कोरोना वैक्सीन को लेकर हो रहे झूठे दावों का सिलसिला जारी है. फेक न्यूज पेडलर्स वैक्सीन को लेकर भ्रम फैलाने के लिए एक नई अफवाह लेकर आए. इस हफ्ते सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें शेयर कर दावा किया गया कि वैक्सीन लगाने से शरीर में ‘चुम्बकीय शक्ति’ पैदा हो सकती है. पीएम मोदी को लेकर भी ये झूठा दावा किया गया कि, वो एक ही दिन अलग-अलग लोगों से मुलाकात के लिए हर बार कपड़े बदलते हैं.
वहीं किसी ने शिवसेना नेता संजय राउत की फोटो को एडिट कर झूठा दावा किया कि वे पीएम और उद्धव के लिए चाय परोस रहे थे. तो किसी ने अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई के वीडियो को जम्मू कश्मीर में तोड़ी गई रोहिंग्याओं की बस्ती का बताया. सोशल मीडिया पर इस हफ्ते किए ऐसे तमाम दावों का सच और उसकी पूरी पड़ताल एक साथ...
1.वैक्सीन के दूसरे डोज से शरीर में आ जाती है ‘चुम्बकीय शक्ति’?
सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें वायरल हो रही है. जिसमें एक शख्स के शरीर से स्टील के बर्तन और सिक्के चिपकते दिख रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि ये कोरोना वैक्सीन के दूसरे डोज का असर है. दावा है कि वैक्सीन लेने से लोगों के शरीर में मैग्नेटिक पॉवर यानी चुम्बकीय शक्ति आ जाती है.
कई मीडिया हाउसेस ने वीडियो को इसी दावे के साथ शेयर किया. हालांकि, जब हमने वायरल वीडियो में दिख रहे शख्स अरविंद सोनार से संपर्क किया, तो उन्होंने इस दावे से साफ इनकार कर दिया कि वैक्सीन लेने के बाद उनके अंदर मैग्नेिटिक पॉवर आ गई.
सोशल मीडिया पर फोटो के साथ शेयर हो रहा कैप्शन है- नासिक के इस शख्स का दावा है कि कोविशील्ड वैक्सीन लेने के बाद इसके शरीर मे मैग्नेटिक पॉवर आ गई है. (हिंदी अनुवाद)
फोटो इसी कैप्शन के साथ ट्विटर और फेसबुक पर वायरल है. अर्काइव यहां, यहां और यहां देखें
न्यूज़ 18, नवभारत टाइम्स, इंडिया.कॉम और एबीपी मांझा जैसे क्षेत्रीय चैनलों की स्टोरी में कहा गया है - नासिक के शख्स का दावा है कि कोरोना वैक्सीन लेने के बाद उसके शरीर मे मैग्नेटिक पॉवर डेवलप हो गई.
वीडियो में दिख रहे शख्स के परिवार ने दावों को फेक बताया
क्विंट ने नासिक के सोनार परिवार से संपर्क किया. परिवार ने वैक्सीन के बाद मैग्नेटिक पॉवर डेवलप होने के दावे को फेक बताया. वायरल वीडियो में दिख रहा अरविंद सोनार के बेटे जयंत सोनार ने कहा-
‘’परिवार में किसी और को इस तरह का अनुभव नहीं हो रहा है. मेरे माता-पिता दोनों ने वैक्सीन लिया है, लेकिन, केवल मेरे पिता का शरीर चम्मच और सिक्कों को आकर्षित कर रहा है इसका वैक्सीन से कोई संबंध नहीं है, क्योंकि अगर ऐसा होता तो मैग्नेटिक पॉवर का असर पूरे शरीर में होना चाहिए. लेकिन चीजें उनके शरीर के सिर्फ ऊपरी हिस्से में ही चिपक रही हैं. इसलिए, इसे वैक्सीन से नहीं जोड़ा जा सकता.’’
