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पॉप स्टार, फिल्म मेकर, सांसद...अफगानिस्तान से जान बचाकर भागने की 5 कहानियां

''फ्लाइट उड़ने वाली थी कि गोली चली और पायलट भाग गया'', ''तालिबान ने मुझे पीठ पर मारा''

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अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के सत्ता संभालने के बाद सैंकड़ो लोग अफगान छोड़ने को मजबूर हुए हैं. काबुल हवाईअड्डे पर हैरान कर देने वाली तस्वीरें सबके जहन में ताजा हैं. कोई हवाई जहाज से, कोई सड़क के रास्ते जिसको जैसे मौका मिला बस अफगानिस्तान छोड़ के निकल जाना चाहता है. क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग क्या महिलाएं सबकी एक सी कहानी है.

लेकिन इस पूरे प्रकरण में अफगानिस्तान के सिर्फ आम लोग शामिल नहीं हैं बल्कि इसमें कई खास लोगों की भी अफगानिस्तान छोड़ने की रोचक कहानियां बिखरी पड़ी हैं. तालिबान के खौफ से कई नामी गिरामी अफगानी चेहरों ने मुल्क छोड़ दिया और दूसरे देशों में जाकर शरण ली है. हम आपके लिए ऐसे ही कुछ हाई प्रोफाइल लोगों के अफगानिस्तान छोड़ने की कहानियां लेकर आए हैं.

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1. अरयाना सईद, पॉप स्टार

पायलट प्लेन ही छोड़कर भाग गए

अफगान पॉप स्टार अरयान सईद (Pop Star Aryana Sayeed) की काबुल से निकलने की कहानी बड़ी रोचक है. जिस दिन तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया उसी दिन (15 अगस्त) अरयाना की रात में 8 बजे काबुल एयरपोर्ट से फ्लाइट थी. माहौल खराब होता देख वो शाम 4 बजे तक एयरपोर्ट पहुंच गई थी ताकि फ्लाइट समय से पकड़ सके.

अरयाना ने फॉक्स न्यूज के साथ इंटरव्यू में बताया कि, "मेरे एयरपोर्ट पहुंचने के चंद मिनटों के बाद गोलियां चलने की आवाज आई और देखते देखते सुरक्षा कर्मी, पायलट, एयरपोर्ट स्टाफ सब भाग निकले."

अरयाना का प्लेन भी उस दिन वहां से नहीं उड़ा. हजारों लोग एयरपोर्ट में इकट्ठा हो रहे थे लेकिनअरयाना हमेशा से तालिबान के निशाने पर रही है. उन्हें शक था कि यदि वो एयरपोर्ट में रुकती हैं तो तालिबान उन्हें पहचान लेगा और मार डालेगा.

''फ्लाइट उड़ने वाली थी कि गोली चली और पायलट भाग गया'', ''तालिबान ने मुझे पीठ पर मारा''

अरयाना सईद

ट्विटर

"मैं अपने पति और बच्चे के साथ एयरपोर्ट से निकलने की कोशिश कर रही थी, तभी मैंने देखा कि तालिबान का एक समूह खड़ा था, उसमें से एक नेता लग रहा था जिसने सफेद कपड़े पहने थे. वह मुझे घूर रहा था, उसके हाथ में बंदूक था, मुझे लगा उसने मुझे पहचान लिया है और अब वह मुझे मार डालेगा"

इसके बाद अरयाना किसी तरह एयरपोर्ट से बाहर आईं. रात में काबुल में ही एक रिश्तेदार के घर चली गईं. तालिबान ने अगले दिन घर-घर जाकर तलाशी अभियान शुरू कर दिया जिसके डर से अरयाना जल्द से जल्द अफगानिस्तान छोड़ देना चाहती थी. उसी दिन (16अगस्त) की रात 11 बजे की फ्लाइट बुक करने के बाद वो 2 कारों में अपने बच्चे और पति के साथ एयरपोर्ट के लिए निकलीं.

"रास्ते में हमने 5 तालिबानी चेक पॉइंट पार किए, 1 जगह हमें रोका गया, गाड़ी की खिड़की में एक तालिबानी ने टॉर्च मारकर चेक किया, उसने मेरे साथ बच्चा देखा और फिर आगे जाने दिया."

अरयाना सुरक्षित एयरपोर्ट तक पहुंच गईं और अमेरिका की फ्लाइट पकड़कर काबुल छोड़ लॉस एंजेल्स पहुंच गईं.

