ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारतीय टैलेंट के लिए 'झगड़' रहे अमेरिका-कनाडा, यहां 'घर की मुर्गी दाल बराबर'?

भारतीय टैलेंट को Canada जाने से रोकने के लिए America ले रहा एक्सपर्ट की राय,भारत में 'पकोड़ा तलो' रोजगार कार्यक्रम

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

जब हमारे नेता घरेलू टैलेंट के पकोड़े तलने को भी 'रोजगार' मानते हैं, उसी समय दो विकसित देश, अमेरिका (America) और कनाडा (Canada) भारतीय टैलेंट को अपने देश में जगह देने के लिए आपस में होड़ कर रहे हैं. 13 जुलाई को अमेरिकन हाउस इमीग्रेशन एंड सिटीजनशिप सबकमिटी में पॉलिसी एक्सपर्टो ने अमेरिकी सांसदों को बताया कि आउटडेटेड H-1B वीजा पॉलिसी के कारण भारतीय टैलेंट कनाडा की ओर शिफ्ट होने लगे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
अमेरिकी वीजा एक्सपर्ट के अनुसार यह मुख्यतः रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड या स्थायी निवास के लिए प्रति देश कोटा निर्धारित कर देने के कारण है. उन्होंने अमेरिकी संसद से भारतीय टैलेंट को अमेरिका से कनाडा जाने से रोकने के लिए तेजी से प्लानिंग करने का आग्रह किया है.

नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर स्टुअर्ट एंडरसन ने कहा कि अमेरिकी संसद ने अगर उचित कार्रवाई नहीं की तो भारतीयों के लिए रोजगार आधारित कैटेगरी में वर्तमान का अनुमानित बैकलॉग 9,15,497 व्यक्तियों से बढ़कर 2030 तक 21,95,795 हो जाएगा.

अमेरिका से कनाडा शिफ्ट होता भारतीय टैलेंट

पिछले कुछ सालों में भारतीय इंटरनेशनल स्टूडेंटों ने बड़ी तादाद में कनाडा की ओर रुख किया है. कैनेडियन ब्यूरो फॉर इंटरनेशनल एजुकेशन के मुताबिक 2016 में जहां कनाडा में भारतीय स्टूडेंटों की संख्या 76,075 थी वही 2 साल के अंदर इसमें 127% की वृद्धि देखी गई. 2018 में यह संख्या 1,72,625 तक हो गई. इस बीच कनाडा में स्थाई निवासी बनने वाले भारतीयों की संख्या भी दुगनी हो गई.

जबकि दूसरी तरफ अमेरिकी यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन लेबल में एडमिशन लेने वाले भारतीय स्टूडेंटों में एकेडमिक ईयर 2016-17 से 2018-19 के बीच 25.3% की गिरावट देखने को मिली. अगर कंप्यूटर साइंस में एडमिशन की बात करें तो इसमें 23.3% की गिरावट हुई जबकि इंजीनियरिंग में 27.5% की गिरावट देखने को मिली.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

अमेरिका की जगह कनाडा को क्यों चुन रहा है भारतीय टैलेंट ?

2020 में हुए 'इनवॉय ग्लोबल सर्वे' में 48% एंपलॉयर ने कहा कि वर्कर का अमेरिका को छोड़ दूसरे देश में जाने का प्राथमिक कारण है यहां वर्क ऑथराइजेशन में मिलने में होने वाली देरी. जबकि 74% ने कहा कि बिजनेस के लिए कनाडा के पास बेहतर इमीग्रेशन पॉलिसी है.

कनाडा में प्रति देश कोटा की कोई सीमा नहीं है और विदेशी नागरिक अक्सर 1 साल काम करने के बाद स्थाई निवासी बन सकते हैं. ऑनलाइन ऐप्लीकेशन फाइल करने के 6 से 8 महीने के अंदर कनाडा सरकार से जवाब मिल जाता है.इसके विपरीत अमेरिका में 1 साल में 1.4 लाख ग्रीन वीजा का जारी करने की अधिकतम सीमा निर्धारित है और इसमें भी इंडिया, चीन, फिलीपींस जैसे देशों के लिए मात्र 7-7% का कोटा है.

