यूक्रेन पर रूसी हमले (Russia-Ukraine War) को शुरू हुए 26 दिन से अधिक हो चुके हैं. भारत ने ‘न्यूट्रल’ की नीति अपनाते हुए अबतक किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर रूस का नाम लेते हुए उसके इस हमले की निंदा नहीं की है और ना ही किसी तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. अब इसी को लेकर भारत के सहयोगी और रूस के प्रतिद्वंदी अमेरिका ने भारत के स्टैंड पर निशाना साधा है.
राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) ने सोमवार, 22 मार्च को कहा कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण पर अपनी “अस्थिर” प्रतिक्रिया के कारण भारत अमेरिका के सहयोगी देशों के बीच एक अपवाद है.
दूसरी तरह अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ संयुक्त मोर्चे के लिए NATO, यूरोपीय यूनियन और प्रमुख एशियाई पार्टनर्स सहित अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन की सराहना की है.
वाशिंगटन में अमेरिकी व्यापारियों की एक बैठक को संबोधित करते हुए जो बाइडेन ने कहा कि "पूरे NATO और प्रशांत क्षेत्र में एक संयुक्त मोर्चा" बना हुआ है.
" भारत के संभावित अपवाद के साथ, जो इस पर कुछ हद तक अस्थिर है, क्वाड पुतिन की आक्रामकता से निपटने के मामले में एक साथ है, जापान बेहद मजबूत रहा है, वैसे ही ऑस्ट्रेलिया भी"राष्ट्रपति जो बाइडेन
भारत कर रहा रूस से व्यापार
क्वाड के साथी सदस्य देशों - ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका - के विपरीत भारत ने रूसी तेल खरीदना जारी रखा है और संयुक्त राष्ट्र में रूस की निंदा करने वाले सभी वोटों में शामिल होने से इनकार कर दिया है.
नई दिल्ली का ऐतिहासिक रूप से मास्को के साथ घनिष्ठ संबंध रहा है और उसने यूक्रेन में हिंसा को समाप्त करने को तो कहा है लेकिन रूस के आक्रमण की निंदा नहीं की है, संयुक्त राष्ट्र में तीन मौकों पर वोटिंग शामिल नहीं है.
भारत सरकार के एक अधिकारी ने पिछले हफ्ते कहा था कि भारत कच्चे तेल का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और लगभग 85 प्रतिशत जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है, जिसमें रूस एक प्रतिशत से भी कम की आपूर्ति करता है.
लेकिन यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में उछाल आया है और रूस भारत को डिस्काउंट कीमतों पर तेल आपूर्तिे के लिए राजी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने 30 लाख बैरल क्रूड ऑयल के आयात के लिए एक रूसी तेल कंपनी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
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