परिवार ने बताया कि डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक अरविंद सोनार की चमड़ी सामान्य लोगों के शरीर से अलग है. इस वजह से ही कुछ ऑब्जेक्ट उनके शरीर मे चिपक रहे हैं. अरविंद सोनार और उनके बेटे ने क्विंट से बातचीत में कहा कि “उन्हें वैक्सीन से किसी तरह का साइड इफेक्ट नहीं हुआ, सभी को वैक्सीन लेनी चाहिए, क्योंकि कोरोना संक्रमण से बचने का यही उपाय है’’
कुछ मीडिया हाउसेस ने टीआरपी के लिए तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश किया. कृपया उन रिपोर्ट्स पर भरोसा न करेंअरविंद सोनार
हमने नासिक म्यूनिसिपल हॉस्पिटल में मेडिकल ऑफिसर डॉ. बापूसाहेब नागरगोजे से भी संपर्क किया. डॉ. बापूसाहेब ने इस दावे के वायरल होने के बाद सोनार की जांच की थी
‘’वैक्सीनेशन से ऐसा कुछ नहीं होता है. हम काफी लंबे समय से अन्य बीमारियों से बचने के लिए बच्चों को वैक्सीन लगा रहे हैं और जनवरी से कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीनेशन शुरू कर दिया गया है. दुनिया भर में वैक्सीन लगाई जा रही है और हमने सिर्फ नासिक में ही 4 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दी है. वैज्ञानिक आधार पर कहा जाए, तो वैक्सीन की वजह से ऐसा कुछ भी नहीं हो सकताडॉ. बापूसाहेब नागरगोजे
वायरोलॉजिस्ट जैकब टी जॉन ने क्विंट से बातचीत में कहा
‘’वैक्सीन में ऐसा कई तत्व नहीं इस्तेमाल किया गया, जिससे मानव शरीर चुंबकीय बन जाए.’’ हालांकि, डॉ. जॉन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि किसी के शरीर में चुंबकत्व हो सकता है, लेकिन अगर वायरल वीडियो में दिख रही चीजें सहीं हैं, तो इसकी जांच फिजिसिस्ट से कराई जानी चाहिए.
इम्यूनोलॉजिस्ट और IISER पुणे में सहायक फैकल्टी डॉ. सत्यजीत रथ ने भी डॉ. जॉन से सहमति जताते हुए कहते हैं कि
“नहीं, जहां तक मेरी जानकारी है, किसी भी कोविड-19 (या किसी अन्य) वैक्सीन में ऐसा कोई इनग्रीडिएंट नहीं है जो ‘मैग्नेटिक‘ होता हो. और न ही मुझे लगता है कि कोई भी वैक्सीन चाहे वो कोविड वैक्सीन हो या फिर कोई और वैक्सीन, किसी में ‘मैग्नेटिक पॉवर‘ विकसित करने की वजह बन सकती हैं.”
हमने होमी भाभा सेंटर फॉर साइंस एजुकेशन में एसोसिएट प्रोफेसर अनिकेत सुले से बात की, ताकि ये समझ सकें कि क्या ऐसी घटना संभव है या नहीं.
आपको पता होना चाहिए कि किसी भी तरह का खाना या इंजेक्शन किसी को अचानक से चुंबकीय नहीं बना सकता. इसके अलावा, आपको ये ध्यान भी देना चाहिए कि ये सज्जन स्टील के चम्मचों, बर्तनों और सिक्कों का इस्तेमाल कर रहे हैं. स्टेनलेस स्टील अपने आप में चुंबकीय नहीं है; आप 1 या 2 के सिक्के के पास चुंबक ले जाकर देख सकते हैं कि ये चुंबक की ओर आकर्षित होता है या नहीं.अनिकेत सूले
हमें ऐसी कोई रिसर्च रिपोर्ट नहीं मिली, जिससे सोशल मोडिया पर किए जा रहे इस दावे की पुष्टि होती हो.
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2. PM मोदी ने एक दिन हुई 4 मुलाकातों में हर बार बदले कपड़े?
सोशल मीडिया पर पीएम नरेंद्र मोदी की 4 अलग-अलग नेताओं के साथ 4 फोटो शेयर हो रही हैं. इन्हें शेयर कर दावा किया जा रहा है कि ये चारों फोटो एक ही दिन की हैं और पीएम मोदी ने एक ही दिन की गई इन चारों मुलाकातों में 4 बार कपड़े बदले.
इन अलग-अलग फोटो में पीएम मोदी क्रमश: UP के सीएम योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत, असम सीएम हिमंता बिस्वा सरमा और मणिपुर की गवर्नर नजमा हेपतुल्ला के साथ नजर आ रहे हैं.