अमेरिका के पास जॉब क्रिएशन की सुविधा के लिए स्टार्टअप वीजा नहीं है. जबकि विशेषज्ञों के अनुसार इस वीजा से अमेरिका एक दशक में 10 लाख या उससे भी अधिक जॉब पैदा कर सकता है. दूसरी तरफ कनाडा के पास स्टार्टअप वीजा की सुविधा है. इसका प्रयोग वह भारतीयों जैसे विदेशी टैलेंट को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए करता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
टोरंटो स्थिति में इमिग्रेशन लॉ फर्म 'रेकाई LLP' के फाउंडर पीटर रेकाई के अनुसार कनाडा में अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंटों के लिए ग्रेजुएशन के बाद अमेरिका की अपेक्षा ज्यादा विकल्प मौजूद होता है. पास होने के बाद स्टूडेंट एक कंपनी के लिए काम कर सकता है और 'लेबल मार्केट टेस्ट', प्रचलित या औसत लेबर की शर्तों के बिना वह कनाडा का स्थाई निवासी बन सकता है. कनाडा में कई क्षेत्र ग्रेजुएट छात्रों को बिना जॉब ऑफर के भी स्थाई निवासी बनने देते हैं.

क्या भारत में 'घर का टैलेंट दाल बराबर'?

भारतीय टैलेंटो को अपने पाले में लाने की कोशिश करते इन 2 देशों के बाद भारत की ओर रुख करने से पहले इन खबरों पर नजर डालते हैं:

  • कर्नाटक के हनंगल तालुक में बेरोजगारी के कारण 8 ग्रेजुएट ,12 पोस्ट ग्रेजुएट और 4 पीएचडी होल्डर्स ने मनरेगा के अंतर्गत मजदूरी शुरू की.

  • उत्तर प्रदेश में चपरासी पद के लिए आये 9300 आवेदन में से 3700 पीएचडी होल्डर्स के

  • तमिलनाडु में 14 सफाई कर्मचारी पद के लिए 4000 आवेदन आए, जिसमें से अधिकतर एमबीए और इंजीनियर

  • "पकोड़ा बेचना रोजगार का ही एक प्रकार": पीएम मोदी

  • "बेरोजगार रहने से अच्छा है पकौड़ा तलना": अमित शाह

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ऐसी खबरों की भरमार है जहां भारतीय टैलेंट पूल की कद्र और स्थिति, दोनों देश में अच्छी नहीं है. सेंटर फॉर इकोनामिक डाटा एंड एनालिसिस(CEDA) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2019 में जहां बेरोजगारी 5.27% थी वहीं 2020 में 7.1% हो गई.यह पिछले 29 सालों में सबसे खराब स्थिति थी. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार सिर्फ मार्च 2021 में 70 लाख लोगों का रोजगार छिन गया.

रोजगार के कम विकल्प के अलावा भारत उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी काफी पीछे हैं. हाल ही में जारी टाइम्स हाई एजुकेशन (THE) यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2021 में दुनिया के टॉप 100 यूनिवर्सिटी में 2 जबकि टॉप 200 में 7 भारतीय इंस्टिट्यूट ही थे. इनमें भी सीटों की संख्या इतनी सीमित है कि इससे भारत की विशाल युवा आबादी को क्वालिटी एजुकेशन दे पाना असंभव है.

ऐसे में समर्थ भारतीयों के पास उच्च शिक्षा और नौकरी के लिए अमेरिका और कनाडा जैसे देश में शिफ्ट होना सबसे अच्छा विकल्प होता है.दादा भाई नरौजी ने भारत में अंग्रेजी शासन के कारण 'धन की निकासी' का कांसेप्ट सामने रखा था लेकिन देश की वर्तमान स्तिथि में "टैलेंट की निकासी' हो रही है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×