दावा
कुछ लड़कों का बर्तन चाटते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो के साथ दावा किया गया है कि ऐसा वो कोरोनावायरस को फैलाने के लिए कर रहे हैं.
वीडियो के साथ शेयर किए जा रहे मैसेज में लिखा है, "बिहारी मस्जिद में छिपे 14 चीनी मुस्लिम को बिहार पुलिस कोरोनावायरस टेस्ट के लिए लेकर गई है. इरोड पुलिस ने कोरोनावायरस से संक्रमित थाईलैंड के मुस्लिम मुल्लाओं को पकड़ा है. आज, सलेम पुलिस ने सलेम मस्जिद से इंडोनेशिया के 11 मुस्लिम मुल्लाओं को पकड़ा. वीडियो में दिख रहा है कि वो चम्मच, प्लेट और बाकी बर्तनों पर थूक लगा रहे हैं. वो कोरोना वायरस बीमारी फैलाने के इरादे में हैं. कोई नहीं जानता कि देश में क्या हो रहा है."
इस मैसेज में दावा किया गया है कि देश में कई मुस्लिम कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और कई लोगों को पुलिस ने एक जगह से पकड़ा है. इसमें आगे लिखा है कि बर्तनों पर थूक लगाते देखे जा सकते हैं, जो अभी तक कोरोनावायरस को फैलाने का एक जरिया है.
फेसबुक पर भी यूजर्स ने इसी दावे के साथ वीडियो को शेयर किया.
ट्विटर पर भी ये वीडियो इसी दावे के साथ शेयर किया गया.
यूट्यूब पर भी इसे शेयर किया गया.
सच या झूठ?
जिस दावे के साथ इस वीडियो को शेयर किया जा रहा है, वो गलत है. ये वीडियो काफी पुराना है और COVID-19 महामारी से जुड़ा हुआ नहीं है.
हमें जांच में क्या मिला?
गूगल पर 'मु्स्लिम का प्लेट चाटना' जैसे कीवर्ड्स के साथ सर्च करने पर, हमें Vimeo पर वही वीडियो मिला, जो 31 जुलाई 2018 को Asghar Vasanwala नाम के यूजर ने अपलोड किया था. वीडियो के डिस्क्रिप्शन के मुताबिक, वीडियो में दिखाई दे रहे लोग दाउदी बोहरा समुदाय से हैं, जो खाने को बर्बाद नहीं करने के अपने विश्वास को मानते हुए बर्तन को चाट रहे हैं.
इससे ये साफ होता है कि ये वीडियो कोरोना वायरस महामारी से पहले अपलोड किया गया था और वायरस को फैलाने से इसका कुछ लेना-देना नहीं है.
इसके बाद, हमने शिया इस्लाम के एक सेक्ट दाउदी बोहरा को लेकर सर्च किया और पाया कि वीडियो में लोगों ने जो टोपी पहनी है, वो एकदम बोहा समुदाय के लोगों जैसी है. इनकी वेबसाइट के मुताबिक, दाउदी बोहरा समुदाय के लोग उनकी संस्कृति और रिवाजों को दिखाती टोपी पहनते हैं, जो सफेद होती है और उसका बॉर्डर गोल्ड होता है.
इसके अलावा, वेबसाइट पर लिखा है कि वो स्टील की 'थाल' पर भोजन करने की परंपरा का पालन करते हैं, जिसे 8 या 9 लोगों के साथ खाने के लिए डिजाइन किया गया है. वो खाने को बिल्कुल भी नहीं बर्बाद करने में यकीन करते हैं. "बोहराओं की नो-वेस्टेज पॉलिसी है, इसलिए जब थाल हटाई जाती है, तो इसपर एक भी निवाला नहीं छोड़ा जाना चाहिए."
वेबसाइट पर इस पॉलिसी को लेकर एक आर्टिकल भी है, जिसमें लिखा है कि थाल की जांच की जाती है.
एक ट्विटर यूजर ने भी इस वायरल वीडियो पर रिएक्ट करते हुए कहा कि यहां बोहरा जीरो-वेस्टेज फूड पॉलिसी को प्रैक्टिस कर रहे हैं.
इससे ये साफ होता है कि एक पुराना वीडियो गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है. वीडियो में दाउदी बोहरा समुदाय की परंपरा का पालन किया जा रहा है.
(जबसे ये महामारी फैली है, इंटरनेट पर बहुत सी झूठी बातें तैर रही हैं. क्विंट लगातार ऐसी झूठ और भ्रामक बातों की सच उजागर कर रहा है. आप यहां हमारे फैक्ट चेक स्टोरीज पढ़ सकते हैं.)
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