कोरोना जैसी महामारी के बीच सबसे बुरा रवैया प्राइवेट अस्पतालों का है. देशभर से कई ऐसी खबरें आ रही हैं कि अस्पतालों की मनमानी के चलते लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. ऐसा ही मामला कुछ दिन पहले दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा से भी सामने आया था. जहां एक गर्भवती महिला ने 13 घंटे तक अस्पतालों के चक्कर लगाए और इलाज नहीं मिलने के चलते आखिरकार उसकी मौत हो गई. अब इस मामले को लेकर मानवाधिकार आयोग ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यूपी सरकार को गर्भवती महिला की मौत को लेकर नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा रही. गर्भवती महिला के साथ अस्पतालों के इस व्यवहार को लेकर लोगों ने खूब गुस्सा जताया.
योगी सरकार को जारी एनएचआरसी के इस नोटिस में मामले को लेकर चार हफ्तों में एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है. इसमें आरोपी हॉस्पिटलों और डॉक्टरों पर कार्रवाई की बात भी कही गई है.
क्या है पूरा मामला?
6 जून को ग्रेटर नोएडा में एक गर्भवती महिला की अचानक तबीयत बिगड़ी, जिसके बाद वो एंबुलेंस में हॉस्पिटल के लिए निकली.
लेकिन आस-पास के किसी भी हॉस्पिटल ने उसे भर्ती करने के साफ इनकार कर दिया. महिला एंबुलेंस में ही हॉस्पिटलों के चक्कर लगाती रहीं, करीब 8 हॉस्पिटल और नर्सिंग होम ने इलाज नहीं किया. परिवार के मुताबिक वो हर बार हॉस्पिटल प्रशासन से गुजारिश करते रहे, लेकिन किसी ने भी बेड नहीं दिया. आखिरकार 13 घंटे बाद महिला ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया.
इस मामले को लेकर जांच के आदेश दिए गए थे. हालांकि अब तक हॉस्पिटल प्रशासन पर किसी भी तरह की कार्रवाई को लेकर कोई जानकारी नहीं मिली है.
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