दावा
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है, जिसमें कहा गया है कि 2017 से पहले अखिलेश सरकार बॉलीवुड के 172 सेलेब्स को सोशल मीडिया पर सरकार के लिए पॉजिटिव कमेंट करने के लिए हर महीने 50,000 रुपये दिया करती थी, जिसे अब योगी सरकार ने बंद कर दिया है.
कॉपी लिखे जाने तक इस ट्वीट पर लगभग 24 हजार लाइक्स और करीब 12 हजार लोगों ने रिट्वीट किया था.
वहीं, इसी ट्वीट की कॉपी को कई ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया है.
इस मैसेज में ये दावा किया गया है कि अनुराग कश्यप, विशाल भारद्वाज, राज बब्बर और नदिरा राज बब्बर जैसे बड़े सेलेब्स पॉजिटिव कमेंट करने के लिए हर महीने सरकार से पैसे लिया करते थे.
कुछ ऐसे भी ट्वीट थे, जिसमें कहा गया था कि जो बॉलीवुड सितारे सीएए को लेकर प्रधानमंत्री के खिलाफ बोल रहे हैं, वो ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इन्हें पॉजिटिव कमेंट करने के पैसे नहीं मिल रहे हैं.
क्या है सच्चाई?
जब हमने इसकी जांच की तो पाया कि दावा पूरी तरह से झूठा है. जहां तक पैसे का सवाल है, तो ये पेंशन है जो उत्तर प्रदेश के ‘पद्म अवॉर्ड’ के साथ-साथ ‘यश भारती अवॉर्ड’ विजेताओं को दिया गया था. ये पुरस्कार 1994-95 में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली यूपी सरकार में शुरू किया गया था. इस स्कीम के तहत, विजेताओं को इस योजना के तहत वन टाईम कैश पुरस्कार और बाद में राज्य सरकार से मासिक पेंशन मिलता है.
हालांकि, पेंशन रुकने की खबर हाल की नहीं है, ये 2017 में आई थी.
फिर हमें द इंडियन एक्सप्रेस का जून 2017 में छपा एक आर्टिकल मिला, जिसके मुताबिक, मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के तुरंत बाद यूपी में यश भारती और पद्म अवॉर्ड विजेताओं को दी जाने वाली 50,000 रुपये की पेंशन पर रोक लगा दी गई थी. इस पेंशन को अखिलेश सरकार ने शुरू किया था और ये सिर्फ अवॉर्ड का हिस्सा भर थी.
इसलिए, ये साफ होता है कि इन सेलेब्स को अवॉर्ड के रूप में दी जाने वाली राशि अखिलेश यादव सरकार या किसी अन्य सरकार के बारे में पॉजिटिव बात करने के लिए नहीं दी गई थी.
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस अवॉर्ड को साहित्य, सामाजिक कार्य, चिकित्सा, विज्ञान, फिल्म, पत्रकारिता, हस्तकला, संस्कृति, नाटक, संगीत, शिक्षा, खेल, उद्योग और ज्योतिष के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया जाता था.
इससे ये साफ होता है कि दावे से उलट, ये पैसे सिर्फ बॉलीवुड सितारों को नहीं, बल्कि अलग-अलग क्षेत्र के लोगों को दिया गया था.
आर्टिल के मुताबिक, मुलायम सिंह यादव सरकार ने 1994-95 में इस अवॉर्ड में प्रशंसा पत्र, एक शॉल और 1 लाख की नकद राशि शुरू की थी, जिसे अखिलेश यादव के सत्ता में आने के बाद बढ़ाकर 11 लाख कर दी गई. इसी के साथ, अखिलेश सरकार ने यश भारती और पद्म अवॉर्ड विजेताओं के लिए 50,000 का पेंशन भी शुरू किया.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अप्रैल 2017 में सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोग्य लोगों के पेंशन पाने के आरोप सामने आने के बाद अवॉर्ड विजेताओं के सेलेक्शन के तरीके की समीक्षा की.
द टाइम्स ऑफ इंडिया के मई 2017 के एक आर्टिकल के मुताबिक, एक आरटीआई रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि यूपी सरकार ने 2016-17 में 10.32 करोड़ रुपये खर्च कर 172 लाभार्थियों को 50,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन दी थी, जिन्हें यश भारती अवार्ड से सम्मानित किया गया था.
बरेली के रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट मोहम्मद खालिद जिलानी ने आरटीआई दायर की थी और सीएम योगी से इसके तहत पेंशन देने से रोकने की अपील की थी.
हालांकि, 2018, में यूपी सरकार ने यश भारती अवॉर्ड के विजेताओं को पेंशन स्कीम को वापस शुरू किया, लेकिन इसकी राशि घटाकर 25,000 रुपये कर दी. इसलिए, योगी आदित्यनाथ के पेंशन रोकने का दावा भी गलत है, क्योंकि उन्होंने वापस इस स्कीम को शुरू किया.
एक आधिकारिक नोटिफिकेशन और इंडिया टूडे की जुलाई 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 25,000 रुपये की मासिक पेंशन उन्हीं को दी जाएगी, जिन्हें कोई सरकारी लाभ ना मिल रहा हो.
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