पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी ने बुधवार यानी 13 सितंबर को मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) सिकंदर सुल्तान राजा को पत्र लिखकर 6 नवंबर तक चुनाव कराने का प्रस्ताव दिया है. पाक राष्ट्रपति ने संविधान का हवाला देकर कहा कि राष्ट्रपति के लिए नेशनल असेंबली के भंग होने के 90 दिनों के भीतर चुनाव की तारीख तय करना जरूरी है.
राष्ट्रपति ने पत्र में कहा कि उन्होंने 9 अगस्त को प्रधानमंत्री की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था. उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 48(5) का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि "राष्ट्रपति को एसेम्बली के भंग होने के 90 दिनों के अंदर उसका चुनाव कराने की तारीख निर्धारित करने का अधिकार दिया गया है.
उन्होंने पत्र में लिखा "अनुच्छेद 48(5) के संदर्भ में, एसेंबली भंग होने के 89वें दिन, यानी सोमवार, 6 नवंबर 2023 तक चुनाव होना चाहिए". बता दें कि चुनाव आयोग ने पहले ही नयी परिसीमन पूरी करने और उसके बाद चुनाव कराने की बात कही थी.
इससे पहले, चुनाव आयोग ने संविधान का हवाला देते हुए जवाब दिया था कि चुनाव कराना आयोग का डोमेन है. मुख्य चुनाव आयुक्त ने आम चुनाव की तारीख तय करने के लिए राष्ट्रपति की ओर से बुलाई गई बैठक में जाने का निमंत्रण अस्वीकार कर दिया था.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने जोर देकर कहा, “यह बताना जरूरी है कि चुनाव अधिनियम की धारा 57 को 26 जून को संसद द्वारा संशोधित किया गया था, जिससे ECP को आम चुनावों की तारीख या तारीखों की घोषणा करने का अधिकार मिला है."
नेशनल असेंबली और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर जोर
इसके अलावा, कानून मंत्रालय का भी इस मामले पर यही विचार था. वहीं सभी चार प्रांतीय सरकारों की भी राय थी कि चुनाव की तारीख की घोषणा करने का अधिकार चुनाव आयोग का है. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि इस बात पर सहमति बनी थी कि देश को मजबूत करने और अनावश्यक खर्चों से बचने के लिए नेशनल असेंबली और प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव एक ही दिन होने चाहिए.
राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के आयोजन और संचालन के लिए अनुच्छेद 51, 218, 219, 220 और चुनाव अधिनियम, 2017 के तहत निर्धारित सभी संवैधानिक और कानूनी कदमों का पालन करना ECP की जिम्मेदारी है. उन्होंने आयोग को सलाह दिया कि राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए आम चुनाव की एक ही तारीख की घोषणा के लिए न्यायपालिका से मार्गदर्शन मांग सकती है. ऐसे में चुनाव कब होने हैं, ये अभी तय नहीं है.
बता दें कि शहबाज शरीफ के इस्तीफे के बाद अनवर उल हक काकर कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाए गए थे. वे देश में चुनाव होने तक सरकार चलाएंगे. उनपर ही पाकिस्तान में चुनाव कराने की जिम्मेदारी है. चुनाव के बाद जो पार्टी बहुमत से जीतेगी, वो अपना पीएम चुनेगी.
इमरान खान चुनाव लड़ेंगे?
अब चुनाव की तारीख पर चर्चा चली है तो सबसे बड़ा सवाल है कि पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी नेता इमरान खान चुनाव लड़ेंगे. इसका जवाब है कि वे चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. वे भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराए गए हैं, जिसके बाद उन्हें तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई है. इसके बाद चुनाव आयोग ने उन्हें पांच साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहराया है.
इमरान खान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने 2018 में पिछला आम चुनाव जीता था. वे 2022 में अविश्वास मत से बाहर होने तक प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बने रहे थे.
इन पार्टियों के बीच मुकाबला
पाकिस्तान में अगली सरकार का नेतृत्व करने के लिए तीन मुख्य पार्टियां दावेदार मानी जा रही हैं. पहली-इमरान खान की PTI, दूसरी- शहबाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) और तीसरी- पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP).
जेल जाने और चुनाव लड़ने से रोके जाने के बाद भले ही इमरान खान चुनाव नहीं लड़ सकते लेकिन उनकी पार्टी चुनावी मैदान में जरूर ताल ठोकेगी. पीटीआई समर्थक 2018 की जीत दोहराने के लिए इमरान के प्रति सहानूभूति और उनपर हुई कार्रवाई को लेकर उपजे गुस्से को वोट बैंक में तब्दील करने की पुरजोर कोशिश करेंगे.
तीन बार के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ भी सरकार बनाने के प्रबल दावेदार हैं. इमरान को सत्ता से बेदखल कर शहबाज ही पीएम की कुर्सी पर काबिज हुए थे. हालांकि, पूर्व पीएम नवाज शरीफ निर्वासन के बाद देश वापस लौटने की तैयारी में है. सुप्रीम कोर्ट ने उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई थी. वे इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं. अगर नवाज को चुनाव लड़ने की इजाजत मिली तो और वो जीते तो सरकार बनने की स्थिति में वो पीएम बन सकते हैं. वहीं, शहबाज अपने भाई के लिए त्याग कर सकते हैं. पीएमएल-एन पार्टी के संस्थापक भी नवाज शरीफ ही हैं.
पीपीपी के युवा अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे 34 वर्षीय बिलावल भुट्टो जरदारी एक अन्य प्रमुख उम्मीदवार हैं. वे निर्वतमान सरकार में विदेश मंत्री हैं.
पिछले चुनाव में इमरान की पार्टी ने जीती थी 116 सीटें
इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) 2018 के आम चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जिसने 270 संसदीय क्षेत्रों में से 116 नेशनल असेंबली सीटें जीतीं थी. वहीं, नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) 64 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर थी और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) 43 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रही थी.
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