अमेरिका के ओक्लाहोमा स्टेट में हुए टुल्सा नस्लीय नरसंहार के 100 साल पूरे होने पर राष्ट्रपति बाइडेन पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने और उसके तीन सर्वाइवर्स से मिलने पहुंचे. राष्ट्रपति के रूप में उस स्थान पर जाने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन हैं, जहां सैकड़ों ब्लैक अमेरिकियों को व्हाइट मॉब ने 100 साल पहले मौत के घाट उतार दिया था.
राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा, “आज हम जिन घटनाओं की बात कर रहे हैं, वे 100 साल पहले हुई थीं - और फिर भी मैं 100 वर्षों में टुल्सा आने वाला पहला राष्ट्रपति हूं.”
“सिर्फ इसलिए कि इतिहास खामोश है इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसा नहीं हुआ था।अंधेरा बहुत कुछ छुपा सकता है, यह कुछ भी नहीं मिटाता... मेरे साथी अमेरिकियों, यह दंगा नहीं, एक नरसंहार था.”राष्ट्रपति बाइडेन
100 साल पहले जब नस्लीय मॉब ने 'ब्लैक वॉल स्ट्रीट' को तबाह कर दिया
20वीं सदी के शुरुआती दशकों में ओक्लाहोमा स्टेट के टुल्सा का ग्रीनवुड्स डिस्ट्रिक्ट अमेरिका में पहले ऐसे क्षेत्र के रूप में उभरा जहां ब्लैक एंटरप्रेन्योरों का बिजनेस तेजी से बढ़ा. जल्द ही इस शहर ने अमेरिका के 'ब्लैक वॉल स्ट्रीट' के रूप में ख्याति प्राप्त कर ली.
लेकिन 31 मई 1921 को एक व्हाइट मॉब ने यहां के समृद्ध ब्लैक कम्युनिटी के लोगों का नस्लीय नरसंहार करते हुए लगभग 300 ब्लैक अमेरिकियों को मार डाला और लगभग 10,000 को बेघर कर दिया. कुछ घंटों के अंदर ही इस भीड़ ने ब्लैक कम्युनिटी के 25 स्क्वायर ब्लॉक्स को राख में बदल दिया. यह अमेरिका के इतिहास के सबसे बड़े नस्लीय नरसंहार में से एक है.
नरसंहार की शुरुआत कैसे हुई ?
31 मई 1921 को 19 वर्षीय अश्वेत डिक रोलैंड लिफ्ट में लड़खड़ा गया और गलती से उसका हाथ 17 वर्षीय श्वेत महिला के कंधे को छू गया. इसके बाद उस अश्वेत लड़के के लिंचिंग की बात व्हाइट कम्युनिटी में होने लगी. मामले ने तब तूल और पकड़ा जब वाइट न्यूजपेपर ‘टुल्सा ट्रिब्यून’ ने अपने पहले पन्ने पर रोलैंड के ऊपर पीछा करने, मारपीट करने और बलात्कार का आरोप लगाते हुए हेडिंग छापी कि ‘नैब नीग्रो फॉर अटैकिंग गर्ल इन एलीवेटर’ और फिर शुरू हुआ नरसंहार जिसमें 300 लोगों को जान गंवानी पड़ी.
इसके बावजूद लंबे समय तक इस नरसंहार का जिक्र अखबारों, स्कूली किताबों और सिविल सोसाइटी या सरकारी बातचीत तक में नहीं हुआ. नरसंहार के 79 साल बाद वर्ष 2000 में इस नरसंहार को ओक्लाहोमा के पब्लिक स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया. 1997 में टुल्सा नस्लीय नरसंहार आयोग गठित किया गया जिसने 2001 में अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की.
बाइडेन प्रशासन के अन्य प्रयास
टुल्सा दौरे के साथ राष्ट्रपति बाइडेन के प्रशासन ने ब्लैक, लैटिन और व्हाइट अमेरिकियों के बीच मौजूद विशाल आर्थिक असमानता को कम करने के लिए कदम उठाने की भी घोषणा की है.