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2.   नरेंद्र सिंह खालसा, सांसद अफगानिस्तान

2018 से अफगानिस्तान में सांसद नरेंद्र सिंह खालसा तालिबान के कब्जे के बाद 22 अगस्त को देश छोड़कर भारतीय वायुसेना के सी -17 विमान से 167 अन्य लोगों के साथ भारत आ गए. लेकिन भारत आ पाना खालसा के लिए तालिबान की अग्नि परीक्षा से गुजरने के बाद ही मुमकिन हुआ.

तालिबान के खौफ से खालसा और करीब 72 सिखों ने काबुल के एक गुरुद्वारे में शरण ले रखी थी. 21 अगस्त को सभी लोग गुरुद्वारे से एयरपोर्ट के लिए लेकिन तालिबान ने आधे रास्ते से ही उन्हें वापिस गुरुद्वारे भेज दिया. खालसा ने कहा, "क्योंकि मैं अफगान नागरिक था इसीलिए तालिबान मुझे देश नहीं छोड़ने देना चाहता था." उसी दिन एक और प्रयास में खालसा सहित कुछ सिखों को एयरपोर्ट तक पहुंचने की अनुमति मिल गई.

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    नरेंद्र सिंह खालसा, सांसद अफगानिस्तान

    Twitter 

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उन्होंने PTI से बात करते हुए बताया,

"हम एयरपोर्ट पहुंचे तो वहां हर गेट पर करीब 5 से 6 हजार लोगों की भीड़ जमा थी, हमें अन्य भारतीयों से अलग कर दिया दिया और हम अंदर नहीं जा सके. इसके बाद रात में करीब 8 बजे VIP गेट से एंट्री हुई."

इसके बाद भी एयरपोर्ट पर घंटों इंतजार करना पड़ा तब कहीं जाकर भारतीय वायुसेना के विमान से वो अन्य 167 लोगों के साथ भारत पहुंचे. भारत आकर उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावुक वीडियो पोस्ट जिसमें उन्होंने कहा कि,

"हमने अपने पिछले 20 साल की सारी उपलब्धियां खो दी हैं, अब कुछ नहीं बचा है. सब कुछ शून्य हो चुका है."

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3. शहरबानो सादात, अफगान फिल्म  निर्माता 

शहरबानो सादात यूं तो एक मशहूर अफगान फिल्म निर्माता हैं जो कई खिताब अपने नाम कर चुकी हैं. देश छोड़ने से पहले वे एक रोमांटिक कॉमेडी पर काम कर रहीं थी. लेकिन तालिबान के सामने न तो कला की चलती है न ही कलाकार की.

तालिबान के सत्ता संभालने के बाद शहरबानो सादात को अफगानिस्तान छोड़ने का एक मौका मिला लेकिन परिवार छोड़ने के डर से उन्होंने इसे ठुकरा दिया. जब पानी सर से ऊपर गया तो फिर अफगान छोड़कर पेरिस जाने का निर्णय लिया. सादात पेरिस तो पहुंच गईं लेकिन उन्होंने कहा कि "मैं कैसे पहुंची इसे भुलाया नहीं जा सकता."

सादात ने रायटर्स को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें अपने अपार्टमेंट से एयरपोर्ट तक पहुंचने में 72 घंटे लग गए. एयरपोर्ट पहुंची तो दुबई की फ्लाइट पकड़ने से पहले पूरी रात वहीं कंपाउंड में बितानी पड़ी. एयरपोर्ट का मंजर बताते हुए उन्होंने कहा कि -

तालिबान चाहता था हम लाइन लगा कर खड़े हो जाएं लेकिन ये असंभव था. भीड़ वहां एक दूसरे पर चढ़ जाने को आमादा थी. लोग धक्का मुक्की कर रहे थे. वहीं पर तालिबान केबल और बंदूक लिए घूमता रहा.
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    शहरबानो सादात, अफगान फिल्म निर्माता

    Twitter

वे आगे बताती हैं कि "मैं एयरपोर्ट पर ही थी. मैंने देखा तालिबान ने एक आदमी को और मेरे पिता को धमाके की आशंका के बीच वहां से निकल जाने को कहा. तालिबान हमें बाहर भेजना चाहता था, मैं अपने पिता पर गिर गई, इसके बाद उसने मुझे उस केबल से मारा जो मेरी पीठ पर रखी थी. इसके बाद उसने हमें जाने दिया."

