आरबीआई के डायरेक्टर एस गुरुमूर्ति ने 16 अप्रैल को अखबार के एक आर्टिकल की फोटो ट्वीट की. इस क्लिप में दावा किया गया कि बॉस्टन एयरपोर्ट पर एक भारतीय राजनेता के पास से प्रतिबंधित ड्रग्स और बेहिसाब कैश मिलने पर उसे हिरासत में लिया गया.
आर्टिकल में लिखा है कि हिरासत में लिया गया पॉलिटिशियन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री का बेटा था, और अमेरिका में भारतीय राजदूत के हस्तक्षेप के बाद उसे छोड़ा गया था.
एस गुरुमूर्ति ने जो आर्टिकल शेयर किया है, वो 30 सितंबर, 2001 का है. इस ट्वीट को हालांकि अब डिलीट कर दिया गया है. डिलीट करने से पहले सिर्फ 35 मिनट में इसे 400 यूजर्स रीट्वीट कर चुके थे.
सच या झूठ?
अखबार की ये क्लिप बॉस्टन के एक नामी अखबार 'द बॉस्टन ग्लोब' की नकल कर बनाई गई है.
ऑल्ट न्यूज के फाउंडर प्रतीक सिन्हा ने ट्वीट कर बताया कि अखबार की ये फोटो एक ऑनलाइन टूल की मदद से बनाई गई है.
इस फोटो को fodey.com नाम के न्यूजपेपर क्लिपिंग जेनरेटर से बनाया गया है. ये वेबसाइट यूजर को किसी भी अखबार की क्लिप को क्रिएट करने का ऑप्शन देती है.
अखबार की इस क्लिप का सच पता लगाने के बाद हमने इसमें लिखी खबर की जांच की.
'भारतीय राजनेता' राहुल गांधी?
इस फेक क्लिप में जिस ‘भारतीय राजनेता’ का दावा किया है, वो राहुल गांधी की तरफ इशारा करता है. हालांकि, इस बीच ये भी ध्यान देना जरूरी है कि कांग्रेस पार्टी की वेबसाइट के मुताबिक राहुल गांधी ने 2004 से पहले राजनीति में अपनी एंट्री की घोषणा नहीं की थी, जिसका मतलब है कि 2001 में, वो ‘भारतीय राजनेता’ नहीं थे.
क्या FBI ने राहुल गांधी को बॉस्टन एयरपोर्ट पर हिरासत में लिया था?
द हिंदू के एक आर्टिकल के मुताबिक, 29 सितंबर, 2001 को, कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष राहुल गांधी को वॉशिंगटन जाते वक्त बॉस्टन एयरपोर्ट पर एफबीआई अधिकारियों ने करीब एक घंटे के लिए रोका था.
सूत्रों के हवाले से खबर में लिखा गया है कि गांधी के सभी ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स को देखने के बाद भी एफबीआई एजेंट उन्हें जाने नहीं दे रहे थे. अधिकारियों को ये बताए जाने के बाद कि वो पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री के बेटे हैं, इसके बावजूद गांधी का बैग चेक किया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि राहुल गांधी को सोनिया गांधी के हस्तक्षेप के बाद छोड़ा गया था, जिन्होंने तब अमेरिका में भारत के एंबेसडर ललित मानसिंह को फोन किया था.
हालांकि, द हिंदू के वॉशिंगटन कॉरस्पॉन्डेंट श्रीधर कृष्णास्वामी ने इस मामले में भारतीय राजदूतों के शामिल होने से इनकार किया. उन्होंने लिखा है कि क्योंकि राहुल गांधी को अमेरिका में कोई प्रोटेक्शन हासिल नहीं था, इसलिए यूएस एजेंसियां इंडियन एंबेसी को इस बारे में बताने के लिए बाध्य नहीं थीं.
क्विंट ने श्रीधर कृष्णस्वामी से बात की, जिन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि उस दिन राहुल गांधी को क्यों हिरासत में लिया गया था.
‘मुझे कोई आइडिया नहीं है कि उन्हें क्यों हिरासत में लिया गया था. उस समय चर्चा थी, तो मैंने मिस्टर मानसिंह से बात की, जो उस समय भारत के एंबेसडर थे. मैंने एंबेसी के कुछ और लोगों से भी बात की थी, जिन्होंने मुझे साफ बताया कि उन्हें कोई आइडिया नहीं था कि कभी ऐसा भी कुछ हुआ था. अब वो बॉस्टन क्यों आए ये मेरी समझ से बिलकुल परे है. अधिकारियों ने मुझे बताया कि उनके हिरासत में लिए जाने की खबर सच नहीं है, हमने इसे अपनी रिपोर्ट में बताया था. मेरे पास किसी भी इंडिपेंडेंट वेरिफिकेशन का कोई साधन नहीं था.’क्विंट से बातचीत में श्रीधर कृष्णस्वामी
इस बीच, द हिंदू ने लिखा कि उस समय 9/11 हमलों के बाद अमेरिका में “सुरक्षा को लेकर सावधानियां” बढ़ी हुई थीं और एफबीआई और अन्य लोगों द्वारा कई सुरक्षा जांच को देखा जा रहा था.
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