- बाइडेन प्रशासन इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान के 10 बिलियन डॉलर का प्रयोग ग्रीनवुड जैसे क्षेत्र में रहने वाले कम्युनिटी के लिए करेगा, जिन्होंने लगातार गरीबी झेली है और जो विस्थापन को मजबूर हैं.हालांकि इसके लिए इसका पहले अमेरिकी कांग्रेस से पास होना आवश्यक है.
- अल्पसंख्यकों के स्वामित्व वाले बिजनेस में 31 बिलियन डॉलर का निवेश
- अल्पसंख्यकों के क्षेत्र को स्कूल,रोजगार और बिजनेस से जोड़ने के लिए हाईवे बनाना और उसके लिए 15 बिलियन डॉलर का ग्रांट.
- डिपार्टमेंट ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट के लिए नए नियमों को पब्लिश करना ताकि हाउसिंग सेक्टर में मौजूद भेदभाव को कम किया जा सके.
- छोटे और वंचित बिजनेसों के साथ फेडरल कॉन्ट्रैक्ट को अगले 5 सालों में 50% तक बढ़ाकर 1000 बिलियन डॉलर करना.
इसकी जरूरत क्यों?
- कंज्यूमर फाइनेंस के सर्वे के मुताबिक, 2019 में ब्लैक परिवारों की औसत संपत्ति $24000 थी, जोकि व्हाइट परिवारों के औसत से 90% कम है.
- 70% वाइट अमेरिकियों का अपने घर पर स्वामित्व है, जबकि यह मात्र 45% ब्लैक अमेरिकियों के पास और 49% लैटिन अमेरिकियों के पास ही है.
- घर के स्वामित्व में 2001 से अब तक की कमी ब्लैक अमेरिकियों में 5% की रही, जबकि व्हाइट अमेरिकियों में मात्र 1%.
पूर्व रिपब्लिकन राष्ट्रपति ट्रंप के विपरीत राष्ट्रपति बाइडेन पर अमेरिकी ब्लैक कम्युनिटी ने भरोसा किया है, खासकर हाल के वर्षों में जिस तरह अमेरिकी सामाजिक ताने-बाने में नस्लीय भेदभाव का उभार दिखा है, उसके बाद यह महत्वपूर्ण हो जाता है. ऐसे में राष्ट्रपति बाइडेन का टुल्सा नस्लीय नरसंहार वाले स्थान पर जाना ब्लैक अमेरिकन लोगों के मन में यह विश्वास पैदा करेगा कि अमेरिकी पॉलीटिकल सिस्टम यह स्वीकारने को तैयार है कि अतीत में नस्लीय भेदभाव से यह समुदाय किस हद तक पीड़ित रहा है.
क्या भारत अतीत की गलतियों को स्वीकारने के लिए तैयार है?
जब फ्रांस ने रवांडा में 1994 नरसंहार के लिए माफी मांग ली, बाइडेन टुल्सा नस्लीय नरसंहार स्थल पर जाने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हो गए, जर्मनी ने यहूदियों से अतीत के नरसंहार के लिए कब की माफी मांग ली है, तब क्या भारत इसके लिए तैयार है?
सदियों से दलितों पर अत्याचार हो रहा है. हाल के दिनों में ये तेज ही हुआ है. क्या इसके लिए माफी मांगने को तैयार है भारत? क्या भारत दंगों में मारे गए अल्पसंख्यकों से माफी मांगने को तैयार है? मॉब लिंचिंग की कई घटनाओं पर आज भारतीय मीडिया की चुप्पी टुल्सा की याद नहीं दिलाती? लव जिहाद के नाम पर एक समुदाय पर हमले और मीडिया की अनदेखी टुल्सा के बाद के दौर की याद नहीं दिलाती? बाइडेन का टुल्सा जाना उन देशों के लिए संदेश है जो बेहतर लोकतंत्र बनना चाहते हैं या बनने का दावा करते हैं. अमेरिका में एकता की जरूरत पर जोर को भारत को समझने की जरूरत है. किसी भी तरह का वर्चस्ववाद चाहे वो धार्मिक हो या जातीय और नफरत की राजनीति बड़ा देशद्रोह है.
याद रखना होगा कि इतिहास और वर्तमान के ‘पापों’ की भारी गठरी लेकर भविष्य में तेजी से आगे नहीं बढ़ा जा सकता. तो ये माफी किसी की, किसी से नहीं होगी. ये देश के लिए, देश से होगी.
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