लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) की दस्तक के साथ सोशल मीडिया पर "Challenge vote" और भारतीय नागरिकों के मतदान अधिकार (Voting Rights) को लेकर एक मैसेज वायरल हो रहा है. वायरल दावे में कहा गया है कि:
जब आप पोलिंग बूथ पर पहुंचते हैं और यह पाते हैं कि आपका नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो बस अपना आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र दिखाएं और धारा 49ए के तहत "Challenge Vote" मांगें और अपना वोट डालें.
अगर आपको लगता है कि किसी ने आपका वोट पहले ही डाल दिया है, तो "टेंडर वोट" मांगें और अपना वोट डालें.
अगर किसी मतदान केंद्र पर 14% से ज्यादा टेंडर वोट दर्ज किए जाते हैं, तो ऐसे मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान (Re-Voting) कराया जाएगा.
सच क्या है?: ये दावे सच नहीं, भ्रामक हैं.
आइए एक - एक कर इन दावों का सच जानें: वायरल पोस्ट में पहला पॉइंट कहता है कि अगर आपका नाम मतदाता सूची (Voter List) में नहीं है तो आपको बस अपना आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र दिखाना होगा और धारा 49ए के तहत Challenge Vote मांगना होगा फिर आप अपना वोट डाल सकते हैं.
हालांकि, यह झूठ है. अगर किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो वह मतदान नहीं कर सकता है.
चुनाव आयोग (ECI) नागरिकों को उनके निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में नाम शामिल होने के बाद ही मतदाता पहचान पत्र जारी करता है. अगर किसी के पास मतदाता पहचान पत्र है, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें निश्चित रूप से वोटिंग की अनुमति दी जाएगी. क्योंकि यह अनिवार्य है कि मतदान करने के लिए उनका नाम मतदाता सूची में होना चाहिए.
Challenge Vote क्या है?: मैसेज में 'Challenge Vote' नाम जैसी किसी चीज का उल्लेख है, और उसे गलत तरीके से धारा 49ए से जोड़ दिया गया है.
'Challenge Vote' वह होता है जहां पोलिंग एजेंट किसी वोटर की पहचान पर कोई संशय जाहिर करते हैं और पीठासीन अधिकारी उसकी जांच करता है.
'चुनाव आचरण नियम, 1961' की धारा 49ए 'इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के डिजाइन' के बारे में बताती हैं, और इसका 'Challenge Vote' से कोई लेना-देना नहीं है.
दूसरा पॉइंट सही है: वायरल मैसेज में दूसरे पॉइंट में कहा गया है कि अगर आपको पता चलता है कि किसी ने पहले ही आपका वोट डाल दिया है, तो आप 'टेंडर वोट' मांग सकते हैं और अपना वोट डाल सकते हैं.
यह सच है.चुनाव आचरण नियम, 1961 के नियम 42 के अनुसार, अगर मतदान अधिकारी किसी व्यक्ति को बताता है कि उसका वोट पहले ही डाला जा चुका है, तो उसे तुरंत इसे पीठासीन अधिकारी के ध्यान में लाना चाहिए.
ऐसे मामले में, पीठासीन अधिकारी किसी की पहचान की पुष्टि करने के लिए जांच कर सकता है.
एक बार जब यह पुष्टि हो जाती है कि वोटर की पहचान असली है, तो वोटर पहले टेंडर बैलट पेपर लेगा और इसके बाद 'टेंडर वोट' डाल सकता है.
एक टेंडर बैलट पेपर, वोटिंग यूनिट पर छपे मतपत्र के समान ही होता है,बस इसके पीछे 'tender ballot' लिखा जाएगा या छापा जाएगा.
अंतिम पॉइंट: मैसेज के अंत में कहा गया है, "अगर किसी मतदान केंद्र पर 14% से ज्यादा टेंडर वोट दर्ज किए जाते हैं, तो ऐसे मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान कराया जाएगा."
यह दावा भी गलत है. द क्विंट से बात करते हुए, ECI के पूर्व निदेशक, पद्मा एंगमो ने 2019 में स्पष्ट किया था कि उच्च न्यायालय के निर्देश पर ही टेंडर किए गए वोटों पर विचार किया जाएगा.
उन्होंने कहा, "अदालतों ने कहा है कि टेंडर किए गए वोटों को केवल तभी ध्यान में रखा जाना चाहिए जब वे चुनाव के नतीजे को प्रभावित करने की संभावना रखते हों, यानी जब जीत का अंतर टेंडर किए गए वोटों की संख्या से कम हो."
निष्कर्ष: चुनाव से पहले 'Challenge Vote' के बारे में वायरल हो रहे पोस्ट में किए गए दावे भ्रामक हैं.
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