी की तरफ से किसानों को कुछ सुझाव दिए गए हैं. महाबीज के अकोला जिला मैनेजर जगतदीश खोखाडे ने कहा,
“महाबीज का कहना है किसानों से उन्हें शिकायतें मिली हैं, इसकी जांच शुरू कर दी गई है. अधिकारी का कहना है किसानों से एक ही अपील करना चाहते हैं कि जमीन में जब तक नमी ना आए बुआई ना करें, बीज को सात सेंटीमीटर से ज्यादा अंदर ना बोएं और बीज बोने से पहले उस पर ट्रीटमेंट करना ना भूलें. यानी फफूंद लगने से बचने वाली दवा जरूर लगाएं.”अकोला जिला मैनेजर जगतदीश खोखाडे
उन्होंने बताया कि, अकोला जिले में करीब 26 हजार क्विंटल सोयाबीन का बीज किसानों को सप्लाई किया गया है. इसमें से अब तक 100 क्विंटल बीज खराब होने की शिकायत मिली है.
दो दिन में मांगी गई रिपोर्ट
सोयाबीन के बीज को लेकर मिल रही शिकायत के बाद राज्य सरकार भी हरकत में आई और कृषि मंत्री दादा भूसे ने खुद कुछ खेतों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया. उन्होंने कृषि अधिकारियों को मामले की जांच के आदेश देकर दो दिनों में रिपोर्ट मांगी है. हालांकि सवाल है कि अगर महाबीज की इसमें कोई गलती निकलती है तो अधिकारियों पर कार्रवाई तो होगी, लेकिन बड़ी संख्या में खराब बीज की वजह से किसानों को दोबारा बुआई करनी होगी, उसका पैसा किसान कहां से लाएंगे? सरकार को इस सवाल का जवाब भी देना होगा.
महाराष्ट्र में कपास के बाद दूसरे नंबर पर सोयाबीन की खेती होती है. जानकारी के मुताबिक हर हाल करीब 40 लाख हेक्टियर जमीन पर सोयाबीन की बुआई की जाती है और शायद यही वजह है की राज्य की महत्वपूर्ण फसल की बुआई में आई इस परेशानी ने सरकार की भी नींद उड़ा दी है. रिपोर्ट आने के बाद असली कारणों का पता चल सकेगा लेकिन ये बाद साफ है कि पहले लॉकडाउन की मार और अब महाबीज के खराब बीजों के वार ने किसानों का बारिश के मौसम में पसीना निकाल दिया है.
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