क्विंट की वेबकूफ टीम की पड़ताल में ये दावा झूठा निकला. क्योंकि पीएम मोदी और इन चारों लोगों की मुलाकात एक दिन में नहीं, बल्कि अलग-अलग दिनों में हुई थी. हमने शेयर हो रही हर फोटो को एक-एक करके रिवर्स इमेज सर्च किया.
फोटो 1: पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ
हमने पहली फोटो को रिवर्स इमेज सर्च करके देखा. हमें The New Indian Express का 11 जून को पब्लिश एक आर्टिकल मिला. इसमें इसी फोटो का इस्तेमाल किया गया था. इस मुलाकात में योगी और पीएम के बीच कोरोना को लेकर राज्य सरकार के कामों पर चर्चा हुई. साथ ही विकास कार्यों पर भी चर्चा हुई.
फोटो 2: पीएम मोदी और तीरथ सिंह रावत
दूसरी वायरल फोटो को गूगल पर रिवर्स इमेज करने पर हमें ETV Bharat की 7 जून की एक रिपोर्ट मिली. इसमें इसी फोटो का इस्तेमाल किया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड के सीएम और पीएम मोदी की इस मुलाकात में कोरोना पर चर्चा हुई.
तीरथ सिंह रावत के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से भी इसी फोटो को शेयर कर उत्तराखंड सीएम ने मुफ्त टीका उपलब्ध कराने के लिए पीएम मोदी को आभार भी व्यक्त किया. ये ट्वीट 7 जून को किया गया था.
फोटो 3: पीएम मोदी और हिमंता बिस्वा सरमा
तीसरी फोटो को जब हमने गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च किया, तो हमें Raftaar वेबसाइट पर 2 जून को पब्लिश एक आर्टिकल मिला जिसमें इसी फोटो का इस्तेमाल किया गया था. असम के सीएम पद की शपथ लेने के बाद सरमा की पीएम मोदी से ये पहली मुलाकात थी.
ये फोटो 2 जून को हिमंंता बिस्वा सरमा के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल और पीएम ऑफिस के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से भी शेयर की गई थी.
फोटो 4: पीएम मोदी और मणिपुर गवर्नर नजमा हेपतुल्ला
चौथी वायरल फोटो को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें PMOIndia के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से किया गया 10 जून का एक ट्वीट मिला. इस ट्वीट में इसी फोटो को शेयर कर कैप्शन में लिखा गया था कि मणिपुर गवर्नर नजमा हेपतुल्ला ने पीएम मोदी से मुलाकात की.
इस फोटो को DD News के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से भी 10 जून को शेयर किया गया था
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3. जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्याओं की बस्ती हटाने का नहीं है ये वीडियो
सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें कुछ अधिकारी जेसीबी मशीनों से आधे-अधूरे बने मकानों और संरचनाओं को गिराते हुए दिख रहे हैं. इसे शेयर कर दावा किया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में "रोहिंग्या मुसलमानों" के घर गिराए जा रहे हैं.
वीडियो के साथ शेयर किए जा रहे टेक्स्ट के मुताबिक, ये अभियान "रोशनी एक्ट" के तहत बसाई गई बस्ती को हटाने के लिए चलाया गया है.
हालांकि, हमने पाया कि वीडियो में दिख रहे विजुअल का रोहिंग्याओं से कोई संबंध नहीं है.
हमने InVid के गूगल क्रोम एक्सटेंशन का इस्तेमाल करके वीडियो को कई कीफ्रेम में बांटा और उन पर रिवर्स इमेज सर्च करके देखा. हमें यूट्यूब पर 5 जून को अपलोड किया गया एक वीडियो मिला. इसे Fast Kashmir नाम के चैनल ने अपलोड किया था.
वीडियो के डिस्क्रिप्शन में बताया गया है कि ये लेक्स ऐंड वाटरवेज डेवलपमेंट अथॉरिटी का चलाया एक अभियान था.
इस वायरल वीडियो में Jammu Link News का लोगो था. इसलिए, हमने उनका यूट्यूब चैनल ढूंढा और पाया कि ये वीडियो 5 जून को अपलोड किया गया था.
वीडियो के डिस्क्रिप्शन में बताया गया था कि लेक्स ऐंड वाटरवेज डेवलपमेंट अथॉरिटी ने अपने इनफोर्समेंट विंग के माध्यम से लश्करी मोहल्ला, दोजी मोहल्ला, बुरझामा और निशात क्षेत्रों में कई अवैध निर्माणों को गिराया.
