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केरल बाढ़ के हवाई सर्वे के दौरान राहुल गांधी ने खाया समोसा?

सोशल मीडिया पर काफी देखा जा रहा है राहुल गांधी का ये वीडियो

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दावा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी का हेलीकॉप्टर में समोसा खाते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है. इस वीडियो को ट्विटर यूजर मधु पूर्णिमा किश्वर ने शेयर किया और लिखा है कि ये वीडियो 'केरल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में एरियल सर्वे' के दौरान का है.

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इस वीडियो को शेयर करने के एक घंटे के अंदर ही 10,000 से ज्यादा बार देखा गया. किश्वर ने वीडियो शेयर कर लिखा, ‘फन वॉच- वायनाड सांसद का केरल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का एरियल सर्वे.’

सोशल मीडिया पर काफी देखा जा रहा है राहुल गांधी का ये वीडियो

उनके इस ट्वीट को यहां देखा जा सकता है.

सच या झूठ?

वीडियो के साथ-साथ ये दावा भी झूठा है. ये वीडियो केरल बाढ़ के दौरान राहुल गांधी के एरियल सर्वे का नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश में उनके चुनाव प्रचार के दौरान का है. वीडियो इसी साल अप्रैल का है.

हमें जांच में क्या मिला?

उनके ट्वीट के कमेंट्स में हमने देखा कि एक ट्विटर यूजर ने एक यूट्यूब वीडियो का लिंक शेयर किया है, जो 23 अप्रैल को अपलोड किया गया था. इस वीडियो का टाइटल है- उत्तर प्रदेश के अमेठी में हेलीकॉप्टर में बैठे राहुल गांधी.

एबीपी न्यूज चैनल ने भी इस वीडियो को अपने यूट्यूब चैनल पर अप्रैल में अपलोड किया था. वीडियो के मुताबिक, ये लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी के चुनाव प्रचार का है.

इससे पहले भी ऐसा कर चुकी हैं किश्वर

राइटर मधु पूर्णिमा किश्वर ने मई में एक फेक फोटो को रिट्वीट किया था. एक ट्विटर यूजर ने एक फोटो पोस्ट की थी, जिसमें कई युवा पाकिस्तानी झंडे के साथ एक बैनर पकड़े नजर आ रहे हैं. इस बैनर पर लिखा है: 'हमें कश्मीर नहीं चाहिए, हमें विराट कोहली दे दो.'

इस फोटो को लेखक मधु किश्वर ने रीट्वीट करते हुए लिखा, 'एक वक्त पर पाकिस्तानी जपते थे, 'माधुरी दे दो, पीओके भी ले लो'. नई महत्वाकांक्षाएं, नए फ्रस्ट्रेशन.'

रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें अगस्त 2016 का इंडिया टुडे का एक आर्टिकल मिला, जिसमें कश्मीर में हिज्‍बुल मुजाहिद्दीन कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीरी युवाओं ने पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए थे. ओरिजनल फोटो में, पाकिस्तान के झंडे के साथ खड़े कश्मीरी युवाओं के हाथ में एक बैनर है, जिसमें लिखा है, 'हमें आजादी चाहिए.'

वहीं मार्च में उन्होंने एक पोस्ट ट्वीट किया था, जिसमें दावा किया गया था कि 2019 लोकसभा चुनाव के लिए डीएमके का घोषणापत्र 'एंटी-हिंदू' था और उसके पेज 85 और 112 के डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि मंदिर की भूमि पर कब्जा करने वाले लोगों को नियमित किया जाएगा, उनके स्वामित्व को ट्रांसफर किया जाएगा और अतिक्रमण की गई वक्फ की जमीन पर फिर से दावा किया जाएगा और वापस बोर्ड को सौंप दिया जाएगा.

हालांकि डीएमके के घोषणापत्र में पेज नंबर 85 और 112 था ही नहीं. ये पूरा घोषणापत्र ही केवल 76 पन्नों का था. डीएमके के प्रवक्ता मनुराज एस ने इसे लेकर सफाई भी पेश की थी.

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