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कोरोना को लेकर गलत जानकारी ने ली सैकड़ों लोगों की जान- स्टडी

दुनियाभर में कोरोना को लेकर सोशल मीडिया पर फैलीं थीं अफवाहें

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दुनियाभर में कोरोना वायरस ने जब अपना आतंक दिखाना शुरू किया तो हर कोई पैनिक में था. इन नई बीमारी को लेकर लोगों को कई तरह की जानकारियां मिल रही थीं, कुछ सच थीं तो कुछ झूठ... कई लोगों ने कोरोना के इलाज के जानलेवा दावे किए. जिन पर सैकड़ों लोगों ने भरोसा किया और अपनी जान से हाथ धो बैठे. एक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि कोरोना को लेकर अफवाहों और गलत जानकारी के चलते दुनियाभर में करीब 800 लोगों की मौत हुई.

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सोशल मीडिया पर मिली गलत जानकारी

अमेरिकन जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाईजीन में छपी इस स्टडी में बताया गया है कि साल 2020 के शुरुआती तीन महीनों में गलत जानकारी की वजह से सबसे ज्यादा लोगों की जान गई. स्टडी में ये भी कहा गया है कि सोशल मीडिया पर गलत जानकारी पाकर करीब 5800 लोग हॉस्पिटल तक पहुंच गए.

कोरोना वायरस जब आया तो इसने लोगों के दिलों में खौफ पैदा कर दिया. क्योंकि ऐसा वायरस पहले लोगों ने कभी नहीं देखा था और इसके बारे में जानकारी भी नहीं थी, तो लोग हर जानकारी पर यकीन करने लगे थे. इसी बीच सोशल मीडिया पर दावा किया गया था कि मेथेनॉल और एल्कोहल से बने क्लीनिंग प्रोडक्ट्स से कोरोना ठीक हो सकता है. जिसके बाद कई लोगों की इसे पीने के कारण मौत हो गई.

लहसुन से लेकर गोमूत्र का जिक्र

इससे पहले डब्ल्यूएचओ भी कह चुका है कि वायरस जितनी तेजी से बढ़ा उतनी ही तेजी से इसे लेकर फैलने वाली अफवाहें भी बढ़ीं. जिससे लोगों ने या तो खुद को नुकसान पहुंचाया या फिर उनकी मौत हो गई. इसीलिए हर देश ने कोरोना के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए. साथ ही विज्ञापनों के जरिए भी लोगों को जागरुक करने की कोशिश की गई.

इस स्टडी में कई तरह के नुस्खों का भी जिक्र किया गया है. जिसमें लहसुन खाने से कोरोना ठीक होने का दावा, गोमूत्र पीने से कोरोना ठीक होने का दावा आदि का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इन सभी चीजों से लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचा. साथ ही स्टडी में कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का भी जिक्र किया गया है, जिनमें कोरोना वैक्सीन को लेकर कई झूठे दावे किए जा रहे हैं. जिन पर सैकड़ों लोग भरोसा भी कर रहे हैं.

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