हमें इस घटना पर और भी कई रिपोर्ट्स और वीडियो मिले. जिनमें बताया गया था कि कोविड महामारी के दौरान अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की गई थी.
हमने लेक्स ऐंड वाटरवेज डेवलपमेंट अथॉरिटी के इनफोर्समेंट ऑफिसर अब्दुल अजीज कादरी से संपर्क किया, जिन्होंने हमें बताया कि दावा सच नहीं है.
ये नियमित तौर पर चलने वाले अभियान हैं. इन्हें हम क्षेत्र में अवैध निर्माण और अतिक्रमण को हटाने के लिए करते हैं. हम डल और दूसरे ग्रीन बेल्ट एरिया के संरक्षण की दिशा में काम कर रहे हैं. इसलिए, हम उन जगहों से अवैध संरचनाओं को हटाते हैं/गिराते हैं जहां निर्माण की अनुमति नहीं है.इनफोर्समेंट ऑफिसर अब्दुल अजीज कादरी, लेक्स ऐंड वाटरवेज डेवलपमेंट अथॉरिटी
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4. PM के साथ मीटिंग में चाय परोसते नहीं दिखे संजय राउत,एडिटेड है फोटो
सोशल मीडिया पर पीएम मोदी और उद्धव ठाकरे की एक एडिटेड फोटो वायरल हो रही है, जिसमें वरिष्ठ शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत चाय बनाते हुए दिख रहे हैं.
हमें FirstPost का 8 जून को पब्लिश एक आर्टिकल मिला. इसमें वायरल फोटो का इस्तेमाल किया गया था. इसका शीर्षक है 'Uddhav Thackeray meets Narendra Modi, discusses Maratha quota issue, GST compensation' (अनुवाद- उद्धव ठाकरे ने नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, मराठा आरक्षण और जीएसटी जैसे मुद्दों पर चर्चा).
आर्टिकल में इस्तेमाल की गई फोटो में महाराष्ट्र सीएम ऑफिस के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल को क्रेडिट दिया गया है.
हमने दोनों फोटो के बीच तुलना करके देखा. दोनों में दिख रहे सारे एलीमेंट एक जैसे ही हैं. जैसे दोनों फोटो में ऑफिस का इंटीरियर एक ही है. इसके अलावा, पीएम मोदी और उद्धव ठाकरे के साथ बैठे अजीत पवार और अशोक चव्हाण एक जैसी पोजीशन में बैठे हुए हैं.
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5. राजस्थान सरकार सिर्फ रोहिंग्याओं को लगा रही वैक्सीन? गलत है दावा
सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार सिर्फ अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या (Rohingya) प्रवासियों का Covid-19 वैक्सीनेशन कर रही है, लेकिन पाकिस्तान से आए हिंदू प्रवासियों का नहीं.
हालांकि, क्विंट की वेबकूफ टीम की पड़ताल में ये दावा झूठा निकला. राजस्थान सरकार ने 28 मई को हाई कोर्ट के आदेश के बाद सभी शरणार्थियों का वैक्सीनेशन शुरू कर दिया है. इसके पहले, सरकार रोहिंग्या मुस्लिमों को वैक्सीन नहीं लगा रही थी.
हमने राजस्था में वैक्सीनेशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. रघुराज सिंह से बात की. उन्होंने बताया कि ये दावा झूठा है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद, राज्य की पूरी आबादी के लिए वैक्सीनेशन शुरू कर दिया गया है. भले ही, उनके पास डॉक्युमेंट हों या न हों.
‘’पहले, ‘नागरिक’ शब्द की वजह से भ्रम की स्थिति थी, क्योंकि ये भारतीय नागरिकता की ओर इशारा करता है. इसलिए, सिर्फ भारतीय नागरिक ही टीका लगवा रहे थे. हालांकि, 28 मई के हाईकोर्ट के आदेश के बाद, सभी को वैक्सीन देने की शुरुआत कर दी गई. इनमें वो रोहिंग्या मुस्लिम और पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी भी शामिल हैं, जिनके पास आदेश के मुताबिक निर्धारित डॉक्युमेंट नहीं हैं.डॉ. रघुराज सिंह, प्रोजेक्ट डायरेक्टर (इम्यूनाइजेशन), मेडिकल ऐंड हेल्थ सर्विसेज, राजस्थान
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