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महाराष्ट्र में कोरोना की आड़ में हो रही अंगों की तस्करी?क्या है सच

क्विंट ने पाया कि इस तस्वीर में लखनऊ की एक महिला हैं, जो एक लावारिस शव का दाह संस्कार कर रही हैं.

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सोशल मीडिया पर कई यूजर्स एक इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम से दाह संस्कार की फोटो शेयर कर दावा कर रहे हैं कि महाराष्ट्र में कोरोना वायरस महामारी की आड़ में अंगों की तस्करी हो रही है.

हालांकि, क्विंट ने पाया कि इस तस्वीर में लखनऊ की एक महिला हैं, जो एक लावारिस शव का दाह संस्कार कर रही हैं.

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दावा

फोटो में, एक महिला और दो पुरुषों को एक शव का दाह संस्कार करते देखा जा सकता है. सोशल मीडिया पर दावा किया गया कि महाराष्ट्र में कोरोना वायरस की आड़ में अंग तस्करी का रैकेट चल रहा है.

वायरल मैसेज में लिखा है: “भायंदर के गोराई में पिछले दिनों कोई केस नहीं था, एक व्यक्ति को हल्का बुखार, सर्दी खांसी हुई तो चेक करवाने गया उसे जबरदस्ती भर्ती करके रिपोर्ट positive बताई गई. फिर अचानक उसकी आज मृत्यु हो जाती है और पूरी बाडी पैक करके जलाने की तैयारी की जाती है मगर परिवार वालों के जिद्द करने पर जब बाडी को खोला जाता है ,तो शरीर के सारे अंग गायब मिलते हैं. ये अभी महाराष्ट्र में "मृत शरीर कोरोना घोटाला" सामने आने से हॉस्पिटल से हडकंप मचा हुआ है, आखिर कितने लोगों के साथ ऐसा खिलवाड़ किया गया है.

पोस्ट में आगे लिखा है कि इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए, ताकि ऐसे अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके.

हमने देखा कि कई यूजर्स ट्विटर और फेसबुक पर इसे इसी दावे के साथ शेयर कर रहे थे.

हमें जांच में क्या मिला?

फोटो पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर, हमें Delhi Crime Press नाम की एक वेबसाइट मिली, जिसपर वही तस्वीरें मौजूद थीं, जो वायरल हो रही थीं.

हमने देखा कि स्टोरी का क्रेडिट ओम शुक्ला को दिया गया है, जो उनके फेसबुक बायो के मुताबिक, एक स्पेशल क्राइम इन्वेस्टिगेटर है.

हमने फेसबुक पर शुक्ला के नाम के साथ, ‘मानव अंगों की तस्करी’ कीवर्ड्स के साथ सर्च किया, और लखनऊ की एक महिला, वर्षा वर्मा का एक पोस्ट मिला.

21 जुलाई को किए इस पोस्ट के मुताबिक, वायरल फोटो में वही महिला थी. उन्होंने शुक्ला पर उनकी तस्वीरों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. वर्मा ने बताया कि उन्होंने और साथी दीपक महाजन ने, अपने एनजीओ एक कोशिश ऐसी भी के जरिए लावारिस शवों का दाह संस्कार किया.

हमें वर्मा का 18 जुलाई का भी एक पोस्ट मिला, जिसमें उन्होंने वही तस्वीरें अपलोड की हुई थीं. इन तस्वीरों के साथ लिखा था कि उन्होंने एक 43 साल की महिला का दाह संस्कार (पोस्टमॉर्टम के बाद) किया, जिसे इलाज के लिए लखनऊ के सिविल अस्पताल में लागा गया था, लेकिन उनकी मौत हो गई.

उन्होंने पोस्ट में आगे लिखा है कि अब तक, वो लॉकडाउन में 17 लावारिस शवों का दाह संस्कार कर चुकी हैं. उनका प्रोफाइल देखने के बाद हमें मालूम चला कि उन्होंने शुक्ला के खिलाफ साइबर सेल में एफआईआर भी दर्ज कराई है.

क्विंट ने एनजीओ की अध्यक्ष वर्मा से संपर्क किया, जिन्होंने कंफर्म किया कि वायरल तस्वीरें 18 जुलाई को लखनऊ में किए गए दाह संस्कार की है.

उन्होंने हमें बताया कि अपने वकील की सलाह पर उन्होंने शुक्ला के खिलाफ साइबर सेल और स्थानीय पुलिस स्टेशन में एफआईआर भी दर्ज कराई है और वो अब शुक्ला के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने का प्लान कर रही हैं.

जब क्विंट ने पूछा कि क्या उन्होंने शुक्ला से बात की है, तो वर्मा ने जवाब दिया कि उन्होंने दूसरे लोगों के जरिए शुक्ला से संपर्क किया और उन्होंने माना कि ये गलत जानकारी है, लेकिन वो स्टोरी नहीं हटाएगा, क्योंकि इससे उसकी वेबसाइट पर उससे अच्छा ट्रैफिक आ रहा है. शुक्ला फेसबुक से अपना पोस्ट हटाने से राजी हो गए.

क्विंट ने शुक्ला से भी संपर्क किया, जिन्होंने माना कि उन्हें बताया गया है कि ये गलत जानकारी है, लेकिन ये भी कहा कि मामला अभी पूरी तरह से साफ नहीं है. उन्होंने ये भी दावा किया कि वेबसाइट से पोस्ट को हटा लिया गया है, लेकिन जब उन्हें बताया गया कि पोस्ट अभी भी है, तो उन्होंने कहा कि वो दोबारा चेक कर डिलीट करेंगे.

हमने शुक्ला का फेसबुक प्रोफाइल भी चेक किया. उन्होंने 22 जुलाई को एक पोस्ट में लोगों से महाराष्ट्र कोरोना वायरस वाली स्टोरी नहीं शेयर करने की अपील की है. उन्होंने लिखा कि “सत्यता की जांच में वो न्यूज गलत पाई गई.”

दोस्तों अभी कुछ दिन पहले कोरोना को लेकर महाराष्ट्र का एक न्यूज अपडेट हुवा था कृपया उसको शेयर न करें उसकी सत्यता की जांच में वो न्यूज़ गलत पायी गयी है । धन्यवाद।

Posted by Om Shukla on Wednesday, July 22, 2020

इससे साफ होता है किए एक एनजीओ के सदस्यों की तस्वीरों को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.

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