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श्रीलंका में इमरजेंसी हटी, लोगों का विरोध प्रदर्शन तेज, अल्पमत में सरकार

मंगलवार देर रात जारी एक गजट अधिसूचना में राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने आपातकालीन नियम अध्यादेश को वापस ले लिया है

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श्रीलंका (Sri Lanka) के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने मंगलवार 5 अप्रैल, 2022 की देर रात आपातकाल हटा दिया है. 1 अप्रैल को तत्काल प्रभाव से आपातकाल की घोषणा की गई थी.

मंगलवार देर रात जारी एक अधिसूचना में राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने आपातकालीन नियम अध्यादेश को वापस ले लिया है, जिसमें सुरक्षा बलों को देश में किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए व्यापक अधिकार दिए गए थे.

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विरोध के चलते लागू किया था आपातकाल

मौजूदा आर्थिक कठिनाइयों को देखते हुए 3 अप्रैल को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की योजना थी, जिसके चलते राष्ट्रपति ने आपातकाल की घोषणा की थी. बाद में, सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया.

कर्फ्यू और आपातकाल की स्थिति के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी रहा. सत्ताधारी पार्टी के वरिष्ठ नेता अपने घरों में नाराज प्रदर्शनकारियों से घिरे रहे, जिन्होंने सरकार से आर्थिक संकट के समाधान का आग्रह किया था.

आंदोलन के हिंसक होने से कई लोग घायल हो गए और वाहनों में आग लगा दी गई. राष्ट्रपति के आवास के पास लगे स्टील बैरिकेड्स को गिराने के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछारें कीं. घटना के बाद, कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था और कोलंबो शहर के अधिकांश हिस्सों में कुछ समय के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया था.

तेज हो गया लोगों का विरोध प्रदर्शन 

श्रीलंका में सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज हो गए हैं. हालत ये है कि राजधानी कोलंबो में संसद के पास एक विरोध प्रदर्शन के दौरान बाइक सवार हथियारबंद लोगों को पुलिस अधिकारियों से भिड़ते देखा गया.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने कहा कि वह श्रीलंका में बिगड़ती स्थिति पर करीब से नजर रख रही है. श्रीलंका पहले से ही अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर अंतरराष्ट्रीय आचोलनाओं का सामना कर रहा है.

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छोटे व्यापारियों का आरोप- सबकुछ चीन को बेच दिया

श्रीलंका में खाद्य विक्रेता और छोटे व्यापारी राजपक्षे सरकार पर चीन को सब कुछ बेचने का आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश के पास कुछ भी नहीं है और उसने क्रेडिट पर दूसरे देशों से सब कुछ खरीदा है.

आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच श्रीलंका में फलों और सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं. एक फल विक्रेता फारुख कहते हैं,

''3 से 4 महीने पहले सेब 500 रुपये किलो बिकता था, अब यह 1000 रुपये किलो है. नाशपाती पहले 700 रुपये किलो बिकती थी, अब यह 1500 रुपये किलो बिक रही है. लोगों के पास पैसा नहीं है."

उन्होंने आगे कहा, "श्रीलंका सरकार ने चीन को सब कुछ बेच दिया. यही सबसे बड़ी समस्या है. श्रीलंका के पास पैसा नहीं है क्योंकि उसने चीन को सब कुछ बेच दिया है. वह दूसरे देशों से उधार पर सब कुछ खरीद रही है."

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अल्पमत में सरकार, नए वित्त मंत्री ने इस्तिफा दिया

दशकों में देश के सबसे खराब आर्थिक संकट के बीच विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए संघर्ष करते हुए दर्जनों सांसदों ने अपनी सरकार को संसद में अल्पमत में छोड़ दिया और सत्तारूढ़ गठबंधन से बाहर चले गए.

प्रशासन के लिए एक और झटका तब आया जब वित्त मंत्री अली साबरी ने अपनी नियुक्ति के एक दिन बाद और एक ऋण कार्यक्रम के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ निर्धारित महत्वपूर्ण वार्ता से पहले इस्तीफा दे दिया.

1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से देश की सबसे दर्दनाक मंदी के साथ-साथ रिकॉर्ड महंगाई और बिजली कटौती के साथ-साथ भोजन, ईंधन और अन्य आवश्यक चीजों की भारी कमी से पूरा श्रीलंका त्राहीमाम-त्राहीमाम कर रहा है.

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