"वहां बच्चे रो रहे थे, बूढ़े लोग वहां बेहोश हो रहे थे. भयंकर गर्मी और उमस के कारण मैंने हार मान ली थी लेकिन मेरी बहन मुझे हौसला देती रही."

ये सब सहने के बाद सादात अपने परिवार के 9 लोगों के साथ फ्रेंच सैनिकों की मदद से अफगानिस्तान से निकलने में कामयाब रहीं.

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4. सहरा करीमी, चेयरपर्सन, अफगान फिल्म संस्थान

अफगानिस्तान में जाने माने नामों में से एक सहरा करीमी जिनकी हवा, मरयम और आएशा जैसी फिल्में वेनिस फिल्म महोत्सव 2019 में दिखाई जा चुकी हैं और जो खुद अफगान फिल्म संस्थान की चेयरपर्सन हैं उनकी अफगानिस्तान छोड़ने की कहानी भी बाकी लोगों की तरह संघर्षों से भरी रही.

फिलहाल कीव, यूक्रेन में रह रहीं सहरा ने वहीं पर समाचार एजेंसी रायटर्स से इंटरव्यू के दौरान कहा,

"मैं बस अपने परिवार के साथ निकली, मैंने अपना घर, गाड़ी, पैसा जो कुछ भी मेरे पास था सब छोड़ दिया."

सहरा ने बताया कि वो और उनका परिवार यूक्रेन के नागरिकों को निकालने वाली एक उड़ान से निकलने वाले थे, लेकिन जैसे ही हजारों अफगानों की भीड़ हवाईअड्डे में पहुंचने लगी, तो वह फ्लाइट तक नहीं पहुंच पाईं और फ्लाइट छूट गई.

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    सहरा करीमा

    the wrap 

"वह क्षण जब हम पहले हवाई जहाज से चूक गए, वह मेरे जीवन का सबसे दुखद क्षण था क्योंकि मैंने सोचा: 'ठीक है, हम अब और नहीं जा सकते, हम रुकते हैं,"

लेकिन पहला विमान छूटने के बाद, करीमी ने अपनी मदद करने वाले अधिकारियों से संपर्क किया. उसे भीड़ से दूर जाने के लिए कहा गया लेकिन घंटों बाद भी वह अधिकारियों को नहीं पहचान पाई. उसके बाद वो परिवार के साथ हवाई अड्डे के दूसरे हिस्से में गईं जहां पूरा परिवार यूक्रेन के लिए तुर्की की एक फ्लाइट में सवार हो गए और कीव पहुंचे.

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5. अनारकली कौर होनारयार, अफगानिस्तान की पहली गैर मुस्लिम महिला संसाद

अनारकली कौर होनारयार अफगानिस्तान की पहली गैर मुस्लिम महिला संसाद हैं. 2010 से 2015 तक होनारयार अफगानिस्तान की संसद का हिस्सा रहीं और एक राष्ट्रीय महिला अधिकार कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती रही हैं. लेकिन तालिबान के सत्ता में आने के बाद इन्हें अफगानिस्तान छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी. खास शख्शियत होने के बावजूद इनके लिए अफगानिस्तान से निकलना इतना आसान नहीं रहा.

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    अनारकली कौर होनारयार

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गोलीबारी के बीच हम 10 घंटे एयरपोर्ट पर फ्लाइट का इंतजार करते रहे

अनारकली कौर होनारयार 22 अगस्त को भारतीय वायुसेना के ट्रांसपोर्ट विमान C-17 से भारत पहुंच गई लेकिन काबुल से निकलने के हालात उनके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहे. वो 72 अन्य सिखों के साथ काबुल के एक गुरुद्वारे में छिपी रहीं. गुरुद्वारे में फंसे लोगों के साथ एयरपोर्ट के लिए निकलीं तो तालिबान ने आधे रास्ते से वापस गुरुद्वारे लौटा दिया.

बाद में दोबारा कड़ी मशक्कत के बाद एयरपोर्ट तक पहुंचीं तो वहां उन्हें रात 12 बजे से सुबह 10 बजे तक भीषण गर्मी और गोलीबारी के बीच फ्लाइट का इंतजार करना पड़ा. उन्होंने कहा कि

"एयरपोर्ट के चारों तरफ गोलीबारी होती रही, तीन-चार लोग ऐसी गोलीबारी में रोज मारे जाते. मुझे अपने देश की मिट्टी की एक मुट्ठी भर लेने का भी समय नहीं मिला"

गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरने के बाद होनारयार ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से खुशी जाहिर की और भारत सरकार को धन्यवाद दिया.

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