दिल्ली: द्वारका के चर्च में तोड़फोड़ पुलिस ने दर्ज किया केस
मध्य प्रदेश: हिंदूवादी संगठनों ने धर्मांतरण का आरोप लगाकर स्कूल में की तोड़फोड़
कथित धर्मांतरण को लेकर रोहतक के चर्च के बाहर दक्षिणपंथी भीड़ ने किया हंगामा
कर्नाटक में हिंदूवादी संगठन के लोगों ने जलाई ईसाई धर्म की किताबें …
पिछले 15 दिनों के अंदर भारत में ईसाई समुदाय , चर्च और उनसे जुड़े संस्थानों पर जिस तरह से लगातार हमलों की खबर आ रही हैं, उसकी गूंज अब इंटरनेशनल मीडिया में भी सुनने को मिल रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली द्वारा आयोजित G20 शिखर सम्मेलन में शिरकत करने से पहले 30 अक्टूबर को रोमन कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस के साथ "बहुत गर्मजोशी से मुलाकात" की थी और उन्हें भारत आने का निमंत्रण दिया था.
इसके मात्र 33 दिनों के बाद 2 दिसंबर को अलजजीरा अखबार में “Why India is witnessing spike in attacks on Christians, churches” (भारत में ईसाइयों, चर्चों पर हमले क्यों बढ़ रहे हैं?) और 12 दिसंबर को ‘रेडियो फ्रांस इंटरनेशनल’ में “Attacks on Christians rise in India, community apprehensive” (भारत में ईसाइयों पर हमले बढ़े, समुदाय आशंकित) हैडलाइन से आर्टिकल छपे.
"पूरे भारत में ईसाइयों पर बढ़ा हमला"- अलजजीरा ने क्या लिखा ?
मिडिल-ईस्ट में मुख्यालय वाला पहले अंग्रेजी भाषा के चैनल अलजजीरा ने 2 दिसंबर को Why India is witnessing spike in attacks on Christians, churches हैडलाइन के साथ एक आर्टिकल पब्लिश किया. इसमें लिखा गया कि “RSS का उद्देश्य भारत को हिंदू राज्य बनाना है. बीजेपी सहित हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों के छत्र समूह- संघ परिवार के प्रमुख के रूप में, मोहन भागवत के दशहरा भाषण को वर्ष के लिए एजेंडा-सेटर माना जाता है”.
“भागवत के भाषण के बाद भारत के विभिन्न हिस्सों में ईसाइयों और चर्चों पर हिंसक हमला किया गया था, जिसमें भीड़ ने "सिर काटने" और हिंदुओं के कथित धर्मांतरण को रोकने के लिए खुला आह्वान किया था”.अलजजीरा ने लिखा
इस आर्टिकल में यह भी बताया गया है कि भागवत के भाषण के तीन दिन बाद, मध्य प्रदेश में बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने एक भीड़ को संबोधित करते हुए "चादर मुक्त, फादर मुक्त भारत" बनाने का आह्वान किया था.
अक्टूबर में आये एक रिपोर्ट (Association of Protection Civil Rights द्वारा) का हवाला देते हुए इसमें बताया गया कि भारत में 2021 के पहले नौ महीनों में ईसाइयों पर 300 से अधिक हमले हुए, जिनमें से कम से कम 32 कर्नाटक में हुए.
“छत्तीसगढ़ सहित कम से कम नौ भारतीय राज्यों ने धर्मांतरण विरोधी कानूनों की योजना बनाई है, जो कार्यकर्ताओं का कहना है, भारत में ईसाई विरोधी हेट के लिए एक "नई प्रयोगशाला" के रूप में सामने आया है”अलजजीरा ने लिखा
भारत में ईसाइयों पर हमले बढ़े- रेडियो फ्रांस इंटरनेशनल ने क्या लिखा ?
12 दिसंबर को ‘रेडियो फ्रांस इंटरनेशनल’ में छपे आर्टिकल- “Attacks on Christians rise in India, community apprehensive” में लिखा गया कि भारत में ईसाइयों, उनके स्कूलों और पूजा स्थलों पर हाल ही में हुए हमलों में क्रिसमस से पहले समुदाय चिंतित है.
“कुछ राज्यों में, ईसाई चर्चों में तोड़फोड़ की गई है, जबकि अन्य में पादरियों को पीटा गया है या उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया है. भीड़ द्वारा सभाओं को तोड़ा गया है, ईसाई को घायल किया गया जो हॉस्पिटल में है”.रेडियो फ्रांस इंटरनेशनल ने लिखा
“जबरन धर्मांतरण के आरोप के बीच डर में जी रहे भारत के ईसाई”- द गार्डियन ने क्या लिखा?
ब्रिटिश अखबार ने 4 अक्टूबर को “India’s Christians living in fear as claims of ‘forced conversions’ swirl” हैडलाइन से छपे आर्टिकल में लिखा कि
“हाल के महीनों में भाषणों, रैलियों और प्रेस में दिए बयानों ने ईसाई पादरियों और कार्यकर्ताओं पर कथित रूप से जबरन आदिवासी समुदायों और गरीब, निचली जाति के हिंदू परिवारों के हजारों लोगों को धर्मांतरित करने के लिए खुले तौर पर हमला किया है”
आर्टिकल में आगे यह भी बताया गया कि “हिंदू राष्ट्रवादी समूहों ने ईसाई समुदाय के सदस्यों के खिलाफ दर्जनों पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने का प्रयास किया है, और कई घटनाओं में भीड़ ने पादरियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस थानों में आरोप लगाया है”.
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