सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर की जा रही है जिसमें एक शख्स एक पुलिसकर्मी का जबड़ा पकड़े देखा जा सकता है. दावा किया जा रहा है कि फोटो में जोधपुर में एक मुस्लिम (Muslim) शख्स एक पुलिसकर्मी के साथ मारपीट करता दिख रहा है.
हालांकि, फोटो असली है, लेकिन पुरानी है. साथ ही, ये दावा भी गलत है कि फोटो में दिख रहा शख्स मुस्लिम है.
हमने फोटो में दिख रहे शख्स शोभाराम से बात की, जिन्होंने बताया कि ये तस्वीर मई 2016 की है. ये फोटो तब खींची गई थी, जब पुलिस जोधपुर के घंटाघर बाजार वाले इलाके को खाली करने के लिए गई थी. घटना के बाद धर्मेंद्र नाम के शख्स ने उनके साथ मारपीट की थी.
दावा
फोटो को शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, ''भारत का डरा हुआ मुस्लिम एक पुलिसकर्मी के साथ.''
वहीं दूसरे यूजर ने लिखा, ''18% पर ये हाल है, 30% पर क्या होगा?''
पड़ताल में हमने क्या पाया
फोटो को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर, हमें 4 जून 2020 की एक फेसबुक पोस्ट मिली.
इस पोस्ट में एक न्यूजपेपर की कटिंग थी, जिसमें इसी फोटो का इस्तेमाल किया गया था. न्यूजपेपर की कटिंग के मुताबिक, ये घटना जोधपुर में घंटाघर मार्केट की है.
यहां से क्लू लेकर, हमने गूगल पर 'घंटाघर जोधपुर पुलिस पर हमला' कीवर्ड का इस्तेमाल कर सर्च किया. हमें Dainik Bhaskar पर 2016 में पब्लिश एक आर्टिकल मिला.
आर्टिकल के मुताबिक, ये घटना मई 2016 में हुई थी और आर्टिकल में पुलिसकर्मी की पहचान हेड कॉन्सटेबल शोभाराम के तौर पर की गई थी.
क्विंट ने हेड कॉन्सटेबल शोभाराम से संपर्क किया. शोभाराम वर्तमान में जोधपुर पुलिस में असिस्टेंट सब इंसपेक्टर हैं. उन्होंने हमें बताया कि फोटो शेयर कर जो दावे किए जा रहे हैं वो झूठे हैं. शोभाराम ने बताया कि:
घटना मई 2016 की है, तब घंटाघर के पास कुछ ठेले वालों से ठेला हटाने के लिए कहा गया था. जहां धर्मेंद्र नाम के एक ठेलेवाले ने मुझे गालियां दीं और मेरे साथ मारपीट शुरू कर दी.
शोभाराम ने आगे बताया कि आरोपी मुस्लिम नहीं था और बाद में उसे इस घटना के लिए गिरफ्तार किया गया था.
मतलब साफ है 2016 में जोधपुर में हुए एक घटना की पुरानी फोटो को एंटी मुस्लिम नैरेटिव के साथ झूठे दावे से शेयर किया जा रहा है.
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